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    Hapur News: हेड कांस्टेबल ने की गजब मनमानी, दो किशोरों को 15 महीने तक घर में बंधक बनाकर करवाया ये काम

    Updated: Mon, 15 Sep 2025 07:58 PM (IST)

    हापुड़ के होशदारपुर गढ़ी में पुलिस हेड कांस्टेबल के घर दो किशोर 15 महीने तक बंधक रहे और उनसे बाल श्रम कराया गया। चाइल्डलाइन की सूचना पर पुलिस ने छापा मारकर बच्चों को छुड़ाया। हेड कांस्टेबल और उसके पिता पर मामला दर्ज हुआ है। घटना से क्षेत्र में सनसनी है और बाल श्रम के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।

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    हापुड़ के होशदारपुर गढ़ी में पुलिस हेड कांस्टेबल के घर दो किशोर 15 महीने तक बंधक रहे। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, हापुड़। जिले के बाबूगढ़ थाना क्षेत्र के गांव होशदारपुर गढ़ी में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां उत्तर प्रदेश पुलिस में तैनात एक हेड कांस्टेबल के घर पर दो किशोरों को 15 महीने तक बंधक बनाकर बाल श्रम कराया गया।

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    मामले में पुलिस ने हेड कांस्टेबल सचिन कुमार और उसके पिता प्रमोद कुमार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। यह घटना स्थानीय लोगों में चर्चा का विषय बनी हुई है। क्योंकि आरोपी खुद कानून के रखवाले हैं।

    बाबूगढ़ थाना प्रभारी निरीक्षक मुनीश प्रताप सिंह ने बताया कि 12 सितंबर 2025 को चाइल्डलाइन मुख्यालय लखनऊ को सूचना मिली कि होशदारपुर गढ़ी में दो किशोरों को बंधक बनाकर उनसे जबरन बाल श्रम कराया जा रहा है।

    इसके बाद बाल कल्याण समिति के कानून-सह पर्यवेक्षक रविंद्र कुमार, कंप्यूटर ऑपरेटर मुकेश कुमार, चाइल्डलाइन हापुड़ पर्यवेक्षक जीतू, उपनिरीक्षक लालाराम मीणा और महिला कांस्टेबल निकिता तोमर की संयुक्त टीम ने तत्काल कार्रवाई की।

    टीम ने हेड कांस्टेबल सचिन कुमार के घर पर छापा मारकर मंजीत पुत्र गजराज (14 वर्ष) और मंजीत पुत्र अक्षयलाल (12 वर्ष) को बरामद किया। दोनों सीतापुर जिले के थाना भदपुर के ढींगरा गांव के रहने वाले हैं। दोनों ने पुलिस को बताया कि पिछले 15 महीनों से उनसे घरेलू काम करवाया जा रहा था।

    सब-इंस्पेक्टर लालाराम मीणा की शिकायत पर सचिन कुमार और उसके पिता प्रमोद के खिलाफ बाल श्रम (निषेध एवं विनियमन) अधिनियम और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। इसके अलावा बंधुआ मजदूरी के आरोपों की जांच के लिए अतिरिक्त श्रम आयुक्त हापुड़ को एक अलग रिपोर्ट भेजी गई है। मामले की गहनता से जांच की जा रही है। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।"

    सामाजिक और कानूनी निहितार्थ

    इस मामले ने न केवल बाल श्रम और बंधुआ मजदूरी जैसे गंभीर अपराधों को उजागर किया है, बल्कि एक पुलिसकर्मी की संलिप्तता के कारण कानून प्रवर्तन की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े किए हैं। पुलिस ने दोनों किशोरों को सुरक्षित स्थान पर भेज दिया है और उनका पुनर्वास सुनिश्चित किया जा रहा है। दूसरी ओर, स्थानीय लोग इस घटना को लेकर गुस्से और आश्चर्य में हैं।

    कानून क्या कहता है?

    • बाल श्रम अधिनियम: 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से किसी भी प्रकार का काम करवाना गैरकानूनी है।
    • किशोर न्याय अधिनियम: बच्चों का शोषण और बंधुआ मजदूरी गंभीर अपराध माना जाता है, जिसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान है।
    • बंधुआ मजदूरी अधिनियम: किसी भी व्यक्ति से जबरन काम करवाना दंडनीय अपराध है।