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    हापुड़ में तेजी से गिरा गंगा का जलस्तर, लेकिन कटान से लगातार बढ़ रहा खतरा; सैकड़ाें बीघा फसल जलमग्न

    Updated: Tue, 09 Sep 2025 02:08 PM (IST)

    हापुड़ में गंगा का जलस्तर घटने से कुछ राहत मिली है लेकिन बाढ़ ने किसानों के सामने बड़ा संकट खड़ा कर दिया है। लगभग दो हजार बीघा फसल गंगा में समा गई और कई किसान कर्ज में डूब गए। बेटियों की शादी के सपने टूटने के साथ साल भर की रोजी रोटी का भी संकट आ गया है। अधिकारी नुकसान का आकलन कर रहे हैं।

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    गंगा की चपेट में गन्ने की फसल। फोटो सौ. ग्रामीण

    संवाद सहयोगी, गढ़मुक्तेश्वर। एक माह तक रौद्र रूप दिखाने के बाद गंगा अब अपने पुराने स्वरूप की तरफ वापस होने लगी है। मंगलवार को गंगा का जलस्तर 198.58 सेंटीमीटर पर पहुंच गया है, जो काफी राहत देने वाला हैं।

    गंगा के एक माह के इस रौद्र रूप ने कई गांवाें के अनेक किसानों के सामने वर्ष भर की रोजी रोटी का संकट खड़ा कर दिया है। कटान के कारण करीब दो हजार बीघा जमीन पर खड़ी फसल गंगा में समाहित हो चुकी है तो वहीं सैकड़ाें बीघा जमीन पर खड़ी फसल अभी तक जलमग्न है।

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    गढ़मुक्तेश्वर में गंगा की तलहटी में बसे एक करीब एक दर्जन से अधिक गांव प्रत्येक वर्ष बाढ़ के दंश को झेलते हैं, लेकिन इस वर्ष आई बाढ़ एवं एक माह से अधिक समय तक गंगा का जलस्तर रेड अलर्ट एवं खतरा बिंदू से ऊपर रहना यहां के लोगों के लिए एक नई मुसीबत छोड़ गया है।

    बाढ़ में करीब दो हजार बीघा जमीन पर खड़ी फसल का गंगा में समाहित होने के साथ ही सैकड़ाें बीघा जमीन पर खड़ी फसल में जलभराव होना यहां के किसानों के सामने आर्थिक संकट खड़ा कर गया है।

    अनेक लोगों ने अपने बेटियों के हाथ पीले करने के लिए कर्ज लेकर फसलों की बोआई की थी, लेकिन बाढ़ की चपेट में आकर फसल के साथ उनके सपने भी गंगा में प्रवाहित हो गए। अब बेटी के हाथ पीले करने तो दूर वर्ष भर की रोजी रोटी का संकट भी उनके सामने खड़ा हो गया है। काकाठेर एवं लठीरा के सामने अभी भी तेजी से गंगा कटान कर रही है।

    क्या बोले ग्रामीण?

    कर्ज पानी करके किसी तरह से फसल की बोआई की थी, लेकिन इस वर्ष आई बाढ़ ने सबकुछ बर्बाद कर दिया। अनेक लोगों की तो गंगा में ही फसल बह गई। - घनश्याम कुमार, किसान

    हमने अपने जीवन में कभी इस तरह की बाढ़ नहीं देखी। प्रत्येक वर्ष गंगा दो से तीन दिन ऊफान पर रहती थी। इसके बाद करीब एक सप्ताह में जलभराव समाप्त हो जाता था। - हरदीप कौर, ग्राम प्रधान, आलमपुर भगवंतपुर

    अनेक लोग ऐसे है, जिन्होंने अपनी बेटियों की शादी करने के लिए सपने संजोए थे, लेकिन बाढ़ ने फसलों के साथ उनके सपनों को भी गंगा में समाहित कर लिया हैं। - कैलाश कुमार, किसान

    बाढ़ की जितनी तबाही का मंजर हमने इस वर्ष देखा है, अपने जीवन में पहले कभी नहीं देखा। गंगा का जलस्तर कम होने के बाद भी काकाठेर एवं लठीरा में लगातार कटान हो रहा है। - निरंजन कुमार, ग्राम प्रधान, लठीरा

     क्या बोले अधिकारी?

    गंगा के जलस्तर में लगातार गिरावट आ रही हैं। नुकसान का आंकलन करने के लिए टीमों को लगाया हुआ है। अभी जलभराव की स्थिति थोड़ी और कम हो जाए तो असली नुकसान का आंकलन तभी होगा। - श्रीराम यादव, एसडीएम

    गंगा की स्थिति सेंटीमीटर में

    • येलो अलर्ट - 198.75
    •  रेड अलर्ट - 199.00
    • खतरा बिंदू - 199.33
    • बृहस्पतिवार को- 199.17
    • मंगलवार को - 198.58