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    मां की पिटाई-पिता को गोलियों से भूना, बचाने आए भाई को चाकू घोंपा-आंख में मिर्च भरी; दिल दहला देने वाली 3 घटनाएं

    हापुड़ जिले में रिश्तों को शर्मसार करने वाली घटनाएं सामने आई हैं। गढ़मुक्तेश्वर में बेटे ने मां और भाई पर हमला किया जिससे एक की मौत हो गई। बाबूगढ़ में बेटे ने पिता को गोली मार दी जबकि डेहरा में भाई ने भाई की हत्या कर दी। पारिवारिक तनाव और संस्कारों की कमी इन घटनाओं का कारण है जिसके चलते वृद्ध आश्रमों में बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है।

    By Dharampal Arya Edited By: Kapil Kumar Updated: Mon, 25 Aug 2025 05:30 PM (IST)
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    हापुड़ में हत्या के कई मामले सामने आए हैं।

    जागरण संवाददाता, हापुड़। हापुड़ जिले में खून के रिश्तों पर अपनों के ही खून के छींटे पड़ रहे हैं। एक सप्ताह में रिश्तों को शर्मसार कर देने वाले तीन जघन्य मामले सामने आने से परिवारों में संस्कारों की डोर कमजोर होती दिख रही है। यह मामले भले ही दो स्थानों पर घटित हुए हैं, लेकिन घटनाक्रम चार हैं।

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    गढ़मुक्तेश्वर के गांव दौताई में बेटे ने पहले बेरहमी से मां की पिटाई की। उसको बचाने आए बड़े भाई की आंखों में पास में रखी मिर्च झोक दीं और फावड़े से जानलेवा हमला कर दिया। इस दौरान उसके हमले से मां और भाई को बचाने आए छोटे भाई को आधा दर्जन स्थानों पर चाकू घोंपकर गंभीर रूप से घायल कर दिया। उसकी उपचार के दौरान मौत हो गई।

    वहीं, बाबूगढ़ में पिता के जमीन ठेके पर देने से नाराज होकर बेटे ने गोलियां मारकर पिता को मौत के घाट उतार दिया। वहीं डेहरा गांव में भाई ने छोटे भाई के सिर पर फावड़ी से वार करके हत्या कर दी थी। उसका शव कई दिन बाद घर में पड़ा मिला था।

    वहीं, परिवारों के कमजोर होते संस्कारों का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि डीएम-एसपी के यहां पर बेटे-बहुओं से परेशान रोजाना दर्जनभर मामले आते हैं। वहीं वृद्धआश्रमों में दो सौ से ज्यादा बुजुर्ग परिवार से दूर रह रहे हैं। प्रत्येक थाना-तहसील दिवस में दर्जनों मामले भाइयों के आपस के बेहद तनावपूर्ण मामलों के आते हैं। तीन दिन पहले ही सबली का रहने वाला बुजुर्ग दंपति पुत्रवधू की पिटाई से घायल होकर डीएम से गुहार लगाने पहुंचा था।

    दरअसल, परिवार के इन तनावपूर्ण मामलों में पुलिस-प्रशासनिक अधिकारी भी ज्यादा कुछ नहीं कर पाते हैं। स्थिति यह है कि बेहद तनावपूर्ण मामला होने के बावजूद भी अधिकारी इनकी गंभीरता का अंदाजा नहीं लग पाते हैं। वहीं दिनरात साथ-साथ रहने के चलते ऐसे मामलों में वारदात को टाला जाना भी आसान नहीं होता है।

    जिले में अपनों के खून से हाथ रंगने के तीन मामले इसी सप्ताह सामने आ चुके हैं। पिछले सप्ताह बहादुरगढ़ थाना क्षेत्र के गांव डेहरा में बड़े भाई ने छोटे के सिर पर फावड़ी से वार करके हत्या कर दी थी। उसके शव को घर में बंद करके गाजियाबाद भाग गया था।

    वहीं, बाबूगढ़ में दो दिन पहले हिस्ट्रीशीटर बेटे ने पिता की गोली मारकर हत्या कर दी। अब गढ़मुक्तेश्वर के गांव दौताई में भाई ने पहले मां को जमकर पीटा। उसके बचाने आए भाई पर फावड़े से जानलेवा हमला कर दिया। इन दोनों को बचाने आए तीसरे भाई को चाकू घोंप दिया, जिससे उसकी मौत हो गई।

    यह भी पढ़ें- Hapur Crime: हिस्ट्रीशीटरों के घरों पर ताबड़तोड़ दबिश, पूरे गांव में मची अफरातफरी

    मनोचिकित्सक व वरिष्ठ चिकित्सक डा. प्रदीप मित्तल का कहना है कि ज्यादातर मामलों में विवाद को आरंभ में ही समाप्त नहीं किया जाता है। इससे वह बढ़ता जाता है। वहीं परिवार में आपस में बैठकर चर्चा नहीं होती हैं। जिससे मानसिक दबाव से राहत मिलने की बजाय बढ़ता जा रहा है। हम सभी को परिवारों में संस्कारों को मजबूत करने की जरूरत है।