बेशर्मी तो देखिए, खेल रहे हैं चाल... पीड़ित मछली देखकर रोते हैं घड़ियाल
हापुड़ में हिंदी साहित्य भारती द्वारा मासिक कार्यशाला एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से हुई जिसके बाद कई वरिष्ठ और युवा कवियों ने अपनी कविताओं का पाठ किया। इस गोष्ठी में हापुड़ शहर के कई साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।

जागरण संवाददाता, हापुड़। हिंदी साहित्य भारती की मासिक कार्यशाला एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन सोमवार को राधापुरी में हुआ। काव्य गोष्ठी के दौरान कवियों ने अपने रचनाओं को पढ़कर श्रोताओं की जमकर तालिया बटोरीं।
गोष्ठी का आरंभ डा. रानी कमलेश अग्रवाल ने सरस्वती वंदना कर किया। वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार डा. अशोक मैत्रेय ने पढ़ा कि बेशर्मी तो देखिए, खेल रहे हैं चाल। पीड़ित मछली देखकर रोते हैं घड़ियाल। अध्यक्षता करते हुए राज चैतन्य ने पढ़ा कि मिट जाए अपने मकाम से वह लकीर क्या लकीर हैं। बिक जाए नामो दाम में वह जमीर क्या जमीर है।
संचालन करते हुए जिलाध्यक्ष वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार दिनेश त्यागी ने पढ़ा कि जल्दी बरसो बादरा, धरा हुई बैचेन, राह तुम्हारी तक रहे, हुए बावरे नैन। विजय वत्स ने पढ़ा कि सपनों के गांव में पाहन कोई आया। सांसो ने स्वागत में नेह गीत है गाया।
डा. राकेश अग्रवाल ने पढ़ा कि खुली आंखों से तो दुनिया दिखाई देती है। बंद आंखों से बस तुम दिखाई देती हो। फसीह चौधरी ने पढ़ा कि उम्र आती है जाने किधर जाती है। जिंदगी फिक्र में रंजो में गुजर जाती है।
इनके अलावा रामवीर आकाश, जिला महामंत्री डा. ओमपाल सिंह विकट, अवनीत समर्थ, मुशर्रफ चौधरी, मनीष गुप्ता मनु, मनोज वर्मा, पंडित शिव प्रकाश शिव, पुष्पेंद्र पंकज, गंगा शरण शर्मा, कोषाध्यक्ष कपिल वीर सिंह, सौरव राणा आदि ने भी अपना पाठ पढ़ा।
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