अंडरपास निर्माण पर भड़के किसानों का जोरदार प्रदर्शन, प्रशासन के एकतरफा फैसले से थे नाखुश; बातचीत के बाद समाप्त
किसानों ने अंडरपास निर्माण के विरोध में प्रदर्शन किया, क्योंकि वे प्रशासन के एकतरफा निर्णय से असंतुष्ट थे। उनका आरोप था कि परियोजना उनकी जमीनों को प्रभावित करेगी। स्थानीय प्रशासन के साथ बातचीत के बाद, जिसमें उनकी चिंताओं को दूर करने का आश्वासन दिया गया, किसानों ने प्रदर्शन समाप्त कर दिया। प्रशासन ने परियोजना पर आगे बढ़ने से पहले सभी हितधारकों के साथ परामर्श करने का वादा किया।

अंडरपास निर्माण के विरोध में धरना देते ग्रामीण। जागरण
जागरण संवाददाता, हापुड़। गांव कनिया से बाबूगढ़ थाना होते हुए किठौर मार्ग तक जाने वाले मुख्य रास्ते पर रेलवे अंडरपास के निर्माण को लेकर प्रशासन के एकतरफा फैसले से गुस्साए किसानों और ग्रामीणों ने बृहस्पतिवार को जोरदार विरोध जताया।
भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के युवा जिला उपाध्यक्ष मनिंदर मसंद के नेतृत्व में सैकड़ों ग्रामीणों ने आपातकालीन धरना-प्रदर्शन शुरू किया, जो करीब चार घंटे तक चलने के बाद पुलिस-प्रशासन से वार्ता के बाद समाप्त हुआ।
ग्रामीणों का कहना है कि बिना किसी पूर्व सूचना या सहमति के निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया, जबकि यह मार्ग गन्ना ढुलाई की जीवनरेखा है और कनिया, बिगास, मलखपुर, मतनौरा, अटूता, औरंगाबाद, छतनौरा सहित आधा दर्जन गांवों की आवाजाही इसी पर निर्भर करती है। शाम को धरना स्थल पर पहुंचे बीकेयू नेता एकलव्य सिंह सहारा ने मौके पर ही प्रशासनिक अधिकारियों से वार्ता की।
ग्रामीणों ने दी बड़े धरने की चेतावनी
इस दौरान रेलवे इंस्पेक्टर राकेश यादव, थाना अध्यक्ष बाबूगढ़ मुनीष प्रताप चौहान और रेलवे इंजीनियर मौजूद रहे। वार्ता के बाद धरना अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया गया। ग्रामीणों ने साफ चेतावनी दी कि सहमति के बिना निर्माण दोबारा शुरू हुआ तो बड़ा आंदोलन होगा। एकलव्य सिंह सहारा ने कहा कि अंडरपास सुविधा के लिए है या परेशानी के लिए, यह ग्रामीण तय करेंगे।
ग्रामीणों की सहमति के बिना एक ईंट भी नहीं लगने दी जाएगी। पूरा जिला इस समय गढ़ मेले में डूबा हुआ है, कोई ठेकेदार या अधिकारी तनाव न बढ़ाए। पहले प्रधानों और ग्रामीणों की बैठक हो, सहमति मिले, तभी काम आगे बढ़े। ग्रामीणों का साफ संदेश था कि हमारा रास्ता, हमारी मर्जी, सहमति बिना निर्माण नहीं चलेगा।
धरने में संदीप सिद्धू, योगेंद्र सिद्धू, सुरेंद्र चौधरी, धीरेंद्र चौधरी, माहौर सिंह, शेखर चौधरी, जिशान चौधरी, पपेंद्र सिंह सहित सैकड़ों किसान और ग्रामीण मौजूद रहे।

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