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    हापुड़ में ही रहेंगे 16 गांव, GDA को देने से किया इनकार; गाजियाबाद सांसद बोले- गांवों को HPDA में रखना उचित

    Updated: Tue, 23 Sep 2025 08:24 AM (IST)

    गाजियाबाद और हापुड़-पिलखुवा प्राधिकरणों के बीच पिलखुवा क्षेत्र के 16 गांवों को लेकर विवाद है। जीडीए इन गांवों को वापस मांग रहा है पर एचपीडीए सहमत नहीं है। सांसद विधायक और स्थानीय लोग भी एचपीडीए के साथ हैं। उनका तर्क है कि गांवों का हापुड़ से जुड़ाव अधिक है और उन्हें जीडीए में शामिल करना उचित नहीं होगा। एचपीडीए ने भी गांवों को देने से इनकार कर दिया है।

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    गाजियाबाद के सांसद अतुल गर्ग की फाइल फोटो। सौजन्य- एक्स

    जागरण संवाददाता, हापुड़। एचपीडीए के अधिकार क्षेत्र के 16 गांव पर जीडीए अपना अधिकार जता रहा है। इसको लेकर दोनों प्राधिकरण आमने-सामने आ गए थे। एचपीडीए के अधिकारियों के साथ ही विधायक और पिलखुवा के चेयरमैन भी गांवों को देने के पक्ष में नहीं थे।

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    अब इनको सांसद का भी समर्थन मिल गया है। गाजियाबाद के सांसद अतुल गर्ग ने स्पष्ट किया है कि उक्त 16 गांवों को एचपीडीए में रखना ही न्यायोचित होगा। इन गांवों काे आर्थिक और सामाजिक रूप से जीडीए में शामिल करने का कोई औचित्य नहीं है।

    बार्डर एरिया के गांवों को लेकर गाजियाबाद विकास प्राधिकरण और हापुड़-पिलखुवा विकास प्राधिकरण आमने-सामने हैं। पिलखुवा क्षेत्र के 16 गांवों को एचपीडीए से जीडीए मांग रहा है। वहीं एचपीडीए इनको देने को तैयार नहीं है। वहीं जीडीए में लिए गए हापुड़ के तीन गांवों को भी वापस मांग रहा है।

    एचपीडीए में आ रहे 16 गांवों का मामला पहले भी अधिकारियों के सामने उठाया जा चुका है। इसको लेकर पिछले महीने भी वर्चुअल मीटिंग हुई थी। उसमें भी गांवों काे जीडीए को सौंपने से इंकार कर दिया गया था।

    अब एमएलए और वीसी ने इस मामले को लेकर मोर्चा खोल दिया है। वहीं गाजियाबाद के सांसद ने भी इन गांवों को हापुड़ में रखने पर जोर दिया है। इससे एचपीडीए की दावेदारी मजबूत हो गई है। वहीं एचपीडीए के वीसी ने भी इस मामले में अपनी ओर से अंतिम रिपोर्ट भेज दी है। जिसमें स्पष्ट किया गया है कि उक्त गांवों को सामाजिक व आर्थिक किसी भी दृष्टिकोण से जीडीए को देना न्यायसंगत नहीं है।

    हापुड़ जिला गाजियाबाद को काटकर बनाया गया था। यह गाजियाबाद जिले की एक तहसील होती थी। शासन ने 2011 में हापुड़ को जिला बनाने के साथ ही एक तहसील को तीन भागों में बांटकर तीन तहसील बना दीं। वहीं गाजियाबाद में जीडीए विकास का कार्य देख रहा था।

    उसके साथ ही हापुड़-पिलखुवा के नाम से दूसरा विकास प्राधिकरण बना दिया गया। यह छोटा विकास प्राधिकरण था, ऐसे में आसपास के ऐसे गांवों को भी इसमें शामिल कर दिया गया, जो गाजियाबाद जिले में पड़ते हैं। इसी क्रम में मोदीनगर क्षेत्र के पांच गांव और पिलखुवा क्षेत्र के 16 गांव भी एचपीडीए को मिले।

    मसूरी से सटे ये गांव गाजियाबाद जिले का हिस्सा होने के कारण जीडीए की सीमा में शामिल होने की मांग उठ रही है। इससे गाजियाबाद जिले की विकास की नई योजनाओं और उद्योगों के लिए जमीन मिल सकेगी। अधिकारियों के अनुसार गाजियाबाद और हापुड़ पिलखुवा की सीमा से होकर ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे गुजर रहा है।

    इस एक्सप्रेसवे के साथ ही पिलखुवा की तरफ से आर्बिटल रेल कारिडोर प्रस्तावित है। इस कारिडोर के लिए दृश्यता अध्ययन शुरू हो चुका है। नोडल जीडीए को बनाया गया है। ऐसे में विस्तारीकरण योजना के तहत जीडीए को विकास के लिए जमीन की आवश्यकता होगी।

    ऐसे में यह गांव जीडीए और एचपीडीए दोनों के लिए महत्वपूर्ण हो गए हैं। बोर्ड बैठक में जीडीए कई बार इन गांवों की मांग कर चुका है, जबकि एचपीडीए ने स्पष्ट इंकार कर दिया है। पिछले सप्ताह हुई जूम मीटिंग में भी एचपीडीए ने इन गांवों को सौंपने से स्पष्ट इंकार कर दिया।

    इन गांवों की मांग कर रहा है जीडीए

    मसूरी (गंगा कैनाल के पूर्व एवं पश्चिम का संपूर्ण क्षेत्र), नाहल, मोहउद्दीनपुर डबारसी, निडोरी, मसौता, शामली, अफसरशाहपुर, अतरौली, अव्वलपुर, जोया, कनकपुर, औरंगाबाद दतेड़ी, मुकिमपुर, ईशकनगर, नहाली व नगौला अमिरपुर।

    उक्त 16 गांव भले ही गाजियाबाद जिले में आते हों, लेकिन यह हापुड़ का हिस्सा हैं। यहां के लोगों को हापुड़ आने में 10 मिनट का समय लगता है, जबकि जीडीए में पहुंचने में एक घंटा। ऐसे में जनहित में भी इन गांवों को एचपीडीए में रखा जाना चाहिए। हम इसका विराेध करते रहे हैं। हमने मंडलायुक्त को फोन करके आपत्ति जता दी है।

    - धर्मेश तोमर- विधायक धौलाना

    सांसद अतुल गर्ग ने भी उक्त गांवों को एचपीडीए में रखने की पेशकस की है। दरअसल इन गांवों का भौगोलिक परिक्षेत्र ऐसा है, जिससे इनको एचपीडीए में आवागमन करने में सुलभ रहता है। वहीं प्राधिकरण की आर्थिक व क्षेत्रीय स्थिति से भी इनको हापुड़ प्राधिकरण में रखा जाए। विधायक धौलाना धर्मेश तोमर, चेयरमैन पिलखुवा विभु बंसल व सांसद गाजियाबाद अतुल गर्ग ने भी अपनी सहमति एचपीडीए के पक्ष में दी है। इस पर हमने अपना अंतिम पक्ष जारी कर दिया है कि उक्त गांवों को जीडीए को नहीं दिया जाएगा।

    - डॉ. नितिन गौड- वीसी - एचपीडीए