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    NCR में डीजल जनरेटर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध, भड़के उद्योगपतियों ने कहा- सरकार प्रदूषण रोके धंधे नहीं

    Updated: Sat, 08 Nov 2025 09:12 AM (IST)

    राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में डीजल जनरेटर के इस्तेमाल पर रोक लगने से उद्योगपति गुस्से में हैं। उनका कहना है कि सरकार को प्रदूषण कम करने के लिए कदम उठाने चाहिए, न कि कारोबार बंद करने चाहिए। उद्योगपतियों ने सरकार से प्रतिबंध हटाने या वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत देने की मांग की है। उनका कहना है कि वे प्रदूषण नियंत्रण के लिए जरूरी कदम उठा रहे हैं।

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    NCR में डीजल से चलने वाले जनरेटर के इस्तेमाल पर रोक।

    जागरण संवाददाता हापुड़। एनजीटी के निर्देश पर सरकार ने एनसीआर में ग्रेप प्रतिबंध के बाद डीजल से चलने वाले जेनरेटर का इस्तेमाल प्रतिबंधित कर दिया है। वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एनजीटी की शाखा सीएक्यूएम (सेंट्रल एयर क्वालिटी मैनेजमेंट) ने यह आदेश दो साल पहले दिया था।

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    तब से हर साल ग्रेप का तीसरा चरण लागू होते ही जेनरेटर पर प्रबंध लिए दिए जाते हैं। जिसके खिलाफ उद्योगपति एकजुट हो रहे हैं। हापुड़ में एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने इस निर्णय का पुरजोर विरोध करने का निर्णय लिया है।

    सरकार प्रदूषण रोके, धंधे नहीं

    उद्योगपतियों का कहना है कि सरकार को प्रदूषण रोकने को कदम उठाने चाहिए, उद्योग धंधे बंद करने को नहीं। जेनरेटर पर रोक लगाने से पहले उद्याेगों को 24 घंटे बिजली आपूर्ति देने की व्यवस्था करनी होगी।

    उद्योगपतियों की समस्या यह है कि शासन-प्रशासन उन्हें जरुरत के अनुसार बिजली उपलब्ध नहीं करा पा रहा है। ऐसे में जेनरेटर के बिना उद्योगों का सुचारू रूप से चला पाना संभव नहीं है। जेनरेटर बंद किए जाते हैं ताे उद्योगों में उत्पादन प्रभावित होगा।

    अगर उद्योगपतियों को 24 घंटे बिजली मिले तो वह स्वयं ही डीजल जेनरेटर नहीं चलाएंगे। डीजल जेनरेटर चलाने से माल तैयार करने का खर्च तीन गुना तक बढ़ जाता है। ऐसे में वह तो मजबूरी में ही जेनरेटर चलाते हैं।

    उद्योगपतियों की समस्या को अधिकारी गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। उद्योगपतियों ने क्यूसीएम आयोग के अधिकारियों से मिलने की योजना तैयार की है। वह जेनरेटर की सुविधा जारी रखने की मांग कर रहे हैं।

    पिलखुवा में सबसे ज्यादा हालत खराब

    विद्युत आपूर्ति की सबसे ज्यादा परेशानी पिलखुआ औद्योगिक क्षेत्र में हैं। वहां पर संसाधनों की कमी के चलते विद्युत सप्लाई प्रभावित हो रहती है। स्थिति यह है कि जर्जर विद्युत लाइन और ट्रांसफार्मर लोड नहीं उठा पाते हैं। जबकि तेज हवा चलने और वर्षा होने पर विद्युत आपूर्ति ठप हो जाती है।

    औद्योगिक क्षेत्रों की सप्लाई लाइन और ट्रांसफार्मर बदलवाने की मांग कई साल से की जा रही है। अभी तक इनपर काम शुरू नहीं किया गया है। पिछले दिनों ही धौलाना क्षेत्र में एक सप्ताह तक पावर सप्लाई सुचारू नहीं हो पाई थी।

    उत्पादन हो जाता है प्रभावित

    उद्योगों में उत्पादन लगातार पावर सप्लाई पर निर्भर करता है। सप्लाई बंद हो जाने पर उद्योगों के बायलर ठंडे होने लगते हैं। उनको दोबारा से गर्म करने में घंटों तक दोबारा फैक्ट्रियों को चलाना पड़ता है।

    ऐसे में बिजली कट होते ही तत्काल जेनरेटर चलाना जरूरी हो जाता है। जेनरेटर पर बंदिश लगने से उद्योगों के संचालन में परेशानी का सामना करना पड़ेगा।



     

    यदि पावर कट ना हो तो हमको जेनरेटर चलाने की जरूरत ही नहीं है। हम भी चाहते हैं कि डीजल जेनरेटर चलाने नहीं पड़ें। सरकार को पावर सप्लाई की व्यवस्था करा देनी चाहिए। इस संदर्भ में हमारा प्रतिनिधिमंडल पावर कारपोरेशन के अधिकारियों से मुलाकात करेगा।

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    सोनू चुग, पदाधिकारी - आल इंडिया इंडस्ट्रियल एसोसिएशन