हापुड़ के लोगों को डेंगू-मलेरिया से बचाएंगी गंबूजिया मछलियां, जानिए कैसे मिलेगी बीमारी से राहत
डेंगू और वायरल फीवर का प्रकोप रोकने के लिए गंबूजिया मछलियों का सहारा लिया गया है। स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने बदायूं से मंगवाई गईं गंबूजिया मछलियों को ...और पढ़ें

गढ़मुक्तेश्वर (हापुड़) [प्रिंस शर्मा]। क्षेत्र डेंगू और वायरल फीवर का प्रकोप रोकने के लिए गंबूजिया मछलियों का सहारा लिया गया है। स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने बदायूं से मंगवाई गईं गंबूजिया मछलियों को 22 तालाबों में छोड़ा है। जहां जलभराव है, वहां भी इन मछलियों को छोड़ा गया है। ये मछलियां पानी में पनपने वाले मच्छरों के लार्वा और उनके अंडों को खा लेती हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रेखा शर्मा ने बताया कि अब तक करीब 2200 मछलियों को 22 तालाबों में छोड़ा जा चुका है। टीमों ने इन मछलियों को तालाबों में छोड़ा है।
विशेषज्ञों के मुताबिक गंबूजिया मछलियां मच्छरों के लार्वा को खाती हैं। इससे मच्छरों से डेंगू फैलने का खतरा कम होगा। जलभराव वाले स्थानों पर केरोसिन डालने से भी लार्वा नहीं होता है। उन्होंने बताया कि बरसात के मौसम में मच्छर जनित रोग जैसे डेंगू, मलेरिया व चिकनगुनिया के खतरे को भांपते हुए स्वास्थ्य विभाग ने तैयारियां शुरू कर दी हैं।
डॉ रेखा शर्मा ने बताया कि विभाग की ओर से मलेरिया फैलने के संभावित क्षेत्रों की पहचान करके वहां पर दवा का छिड़काव किया जा रहा है। इसको लेकर 18 अक्टूबर से अभियान चलेगा। इसमें लोगों को जागरूक करने पर ज्यादा जोर दिया जाएगा। साथ ही एंटी लार्वा स्प्रे, फोगिंग व पायरेथ्रम दवा का छिड़काव भी होगा। इसमें नगर निगम, ग्राम पंचायत का भी सहयोग होगा। गांवों में तालाबों व जोहड़ों में गंबूजिया मछली के बीज डाले जा रहे। ये मछलियां मच्छरों के लार्वा को खा जाती हैं, इससे पानी में मच्छर पनप नहीं पाते।
लार्वा खाकर डेंगू से बचाव में बनेगी सहायक
डॉ. रेखा शर्मा ने बताया कि गंबूजिया मछलियाें को तालाबों में डेंगू फैलाने वाले मच्छरों के लार्वा को खाने के लिए छोड़ा जा रहा है। यह पानी पर अंडे देने वाले मच्छरों के लार्वा को ही खाती हैं। मच्छर पैदा होने से पहले ही यह मछली लार्वा खा लेती हैं। एक गंबूजिया मछली 24 घंटे में 100 से 300 तक लार्वा खा सकती है। एक मछली एक महीने में करीब 50 से 200 अंडे देती है। एक मछली उम्र चार से पांच साल है। यह मछली डेंगू से लड़ाई में काफी हद तक सहायक साबित होती है। तालाबों को चिंहित करके मछलियों को डालने का काम चल रहा है।

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