टॉप बोरर और पोका बोइंग रोग से किसानों की उड़ी नींद
सबसे पहले इंडेंट जारी होने और सामान्य प्रजाति से अधिक रेट मिलने के कारण क्षेत्र में किसानों ने अगेती प्रजाति के गन्ने की हजारों बीघा बुआई की है परंतु ...और पढ़ें

संवाद सहयोगी, गढ़मुक्तेश्वर:
सबसे पहले इंडेंट जारी होने और सामान्य प्रजाति से अधिक रेट मिलने के कारण क्षेत्र में किसानों ने अगेती प्रजाति के गन्ने की हजारों बीघा बुआई की है, परंतु टॉप बोरर के साथ पोका बोइंग रोग फसल में नुकसान कर रहा है, जिसकी रोकथाम को किसान कृषि विशेषज्ञों की सलाह लेकर कीटनाशक का छिड़काव कर रहे हैं।
गन्ने की अगेती प्रजाति में टॉप बोरर के साथ पोका बोइंग रोग लगने से किसान परेशान चल रहे हैं, जो कृषि विशेषज्ञों की सलाह लेकर फसल में हो रही बर्बादी की रोकथाम को कीटनाशक का छिड़काव कर रहे हैं। सिभावली चीनी मिल के कृषि विशेषज्ञ विपिन बिश्नोई ने बताया कि क्षेत्र का जंगल, पश्चिमी उत्तर प्रदेश की गन्ना बेल्ट से जुड़ा अहम हिस्सा माना जाता है। दूसरी प्रजाति के गन्ने से पहले इंडेंट जारी होने और सामान्य प्रजाति के मुकाबले अधिक रेट मिलने के कारण किसानों ने इस बार अगेती प्रजाति वाली 0238 किस्म की हजारों बीघा बुआई की हुई है, जिसमें टॉप बोरर और पोका बोइंग कीट ऊपरी चोटी वाली पत्ती में छेद कर रहा है, जिससे पत्ती पीले रंग में तब्दील होकर झड़ने लगती हैं। पोका बोइंग रोग भी सामान्य तौर पर देखने में टॉप बोरर की तरह ही दिखाई देता है, परंतु यह फफूंदी से फैलने वाली बीमारी है, जिससे पत्तियों के साथ ही ऊपर वाली तीन चार पोरियां भी गल जाती हैं। किसान इसकी रोकथाम के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 500 ग्राम और रोको 500 ग्राम दवा को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें।
उन्होंने बताया कि इसके अलावा थायोफिनाइट मिथाइल 500 ग्राम प्रति एकड़ छिड़काव किया जा सकता है, जिससे गन्ने की अगेती प्रजाति में लगने वाले टॉप बोरर और पोका बोइंग रोग को समाप्त किया जा सकता है।

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