गढ़मुक्तेश्वर में खस्ताहाल सड़क से जनता त्रस्त, सिस्टम मस्त
गढ़मुक्तेश्वर में अंबेडकर गेट से मेरठ रोड कई सालों से जर्जर हालत में है। गड्ढों धूल और जलभराव से राहगीर परेशान हैं। स्कूली बच्चों को भी आने-जाने में दिक्कत हो रही है। स्थानीय लोगों ने कई बार प्रदर्शन किया पर समाधान नहीं हुआ। कांवड़ यात्रा के दौरान भी सड़क की मरम्मत नहीं हुई। अधिकारी सड़क को लोक निर्माण विभाग और राष्ट्रीय राजमार्ग के बीच फंसा हुआ बता रहे हैं।
ओम प्रकाश गौतम, गढ़मुक्तेश्वर। मुख्यमंत्री के गड्ढामुक्त सड़कों के दावों पर सिस्टम फेल साबित हो रहा है। तीर्थ नगरी गढ़मुक्तेश्वर में अंबेडकर गेट से मेरठ रोड पिछले कई सालों से जर्जर हालत में है। स्कूल आने-जाने वाले बच्चों और राहगीरों को गड्ढों, धूल और बरसात में जलभराव की वजह से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
धूल के कारण आबादी में बीमारियां फैलने का भी डर बना हुआ है। स्थानीय लोग कई बार धरना-प्रदर्शन कर चुके हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है।
गढ़मुक्तेश्वर के अंबेडकर गेट से मेरठ के दौताई मार्ग तक करीब तीन किलोमीटर का यह सफर बदहाल है। सड़क में गहरे गड्ढे होने से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा परेशानी शहर की आबादी के बीच मध्य गंगा नहर पटरी तक बने गहरे गड्ढों से हो रही है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांवड़ यात्रा के दौरान शिवभक्तों को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो, इसके लिए व्यवस्था करने के आदेश दिए थे, लेकिन कांवड़ यात्रा तो दूर, उसके बाद भी तीर्थनगरी गढ़मुक्तेश्वर के अंबेडकर गेट से मेरठ रोड की कोई सुध नहीं ले रहा है।
इस रोड पर प्रतिदिन कई स्कूलों के छात्र-छात्राएं और अन्य लोग आते-जाते हैं। जलभराव या अंधेरे में गड्ढों में फंसने से दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। भाकियू संघर्ष के कार्यकर्ताओं ने मेरठ रोड पर बने गड्ढों की मरम्मत करवाने के लिए कई बार धरना दिया, लेकिन सड़क की मरम्मत नहीं हो पाई।
छात्रों ने कहा
पिछले कई वर्षों से सड़क पर गड्ढे हैं। अब वाहनों के कारण गड्ढों में धूल उड़ती है, जिससे आम लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। कई बार बारिश होने पर जलभराव के कारण पैदल चलने वालों को आने-जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
- संजना, छात्रा
गढ़मुक्तेश्वर चौपला से मेरठ रोड का बुरा हाल है। कांवड़ यात्रा के दौरान एक चेपी लगाई गई थी जो बारिश में एक हफ़्ता भी नहीं टिक पाई। चेपी की मरम्मत पर लाखों रुपये खर्च किए गए।
- साक्षी, छात्रा
अधिकारी ने कहा
कांवड़ यात्रा के दौरान मरम्मत का काम किया गया था। जिसकी राशि का अनुमान नहीं है। उन्होंने बताया कि 1976 से पहले यह सड़क मेरठ ज़िले में बनी थी और लोक निर्माण विभाग के अधीन एक राज्य मार्ग थी। जब सड़क का विस्तार किया गया और इसे राष्ट्रीय राजमार्ग 709A घोषित किया गया, तो बाईपास बना दिया गया, जिससे यह सड़क लोक निर्माण विभाग और राष्ट्रीय राजमार्ग के बीच फंस गई है। राष्ट्रीय राजमार्ग के पीडी मेरठ रोड के पिचिंग कार्य की लागत नहीं बता पा रहे हैं
- राजकुमार सिंह, पीडी
मेरठ रोड पर गड्ढों की शिकायतें मिली हैं, जिनके समाधान के लिए लोक निर्माण विभाग को पत्र लिखा गया है। सड़क की मरम्मत कराकर जल्द ही समाधान निकाला जाएगा।
- श्रीराम यादव, एसडीएम
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