हापुड़ के अस्पताल में मौत का कारोबार! बाउंसरों की दबंगई से खुला पूरा मामला
हापुड़ के एक अस्पताल में मरीज की मौत के बाद हंगामा हो गया। परिजनों ने आरोप लगाया कि डॉक्टरों ने पहले मरीज को मृत घोषित किया फिर इलाज के नाम पर पैसे वसूले। इसके बाद अस्पताल कर्मचारियों और बाउंसरों ने परिवार पर हमला कर दिया जिसमें कई महिलाएं घायल हो गईं। पुलिस मामले की जाँच कर रही है। जून 2025 में भी इसी तरह की एक घटना सामने आई थी।

जागरण संवाददाता, हापुड़। बुधवार सुबह सूरज की पहली किरण पड़ते ही गढ़ रोड स्थित देवनंदनी अस्पताल में दिल दहला देने वाला मामला सामने आया। मोहल्ला शक्ति नगर निवासी 60 वर्षीय नरेश चंद शर्मा को अचानक चक्कर आया और परिजन उन्हें अस्पताल ले गए। उम्मीद थी कि डॉक्टर उनकी जान बचा लेंगे, लेकिन जो हुआ उसने स्वास्थ्य सेवा की काली सच्चाई उजागर कर दी।
डॉक्टरों ने पहले बुजुर्ग को मृत घोषित किया और फिर इलाज के नाम पर पैसे वसूलने का आरोप लगाया। मौत के बाद अस्पताल कर्मचारियों और बाउंसरों ने परिवार पर हमला कर दिया और लाठी-डंडों से उनकी पिटाई की। महिलाओं को भी नहीं बख्शा गया, जिससे चार गंभीर रूप से घायल हो गईं। परिवार ने इलाज के नाम पर लापरवाही और अवैध वसूली का आरोप लगाया है।
अवैध वसूली के बाद हमला
मोहल्ला शक्ति नगर कॉलोनी निवासी मोनू शर्मा ने बताया कि उनके पिता नरेश चंद शर्मा की बुधवार सुबह तबीयत खराब हुई। वह और उनके परिजन उन्हें सुबह करीब साढ़े सात बजे अस्पताल लेकर आए। डॉक्टरों ने बताया कि उनके पिता को दिल का दौरा पड़ा है। कुछ देर बाद ही उनकी मौत की खबर दे दी गई। यह सुनकर परिवार में मातम छा गया।
इस बीच, डॉक्टर पीड़ित की देखभाल में वापस आ गए और दावा किया कि उसके पिता की साँसें चल रही हैं। डॉक्टरों ने तुरंत 50,000 रुपये के दो महंगे इंजेक्शन लगाने का आदेश दिया। फिर उन्होंने उसका इलाज शुरू किया। कुछ ही देर बाद, डॉक्टरों ने उसके पिता की हालत गंभीर बताई और उन्हें नोएडा के किसी उच्च स्वास्थ्य केंद्र में ले जाने की सलाह दी।
पीड़ित ने उनके भर्ती होने की व्यवस्था शुरू कर दी। इस बीच, डॉक्टरों ने अस्पताल की फीस जमा कर दी। कुछ ही देर बाद, डॉक्टरों ने उसके पिता की मृत्यु की घोषणा कर दी। पीड़ित और उसके परिवार के सदस्यों ने शव देखने की ज़िद की, लेकिन अस्पताल के कर्मचारियों ने मना कर दिया। इसके बाद बहस शुरू हो गई। अस्पताल के कर्मचारियों और बाउंसरों ने पीड़ित और उसके परिवार के सदस्यों पर हमला कर दिया, जिससे उसकी पत्नी पूजा शर्मा, बहन नीतू शर्मा और मौसी रामलता शर्मा घायल हो गईं।
प्रसारित वीडियो में महिलाओं के साथ हिंसा दिखाई दे रही
घटना के वीडियो तेज़ी से वायरल हो रहे हैं, जिनमें साफ़ तौर पर अस्पताल के कर्मचारियों और बाउंसरों द्वारा महिलाओं के साथ मारपीट दिखाई दे रही है। यह अत्याचार सिर्फ़ देवनंदनी अस्पताल तक ही सीमित नहीं है।
जून 2025 में, एक पाँच साल की बच्ची की मौत हो गई क्योंकि एक अस्पताल ने 20,000 रुपये की अग्रिम राशि दिए बिना उसका इलाज करने से इनकार कर दिया था। इससे यह सवाल उठता है: क्या निजी अस्पताल मरीज़ों को ग्राहक समझते हैं, जहाँ पैसे न होने पर जान की परवाह नहीं की जाती?
अस्पताल प्रबंधन ने आरोपों से किया इनकार
देवानंदानी अस्पताल प्रबंधन ने सभी आरोपों को निराधार बताया। उनका दावा है कि इलाज में कोई लापरवाही नहीं हुई और परिवार ने बिल न चुकाने पर हंगामा किया।
थाने में कोई शिकायत दर्ज नहीं, न्याय कैसे मिलेगा?
विवाद की सूचना मिलने पर देहात थाना प्रभारी विजय गुप्ता और कोतवाली पुलिस मौके पर पहुँची। दोनों पक्षों को शांत कराया गया। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज और वायरल हो रहे वीडियो को अपने कब्जे में लिया। परिवार का आरोप है कि वे शिकायत दर्ज कराने थाने गए, लेकिन पुलिस ने शिकायत लेने से इनकार कर दिया। देहात थाना प्रभारी ने कहा कि निष्पक्ष जाँच की जा रही है। मेडिकल रिपोर्ट और फुटेज के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।