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    पिकनिक स्पॉट से कम नहीं गंगा स्नान मेला, युवा खूब कर रहे मस्ती; दिल जीत लेंगी ये तस्वीरें

    Updated: Tue, 04 Nov 2025 04:28 PM (IST)

    गढ़मुक्तेश्वर में कार्तिक पूर्णिमा गंगा स्नान मेला युवाओं के लिए पिकनिक स्पॉट बन गया है। गंगा की रेती पर युवा तैराकी और रेत के खेल का आनंद ले रहे हैं, जबकि महिलाएं और बुजुर्ग पूजा-पाठ में व्यस्त हैं। कुछ युवा ट्रैक्टर-ट्रॉली पर गाने बजाकर घूम रहे हैं। मेले में मुंडन संस्कार भी हो रहे हैं, जिससे आस्था और मनोरंजन का अनूठा संगम देखने को मिल रहा है।  

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    संवाद सहयोगी, गढ़मुक्तेश्वर (हापुड़)। कार्तिक पूर्णिका गंगा स्नान मेला युवाओं के पिकनिक बन गया। गंगा की रेती पर 10 दिन के लिए बसे तंबुओं के अस्थाई शहर में युवाओं गंगा की रेती में अठखेलियां कर रहे है। युवाओं गंगा में तैराकी का भी खूब लुत्फ उठा, तो नन्हें-मुन्ने रेत से घर-मंदिर आदि बनाने में लगे हुए है।

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    वहीं, कुछ युवा तो राजनीति पार्टियों के झंडे लगाकर ट्रैक्टर-ट्रॉली पर साउंड बजाकर मेले का भ्रमण कर रहे हैं। महिलाएं भी गानों की धुन पर खूब धमकती नजर आ रही हैं।

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    कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा किनारे लगने वाले मेेले में हर साल से कुछ नयापन दिखाई देने लगा है। क्योंकि मेले में युवा वर्ग अधिक आने लगा है। मेला पिकनिक का रूप लेता जा रहा है। इस बार भी गंगा की रेती का नजारा कुछ अलग है। आस्था तो सिरमौर है ही, साथ ही रेत के मैदान पर मस्ती के नजारे भी देखने को मिल रहे है। दस दिन तक बसने वाली तंबुओं की नगरी में महिलाएं और बुजुर्ग पूजा-पाठ में तल्लीन हो रहे। भोर से लेकर शाम तक प्रभु का स्मरण किया जा रहा।

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    वहीं, युवा मौज-मस्ती में वक्त बिता रहे। पानी में खड़े होकर मीनार बनाना, कलाबाजी करना, तैराकी रेस और पानी के बीच उछल-कूद करना युवाओं की दिनचर्या में शुमार हो गया। कुश्ती, बैडमिंटन से लेकर रेत के मैदान पर खूब मस्ती खेली जा रही है। नन्हें-मुन्ने रेत के ढीले, मंदिर और घर बनाने में व्यस्त दिखाई पड़ रहे हैं।

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    किसान नेता धर्मवीर ढबास का कहना है कि कुछ डेरों में तो ट्रैक्टर, डीजे पर मनोरंजन का आनंद ले रहे हैं। मेले में किसान रागनी कार्यक्रम में दिखाई पड़ रहे हैं। उन्होंने बताया अबकी बार गंगा मेले ने 40 साल बाद अपनी जगह का रूप लिया है। गंगा किनारा दिन प्रतिदिन मेला अपने रंग बदल रहा है।

    महिलाओं ने कलश लेकर बच्चों का कराया मुंडन संस्कार

    मेले पर मान्यता है कि अपने नवजात शिशुओं का मुंडन कराने आई महिलाएं अपने स्वजनों के साथ अपने सर पर कलश रख ढोल और बैंड बाजे के साथ गंगा तट पर जाती हैं और रीति रिवाज के साथ अपने बच्चों का मुंडन संस्कार कराया जाता है। मेले के अवसर पर सैकड़ों बच्चों को मुंडन संस्कार हुआ।

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    इस संस्कार कार्यक्रम में गाजियाबाद के आए किसान नेता धर्मवीर ढबास ने बताया उनके नाते देवांश चौधरी का मुंडन कराया गया हैं। इस दौरान नीरज चौधरी, ईशान चौधरी, आर्यन शामिल लोगों ने ब्राहम्ण और नाई को जहां दान दक्षिणा दी, वहीं जरूरतमंदो को भोजन व वस्त्र आदि का भी दान किया।