गाय का पेट भरने को मिल रहा बकरी का चारा
जागरण संवाददाता हापुड़ भूखे गोवंश के पेट की आग बुझाने के लिए शासन ने 30 रुपये प्रतिदिन

जागरण संवाददाता, हापुड़ :
भूखे गोवंश के पेट की आग बुझाने के लिए शासन ने 30 रुपये प्रतिदिन प्रति गोवंश निर्धारित कर रखे हैं। इतने रुपयों में गोवंश तो दूर बकरी तक का हर रोज पेट भर पाना मुश्किल है। जनपद में आए दिन गोशालाओं में कभी भूसा तो कभी हरा चारा न मिलने के आरोप लगते हैं, लेकिन धनराशि कम होने के चलते गोवंशों को भरपेट चारा नहीं मिल पाता है।
बेसहारा घूमते गोवंश के लिए गोशालाएं और कांजी हाउस विकसित की गई हैं। विभिन्न क्षेत्रों से पकड़कर उन्हें यहां छोड़ दिया गया है। कई बार इनके चारे का संकट खड़ा हो जाता है। ऐसी स्थिति में कई गोवंश मर भी गए हैं। हालांकि उनकी मौत का कारण भूख नहीं माना गया। शासन स्तर से इनके चारे के लिए बजट भी मिलता है, लेकिन ये सिर्फ कहने के लिए है। क्योंकि जो दर निर्धारित हैं, उससे पेट भर पाना मुश्किल है। पशुपालकों का कहना है कि एक गोवंश प्रतिदिन कम से कम पांच किग्रा भूसा तो खाता ही है। ये भूसा सूखा नहीं खाया जा सकता। इसलिए कुछ नहीं तो इसमें भूसा और दाना तो मिलाना ही होता है। इसमें कम से कम 70 से 80 रुपये प्रति गोवंश का प्रतिदिन का खर्च है। ये तो सिर्फ पेट भरने के लिए है। दुधारू गोवंश पर तो कहीं अधिक खर्च होता है। शासन ने जो दर निर्धारित की है, इसमें बमुश्किल चार किग्रा सूखा भूसा ही आ सकता है, जिससे बकरी का भी पेट नहीं भर सकता।
दुधारू पशु का आहार
भूसा, भूसी के साथ ही दुधारू गोवंश के लिए प्रतिदिन कम से कम तीन किग्रा हरी चरी चाहिए। जोकि वर्तमान में पांच रुपये प्रति किग्रा है। इसके अतिरिक्त खल, नमक, दलिया, दाना भी डालना होता है।
-अरविद कुमार, पशु आहार विक्रेता क्या कहते हैं पशु पालक
दूधारी गाय का पेट भरने के लिए प्रतिदिन 120 रुपये से अधिक का खर्च होता है। सिर्फ सूखा भूसा कोई पशु नहीं खा सकता। इसमें कम से कम भूसा तो मिलाना ही पड़ेगा। ऐसे में न्यूनतम 70 से 80 रुपये तो एक गाय पर खर्च होंगे ही। इससे कम की खुराक से पशु भूखा ही रहेगा।
वीरपाल सिंह, पशुपालक -------- क्या कहते हैं अधिकारी
चार क्विंटल के पशु के लिए पांच से छह किलो भूसा, 10-15 किलो हरा चारा, आधा से एक किलो चुनी। ढाई से तीन क्विंटल के पशु के लिए चारा से पांच किलो भूसा, 10 किलो हरा चारा और आधा किलो चुनी होनी चाहिए। इसके अलावा दो क्विंटल या इससे कम वजन के पशु के लिए तीन से चार किलो भूसा, आठ किलो हरा चारा और आधा किलो चुनी जीवन निर्वाह के लिए होना अति आवश्यक है।
-डॉ. प्रमोद कुमार, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी जिले में गोशालाओं और उनमें संरक्षित गोवंश की स्थिति
जिले में कुल सात गोशलाएं स्थायी हैं। जबकि 36 गोशालाएं अस्थायी हैं। अब तक इनमें 2929 गोवंशों को पकड़कर संरक्षित किया जा चुका है। जिनमें 522 गोवंशों को मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के तहत गोपालकों को दिया गया है। जबकि 36 गोवंशों की विभिन्न कारणों से मौत भी हो चुकी है। शेष गोवंशों को गोशालाओं में संरक्षित किया गया है। जिनके भरण पोषण पर शासन स्तर से करीब तीन करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं।
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