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    Hapur News: अभी राहत के नहीं आसार, तीन सप्ताह से गंगा का जलस्तर रेड अलर्ट के पार

    गढ़मुक्तेश्वर में गंगा नदी का जलस्तर तीन सप्ताह से खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है जिससे किनारे के गांवों में दहशत है। तिगरी बांध के कारण कटान का खतरा बढ़ गया है और गंगानगर बस्ती में पानी भर गया है। जलभराव से फसलें नष्ट हो गई हैं लोगों के घरों को खतरा है और चारा-पानी की समस्या बढ़ गई है।

    By Dhrub Sharma Edited By: Rajesh Kumar Updated: Tue, 26 Aug 2025 07:03 PM (IST)
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    गढ़मुक्तेश्वर में गंगा नदी का जलस्तर तीन सप्ताह से खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, गढ़मुक्तेश्वर। पहाड़ों और मैदानी इलाकों में भारी बारिश के चलते इस साल तीन सप्ताह पहले ही गंगा का जलस्तर खतरा बिंदु पार कर गया है। करीब 12 साल बाद गंगा का रौद्र रूप देखकर तलहटी के गांवों में रहने वाले लोग सहमे हुए हैं।

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    करीब तीन सप्ताह से गंगा रेड अलर्ट बिंदु से ऊपर बह रही है। तिगरी में बने बांध के कारण गंगा का पानी तेजी से गढ़मुक्तेश्वर की ओर कटान कर रहा है। ऐसे में कई गांव खतरे की जद में हैं। गंगानगर बस्ती में दो से तीन फीट पानी भरा है, जबकि चक लठीरा, कुदैनी की मंढैया समेत गंगा किनारे बसे कई गांवों और मजरों में कटान का खतरा बढ़ता जा रहा है।

    गढ़मुक्तेश्वर में गंगा की गोद में बसे नयागांव इनायतपुर, गड़ावली, आलमपुर भगवंतपुर, बागड़पुर, कुदैनी की मंढैया, रामपुर न्यामतपुर, शकरपुर, लठीरा, गंगा नगर टापू, नया गांव इनायतपुर, अब्दुल्लापुर, चक लठीरा, नया बांस आदि गांवों के जंगलों में जलभराव जैसे हालात बन गए हैं।

    तीर्थनगरी ब्रजघाट के निकट गंगा के टापू पर बसी गंगानगर बस्ती, गढ़ में कुदैनी की मंढैया, चक लठीरा और गड़ावली आदि के लोगों को सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। गंगानगर बस्ती में एक बार फिर दो से तीन फीट पानी भर गया है।

    आवागमन का मार्ग पूरी तरह से बंद हो गया है। लोगों के पास आवागमन का एकमात्र साधन नाव ही बचा है। लोगों के बीमार होने या अपनी जरूरत का सामान लाने के लिए आवागमन का एकमात्र साधन नाव ही है। लोग जलभराव के बीच गंगा के जलीय और जहरीले जीवों के बीच जान जोखिम में डालकर जीवन गुजार रहे हैं। इसी तरह, गंगा की तलहटी में बसे चकलथिरा, कुदैनी की मंढैया आदि गांवों में भी गंगा कटान ने लोगों की नींद उड़ा दी है।

    गंगा कटान से जान-माल का खतरा

    गंगा कटान और जलभराव से जहां हजारों एकड़ फसलें जलमग्न होकर नष्ट हो गई हैं, वहीं गांवों की ओर तेजी से बढ़ रहा गंगा का पानी ग्रामीणों में दहशत पैदा कर रहा है। मेहनत से बनाए गए घरों के गंगा के बहाव में समा जाने या जलभराव के कारण गिर जाने का खतरा मंडरा रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि गंगा का पानी हर दिन 10 से 20 मीटर गांव की ओर बढ़ रहा है। ऐसे में अब ग्रामीणों को अपने घरों के उजड़ने का भी डर सता रहा है।

    चारे और बीमारी का संकट गहराया

    अक्सर हर साल बरसात के मौसम में दो से तीन इंच गंगा का पानी गांव में रुक जाता था और फिर वापस लौट जाता था, लेकिन इस साल तीन हफ्ते से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन गंगा का पानी रेड अलर्ट बिंदु 199.00 से ऊपर बह रहा है। करीब 12 साल बाद गंगा नदी ने खतरा बिंदु 199.33 को पार कर 199.57 सेंटीमीटर के उच्चतम स्तर को छुआ है।

    ऐसे में गंगा की तलहटी में जलभराव, कटान और फसलों के नष्ट होने से यहां रहने वाले लोगों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है। एक दर्जन से अधिक गांवों में पशुओं के लिए चारा, शुद्ध पानी, भोजन, शौचालय आदि की व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। लोगों में वायरल और संक्रामक रोगों का प्रकोप बढ़ रहा है।

    गंगा के जलस्तर पर लगातार नजर रखी जा रही है। प्रशासन द्वारा लोगों को हर संभव मदद मुहैया कराई जा रही है। किसी भी खतरे की स्थिति में लोगों को बाढ़ चौकियों पर पहुंचने के लिए लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है।

    - श्रीराम यादव, एसडीएम