हापुड़ में करोड़ों की सरकारी इमारत 15 साल से जर्जर, किसानों के लिए प्लेटफॉर्म बनकर रह गया तिजोरी
हापुड़ में करोड़ों की लागत से बनी सरकारी तिजोरी की इमारत पिछले 15 सालों से जर्जर हालत में है। यह इमारत अब किसानों के लिए अनाज सुखाने का प्लेटफॉर्म बन ...और पढ़ें

कलक्ट्रेट मार्ग पर करोड़ों की लागत से बना भवन हो रहा जर्जर। जागरण
जागरण जागरण, हापुड़। सरकारी योजनाओं में अफसरों की मनमानी और जनता के टैक्स के रुपये का दुरुपयोग देखना हो तो हापुड़ आइए। यहां जिस ओर भी नजर डालिए, धन का ऐसादुरुपयोग देखने को मिलेगा, जिस पर एकाएक विश्वास भी नहीं किया जा सकता।
इसको लेकर दैनिक जागरण ने अभियान चलाया हुआ है। जिससे मौजूदा अधिकारी लटके और अटके हुए प्रोजेक्ट की हकीकत जानकर उनका उपयोग जनहित करा सकें। सालों से लटकी इन योजनाओं में पहले ही करोड़ों रुपये लगकर बर्बाद होने के कगार पर हैं। अभी भी अधिकारी जागरूक हुए तो इन भवनों की मरम्मत करके उपयोग में लाए जा सकते हैं।
कृषि कार्यों में अत्याधुनिक बनाए जाने की थी योजना
सरकार की योजना थी कि किसानों को कृषि कार्यों में अत्याधुनिक बनाया जाए। एक ओर जहां उनको कृषि की नई तकनीक की जानकारी दी जाए, वहीं उनके द्वारा तैयार बेहतर पैदावार का प्रदर्शन भी किया जा सके। किसानों को अत्याधुनिक बीज उपलब्ध हो सकें और जरूरत के अनुसार उनको जानकारी देने के लिए एक्सपर्ट भी उपलब्ध हों।
इसके लिए किसी ऐसे स्थान का चयन किया जाना था, जहां पर जिले के किसानों का आवागमन आसान हो। ऐसे में अधिकारियों ने 2008 में आनंदविहार में कलक्ट्रेट मार्ग पर एक स्थान का चयन कर भवन निर्माण के लिए मांग की। तत्कालीन सरकार ने इसके लिए साढ़े चार करोड़ स्वीकृत किए।
बाद में बजट बढ़ जाने के चलते इस पर डेढ़ कराेड़ रुपये की लागत और आई। छह करोड़ रुपये में दो-मंजिला शानदार भवन तैयार किया गया। इसमें सामने की ओर शीशे लगाकर सुंदर बनाया गया था। वहीं ट्रांसफार्मर लगाकर अलग से बिजली कनेक्शन लिया गया था। एसी-सबमर्सेबल लगवाकर शासन को तैयार होने की रिपोर्ट भेज दी गई।
नहीं मिल पाया उद्घाटन का समय
रंगाई-पुताई के बाद 2010 में उदघाटन के लिए शासन से कृषि मंत्री को आमंत्रित किया गया। मंत्री को उदघाटन करने का समय नहीं मिला और भवन यों ही बाट जोहता रहा। लगातार शासन से उदघाटन के लिए गुहाई लगाई जाती रही। उसके बाद निर्माण एजेंसी ने अपना भुगतान प्राप्त किया और किनारे हो गई।
इन 15 साल में देखभाल के अभाव में भवन जर्जर हो गया है। शीशे टूटकर गिर गए हैं। प्लास्टर चटक गया है। ज्यादातर सामान चोरी कर लिया गया है। वहीं भवन के अंदर ऊंचे पेड़ और झूंड-झाड़ उग आए हैं। जनता से लिए गए टैक्स का करोड़ों रुपया यों ही बर्बाद हो रहा है। उसके बावजूद कोई सुध लेने वाला नहीं है।
वहीं किसानों को शासन की योजनाओं की जानकारी देने के लिए इस प्रकार का कोई प्लेटफार्म कलक्ट्रेट में उपलब्ध भी नहीं कराया गया है।
इस भवन को यूपी स्टेट एग्रो द्वारा तैयार कराया गया था। यह बहुत महत्वपूर्ण स्थान पर बना हुआ भवन है। हमने इसके हस्तांतरण की प्रक्रिया आरंभकर दी है। जिलाधिकारी के माध्यम से शासन को रिपोर्ट भेज दी गई है। भवन का हस्तांतरण होते ही मरम्मत कराकर इसका उदघाटन कराकर कार्य आरंभ कर दिया जाएगा। हम इसमें मृतदा परीक्षण प्रयोगशाला बनाने की तैयारी कर रहे हैं। जिससे किसान आसानी से अपने खेतों की मिट्टी की जांच करा सकें।
गौरव प्रकाश- जिला कृषि अधिकारी।

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