अब फेफड़ों पर भारी पड़ रही सांसों से होकर जा रही जहरीली हवा, अस्पतालों में बढ़े मरीज; डॉक्टरों ने जारी की सलाह
हापुड़ में प्रदूषण का स्तर अभी भी जानलेवा बना हुआ है, जिससे लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है। शहर गैस चैंबर में तब्दील हो गया है, और प्रदूषण कम करने के प्रयास केवल कागजों पर ही चल रहे हैं। वायु गुणवत्ता सूचकांक 565 तक पहुँच गया है, जिससे अस्पतालों में सांस के रोगियों की संख्या बढ़ रही है। विशेषज्ञों ने खुली हवा में सांस लेने से बचने की सलाह दी है।
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विशेषज्ञों ने खुली हवा में सांस नहीं लेने के लिए अलर्ट जारी किया है।
जागरण संवाददाता, हापुड़। हवा का प्रवाह बढ़ने से शुक्रवार दोपहर में प्रदूषण के स्तर में थोड़ी कमी जरूर आई, लेकिन अभी भी वह जानलेवा स्तर पर बना हुआ है। हवा में घुल रहे हानिकारक रसायनों और धूल-धुआं व रबर के कणों के चलते लोगों की सांस फूल रही हैं। घना प्रदूषण छाए रहने से जिला गैस चैंबर में बदल चुका है।
प्रदूषण कम करने का अभियान केवल फाइलों में ही दौड़ रहा है। जिम्मेदार अधिकारी लंबी तानकर सो रहे हैं। एनजीटी की रोक के बावजूद जगह-जगह कूड़ा जलाया जा रहा है। इससे हालात और खराब हो रहे हैं। वहीं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पालिका के जिम्मेदार अधिकारी लापरवाह बनें हुए हैं।
यह है स्थिति
हवा में प्रदूषण की घनी परत छाई हुई है। धूल और धुआं के कणों की भरमार से हवा की दृश्यता भी कम हो गई है। वहीं सांस लेने में हवा के साथ में जहरीले पार्टीकल भी शरीर में जा रहे हैं। इससे लोगों को परेशानी हो रही है। शुक्रवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 565 तक पहुंच गया था। इससे लोगों को आंखों में जलन के साथ ही सांस फूलने व त्वचा में संक्रमण होने की शिकायत होने लगी। अस्पताल में सांस के रोगियों की भरमार है।
घातक हो सकता है खुली हवा में सांस लेना
विशेषज्ञों ने खुली हवा में सांस नहीं लेने के लिए अलर्ट जारी किया है। पीसीपीबी के एप पर भी चेतावनी जारी की हुई है। प्रदूषण की मौजूदा स्थिति में खुली हवा में सांस लेने को असुरक्षित बताया गया है। ऐसे में सांस लेने से फेफड़ों व स्वांस नली में सूजन, आंखों में जलन, त्वचा में खिंचाव व खुजली, हाई बीपी, चक्कर आने व जी मिचलाने की शिकायत हो सकती हैं।प्रदूषण में घातक गैंस व धूल-धुआं होने से फेफड़ों को पर्याप्त आक्सीजन नहीं मिल पाती है।
प्रदूषण नियंत्रण के लिए सभी के सहयोग की जरूरत है। प्रदूषण की स्थिति जानलेवा बनी हुई है। ऐसे में खुली हवा में सांस लेने से बचें और मास्क का प्रयोग करें। पानी पर्याप्त मात्रा में लें और संतुलित भोजन करें। जहां पर ग्रेप के प्रतिबंधों का उल्लंघन होता पाया जाए, उसकी सूचना तत्काल सक्षम अधिकारी को दें। - विपुल कुमार- प्रभारी अधिकारी- प्रदूषण नियंत्रण बाेर्ड

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