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    गाजियाबाद के बाद हापुड़ में सांसों पर संकट, AQI 500 के पार; उद्योग-निर्माण बेपरवाह

    Updated: Thu, 13 Nov 2025 07:30 AM (IST)

    हापुड़ में वायु प्रदूषण गंभीर स्तर पर पहुँच गया है, जहाँ AQI 541 से ऊपर है। ज़िला प्रशासन GRAP प्रतिबंधों का सख्ती से पालन कराने में विफल रहा है। प्रदूषण के कारण श्वसन संक्रमण के मामलों में वृद्धि हुई है। हवा में धूल और धुएँ का स्तर सामान्य से कई गुना अधिक है, जिससे फेफड़ों और आँखों की बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। लोगों को मास्क पहनने और अन्य सुरक्षा उपाय अपनाने की सलाह दी गई है।

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    हापुड़ में वायु प्रदूषण गंभीर स्तर पर पहुंच गया है, जहां AQI 541 से ऊपर है।

    जागरण संवाददाता, हापुड़। जिले की हवा आसपास के इलाकों से ज़्यादा प्रदूषित है। प्रदूषण का स्तर अचानक बढ़ गया है, जिससे AQI 541 से ऊपर पहुँच गया है। ज़िला प्रशासन GRAP प्रतिबंधों का सख्ती से पालन नहीं करा पा रहा है। फ़िलहाल, हवा की गुणवत्ता बाहर साँस लेने लायक नहीं है। इससे फेफड़ों से जुड़ी कई बीमारियाँ हो सकती हैं। अस्पतालों में श्वसन संक्रमण के मरीज़ों की भीड़ लगी हुई है। ज़िले भर में प्रदूषण की स्थिति, निवारक उपायों की कमी और इसके बढ़ने के कारणों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है।

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    एक हफ़्ते पहले प्रदूषण का स्तर बढ़ना शुरू हुआ था। तब से ज़िले की हवा लगातार बिगड़ती जा रही है। बुधवार को AQI 400 से बढ़कर 541 हो गया। सुबह से ही कोहरा छाने लगा। धुंध के कारण लोगों की आँखों में जलन होने लगी, जिससे आने-जाने में काफ़ी दिक्कतें हुईं।

    पिछले कुछ दिनों से मौसम में बदलाव आया है। दिन में धूप और थोड़ी गर्मी तो बनी रहती है, लेकिन सुबह, शाम और रात में ठंड बढ़ रही है। आने वाले दिनों में जहाँ ठंड बढ़ेगी, वहीं धुंध के कारण प्रदूषण का स्तर और बढ़ेगा। इसलिए लोगों को सतर्क रहने की ज़रूरत है।

    12 नवंबर को प्रदूषण की स्थिति 

     
    वर्ष AQI
    2020 405
    2021 414
    2022 185
    2023 320
    2024 348
    2025 541

     

    प्रदूषण का सांस लेने पर असर

    वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़ने के साथ ही हवा में धूल, धुएँ और रासायनिक कणों का स्तर खतरनाक रूप से ऊँचा बना हुआ है। यह सामान्य से लगभग 10 गुना अधिक है। ज़िले में PM-10 का स्तर 321 और PM-2.5 का स्तर 256 है। इस स्थिति को स्वास्थ्य के लिए ख़तरा माना जा रहा है। इस स्थिति में साँस लेना जानलेवा हो सकता है। इससे फेफड़ों और आँखों की बीमारियाँ और यहाँ तक कि जानलेवा कैंसर भी हो सकता है।

    ज़िले में उद्योग ज़ोर-शोर से चल रहे हैं। प्रतिबंध के बावजूद, अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। औद्योगिक धुआँ वातावरण में एक मोटी परत बना रहा है, जिससे प्रदूषण की परत और गहरी हो रही है। GRAP प्रतिबंधों को लागू करने से प्रदूषण का स्तर कम हो सकता है।

    अधिकारियों ने इस मुद्दे पर उद्योगपतियों के साथ बैठकें भी कीं, लेकिन कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिले। ज़िले में निर्माण सामग्री खुलेआम बिक रही है। कई जगहों पर निर्माण कार्य भी चल रहे हैं। निर्माण सामग्री का परिवहन भी खुलेआम हो रहा है। ट्रॉलियों को ढका भी नहीं गया है। इससे प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। धूल के कण हवा में मिल रहे हैं, जिससे हवा और प्रदूषित हो रही है।

    अपनी सुरक्षा कैसे करें

    • खुली हवा में बाहर जाने से पहले मास्क पहनना न भूलें।
    • आँखों की सुरक्षा के लिए चश्मा पहनें।
    • ज़्यादा पानी पिएँ, जिससे प्रदूषण के दुष्प्रभाव कम होते हैं।
    • अपने घर के आसपास पानी छिड़कें और पौधों पर पानी छिड़ककर उन्हें साफ़ रखें।
    • अपनी कार की खिड़कियाँ बंद रखें और हेलमेट का वाइज़र बंद करके ही बाइक चलाएँ।
    • जर्जर सड़कों वाले इलाकों से वाहन चलाने से बचें और कूड़े में आग न लगाएँ।
    • बच्चों, बीमारों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को अत्यधिक प्रदूषित इलाकों में ले जाने से बचें।
    • अपने चेहरे और आँखों को बार-बार पानी से धोएँ।

    प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। जहरीली हवा स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है। ऐसे में मास्क पहनने सहित आवश्यक सावधानियां बरतें। स्थानीय निकायों को जर्जर सड़कों की मरम्मत और कचरा जलाने से रोकने के लिए कहा गया है। GRAP प्रतिबंधों को तुरंत लागू करने की आवश्यकता है। लापरवाही स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है।
    - डॉ. अशोक कुमार, मौसम विज्ञानी, जिला विज्ञान केंद्र, हापुड़।