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    9 राज्यों में बेची फर्जी डिग्रियां, यूनिवर्सिटी के पूर्व डायरेक्टरों पर कसेगा शिकंजा, 2018 से चल रहा था खेल

    Updated: Wed, 28 May 2025 11:47 AM (IST)

    हापुड़ की मोनाड यूनिवर्सिटी में फर्जी डिग्री घोटाले की जांच तेज़ हो गई है। एसआईटी अब पूर्व निदेशकों से पूछताछ करेगी जिनकी सूची तैयार है। पता चला है कि ...और पढ़ें

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    अब यूनिवर्सिटी के पहले के मालिकों से भी पूछताछ करेगी एसटीएफ की स्पेशल टीम।

    जागरण संवाददाता, हापुड़। एसटीएफ की जांच का दायरा अब बढ़ता जा रहा है। अब मोनाड यूनिवर्सिटी के पहले के डायरेक्टर से भी पूछताछ करने की तैयारी है। इनकी सूची तैयार कर ली गई है।

    दरअसल, फर्जी डिग्री बनाने-बेचने का धंधा 2018 से चलने की जानकारी जांच टीम को मिली है। ऐसे में टीम ने पहले के डायरेक्टर के नाम जुटाने आरंभ कर दिए हैं। इसके लिए पुलिस के साथ ही एसटीएफ की दो टीमों को भी लगाया गया है।

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    वहीं, एसटीएफ की कार्रवाई की भनक लगते ही मोनाड के पहले के मालिक व जिम्मेदार पदों पर रहे कर्मचारी भूमिगत हो गए हैं। उनको कार्रवाई की जद में आने का डर सता रहा है।

    मोनाड यूनिवर्सिटी के फर्जीवाड़ा का दायरा अब बढ़ता ही जा रहा है। एक ओर जहां एक लाख से ज्यादा फर्जी डिग्री-मार्कशीट छापने का मामला सामने आ चुका है, वहीं नौ राज्यों में प्रमुखता से डिग्री की बिक्री होने की जानकारी पुलिस-एसटीएफ को मिल चुकी है।

    इस मामले में यूनिवर्सिटी के मालिक पिता-पुत्र सहित 11 लोगों को जेल भेजा जा चुका है। एसटीएफ की जांच में सामने आया है कि यह फर्जी डिग्री बनाने का खेल 2018 से चल रहा था। मोनाड के मौजूदा मालिक विजेंद्र हुड्डा ने इसको 2022 में खरीदा था। उससे पहले भी यहां से फर्जी मार्कशीट-डिग्री की बिक्री की जा रही थी। यह धंधा दलालों के माध्यम से संचालित किया जा रहा था।

    एसटीएफ और पुलिस की जांच में सामने आया है कि इस फर्जीवाड़े में मोनाड के पहले के मालिक व कर्मचारी भी शामिल रहे थे। उनके से दर्जनभर लोग हापुड़ में ही रह रहे हैं। एसटीएफ ने उनकी कुंडली खंगालनी आरंभ कर दी है। पुलिस और एसटीएफ की दो टीम उनकी गोपनीय जांच में लगी हैं। प्रारंभिक जांच में उनकी संलिप्तता सामने आई है। वह पहले भी कई सौ करोड़ के स्कालरशिप घोटाले में भी फस चुके हैं। उस मामले में यूनिवर्सिटी के डायरेक्टर और कर्मचारियों को जेल जाना पड़ा था।

    अधिकारियों का मानना है कि फर्जी कागजात बनाकर बेचने का यह धंधा तभी से चल रहा है। एसटीएफ की इस जांच की भनक मोनाड के पूर्व मालिकों और कर्मचारियों को भी लग गई है। उनमें से ज्यादातर भूमिगत हो गए हैं। माना जा रहा है कि संलिप्तता पाए जाने पर इनमें से कई के नाम जांच में खोले जा सकते हैं।

    एक लाख दो-एलएलएम की डिग्री लो

    मोनाड में फर्जी डिग्री का ऐसा खुला खेल चला, मानो यह परचून की दुकान हो। शहर के एक नामचीन अधिवक्ता ने बताया कि वह एलएलबी पहले मेरठ से कर चुके थे। पिछले साल उनको एलएलएम की जरूरत महसूस हुई। इस पर वह मोनाड में पहुंच गए। वहां पर विधि संकाय में जाकर जानकारी प्राप्त की। उनको मोनाड प्रबंधन के एक बड़े पदाधिकारी के पास भेज दिया गया। वहां पर उनसे एक लाख रुपये की मांग की गई।

    उनको बताया कि आपको एक लाख रुपया देने हैं। दो दिन में एलएलएम की डिग्री मिल जाएगी। कहीं पर चेक करा लेना, कोई पकड़ नहीं पाएगा। इसी प्रकार फार्मासिस्ट की डिग्री दो लाख में और पीएचडी की तीन लाख में बेची गईं। वहां पर डिग्री की बिक्री का खुला सौदा इस प्रकार किया जाता था, मानो आप यूनिवर्सिटी में न आकर कोई कपड़ा खरीदने आए हों।

    मोनाड के फर्जीवाड़े का मामला बहुत बड़ा है। वहां तक एकाएक सोचा भी नहीं जा सकता है। जिस प्रकार जांच आगे बढ़ रही है, उसमें नए-नए महत्वपूर्ण बिंदू सामने आते जा रहे हें। मोनाड में फर्जीवाड़े का धंधा बहुत पहले से चल रहा था। ऐसे में हमारी जांच के दायरे में पूर्व मालिक-कर्मचारी भी आ रहे हैं। इसमें यह देखना महत्वपूर्ण है कि कौन मालिक-कर्मचारी फर्जीवाड़े को सपोर्ट कर रहे थे और काैन विरोध कर रहे थे। - पटनीश कुमार सिंह- एसएचओ- पिलखुवा