गजब हाल! सड़क के नीचे कहां से आ रहा पानी? पता लगाने में तीन विभागों के इंजीनियर नाकाम
हापुड़ में बुलंदशहर हाईवे की सड़क बनते ही धंसने लगी है। नौ जगहों पर दो फीट तक धंसने की वजह सड़क के नीचे पानी का भराव बताया जा रहा है। पीडब्ल्यूडी जल निगम और नगर पालिका के इंजीनियर पानी के स्रोत का पता लगाने में विफल रहे हैं। डीएम ने सेवानिवृत्त अधिकारियों को शामिल कर दोबारा जांच के आदेश दिए हैं।
जागरण संवाददाता, हापुड़। बुलंदशहर हाईवे की सड़क बनने के साथ ही धसने लगी है। यह नौ स्थान पर दो फीट की गहराई तक धस चुकी है। जांच में पता चला कि सड़क के नीचे पानी आ रहा है। सड़क में दो-तीन फीट की गहराई पर पानी भरा हुआ है।
पीडब्ल्यूडी, जल निगम और नगर पालिका के इंजीनियर ने को यह जानकारी नहीं मिल पा रही है कि आखिरकार पानी पहुंच कहा से रहा है। हाईवे के बराबर से होकर निकलने वाली पेयजल सप्लाई को चार दिन के लिए बंद कर दिया गया था। उसके बाद आज मंगलवार को खोदाई कराकर देखा गया तो पानी पहले की तरह ही भरा हुआ था। एक्सपर्ट ने इस संबंध में अपनी रिपोर्ट डीएम को सौंप दी है।
वहीं डीएम ने दोबारा से संबंधित क्षेत्र का पानी बंद करके जांच करने को कहा है। अबकी बार पालिका के सेवानिवृत अधिकारियों-कर्मचारियों को भी जांच टीम में शामिल किया जाएगा।
यह है मामला
मेरठ बुलंदशहर मार्ग को चार लेन का करने के लिए चौड़ीकरण किया गया था। पीडब्ल्यूडी ने 8.3 किलोमीटर लंबाई में सड़क चौड़ीकरण का कार्य कराया था। इसमें तहसील चौपला से बाईपास तक बुलंदशहर रोड भी शामिल है। सड़क के चौड़ीकरण पर करीब 50 करोड़ रुपया खर्च किया गया है। जबकि सीवर डालने में अमृत-वन योजना के तहत सौ करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। सड़क बने अभी कुछ ही समय हुआ है। यह जगह-जगह से धसनी आरंभ हो गई है।
तहसील चौपला से बाईपास तक नौ स्थानों पर सड़क धस गई है। सड़क में एकाएक दो-तीन फीट गहने गड्ढ़े बन जाते हैं। जिसमें गिरने से कई वाहन क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। अभी तक गड्ढ़ों की मरम्मत का कार्य निर्माण करा रही कंपनी जुनेजा कंस्ट्रक्शन लिमिटेड द्वारा कराया गया है। ऐसे स्थानों पर सड़क को सीमेंटेड किया गया है। अब कंपनी ने गड़ढों की मरम्मत कराने से इंकार कर दिया है।
विशेषज्ञों को नहीं मिल रहा कारण
जिलाधिकारी के निर्देश पर पिछले सप्ताह जल निगम, नगर पालिका, जलकल विभाग, पीडब्ल्यूडी और निर्माण कराने वाली कंपनी के अधिकारी बुलंदशहर रोड पर पहुंचे थे। यहां कई स्थानों पर बुलडोजर से सड़क को खोदकर चेक किया गया। सभी स्थानों पर दो-तीन फीट नीचे काफी मात्रा में पानी भरा पाया गया। ऐसे में पीडब्ल्यूडी और निर्माण कंपनी ने सड़क की गुणवत्ता को लेकर उठ रहे सवालों को सिरे से नकार दिया।
उन्होंने सड़क के धसने का कारण नीचे पानी भरा होने काे माना। जल निगम के अधिकारियों ने बताया था कि सीवर सड़क के नीचे 32 फीट की गहराई पर है। उससे पानी ऊपर आना आसान नहीं है। वहीं जलकल विभाग ने स्पष्ट कर दिया कि संबंधित क्षेत्र में उनकी पेयजल की पाइपलाइन नहीं है। ऐसे में पानी कहां से आया पता नही। इस पर निर्णय लिया गया था कि हाईवे के बराबर से होकर निकल रही पाइपलाइन की पेयजल सप्लाई को बंद कर दिया जाए।
फिर भी भरा मिला पानी
आज मंगलवार को फिर से पीडब्ल्यूडी, नगर पालिका और जल निगम के एक्सपर्ट ने सड़क का निरीक्षण किया। उसको कई स्थानाें पर खुदवा कर देखा गया। सड़क के नीचे पानी पहले की तरह ही भरा हुआ था। पेयजल सप्लाई की लाइनों को बंद कर देने के बाद भी पानी लगातार आ रहा था। इस पर पालिका, पीडब्ल्यूडी और जल निगम के इंजीनियर ने हाथ खड़े कर दिए। इसकी रिपोर्ट दोपहर में डीएम को सौंप दी गई।
डीएम अभिषेक पांडेय ने पालिका से सेवानिवृत अधिकारियों व कर्मचारियों को बुलवाकर दोबारा से जांच कराने को कहा है। ऐसे में एक बार फिर हाईवे के बराबर से जा रही पेयजल सप्लाई की लाइनों को बंद किया जाएगा। उसके बाद दोबारा से सड़क के नीचे के पानी की स्थिति देखी जाएगी। अभी तक की जांच में अधिकारियों के हाथ खाली है।
सड़क पर हुआ कार्य ------------- 8.30 किमी
चौड़ीकरण पर खर्च -------------- 50 करोड़
यहां सीवर पर खर्च --------------- 100 कराेड़
अभी सड़क धसी ---------------- नौ स्थानों पर
हमने मामले की जानकारी डीएम को दे दी है। अभी तक पानी आने का कारण पता नहीं चल पा रहा है। एक बार फिर से पाइपलाइनों को बंद कराया जा रहा है। एक सप्ताह बाद फिर से जांच की जाएगी। हो सकता है इससे कुछ पता चल सके। - शैलेंद्र सिंह - अधिशासी अभियंता - पीडब्ल्यूडी
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