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    वर्षा का पानी जमा करने के लिए तालाबों को कनेक्ट करने की नई पहल, कैच द रेन अभियान के तहत एक्सपर्ट की टीम ने किया दौरा

    Updated: Mon, 30 Jun 2025 03:45 PM (IST)

    केंद्र सरकार कैच द रैन अभियान के तहत गांवों और कस्बों के तालाबों को आपस में जोड़ने की योजना बना रही है। आईएएस दीपक श्रीवास्तव के नेतृत्व में बनी इस योजना का उद्देश्य वर्षा जल को संचय करना है। तालाबों को जोड़ने से एक तालाब के भरने पर अतिरिक्त पानी दूसरे में चला जाएगा। जिलाधिकारियों को दो महीने में कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।

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    प्रदेश में तालाबों को आपस में किया जाएगा कनेक्ट।

    ठाकुर डीपी आर्य, हापुड़: कैच द रैन अभियान के तहत शासन ने वर्षाजल के संचय को नई योजना तैयार की है। इसमें गांवों-कस्बों के तालाबों को आपस में जोड़ा जाएगा।

    जिससे किसी एक तालाब के ओवरफ्लो होने की स्थिति में उसका पानी अन्य तालाबों में जाकर संचय हो जाएगा। ऐसे में सभी तालाबों में जहां पानी रहेगा वहीं वर्षाजल बर्बाद होने से बच जाएगा।

    केंद्र सरकार के जलशिक्त मिशन अभियान के तहत इसका निर्णय लिया गया है। आईएएस दीपक श्रीवास्तव की अध्यक्षता में प्रदेश के दौरे पर आई एक्सपर्ट की टीम ने इसका प्रस्ताव तैयार किया है। सभी डीएम को दो महीने में इसकी कार्ययोजना तैयार करनी होगी।

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    स्थानीय स्तर पर भूजल संचय योजनाओं के परिणाम नहीं मिले

    वर्षाजल का ज्यादातर हिस्सा नालों-नदियों से बहकर दूर निकल जाता है। स्थानीय स्तर पर भूजल संचय की योजनाओं का अपेक्षित परिणाम नहीं मिल रहा है।

    वर्षाजल के संचय का सबसे अच्छे साधन तालाब और पोखर हैं। पिछले दो दशक में गांवों-कस्बों की भौगोलिक स्थितियों में बदलाव आया है।

    पहले तालाब और पोखर उस दिशा में बनाए जाते थे, जिस ओर पानी का बहाव होता था। अब नई आबादी कई ऐसे क्षेत्रों में बस गई हैं, जहां से तालाबों का जल संचय मार्ग प्रभावित होता है।

    ऐसे में जहां बड़े क्षेत्र का पानी तालाबों तक नहीं पहुंच पाता है, वहीं कई तालाबों बड़े आबादी क्षेत्र के पानी को संग्रहीत नहीं कर पाते हैं। दोनों ही स्थिति में वर्षाजल का संचय कम होता है और बेकार बहता ज्यादा है।

    जल शक्ति मंत्रालय की टीम ने तैयार की है योजना

    इसके लिए जल शक्ति मंत्रालय की एक्सपर्ट टीम ने नई योजना तैयार की है। इसके तहत तालाबों को आपस में जोड़ा जाएगा।

    गांवों - कस्बों के चारों ओर एक नाला-नाली बनाने की तैयार है, जो सभी तालाब-जोहड़ से कनेक्ट होगी। ऐसे में एक तालाब के ओवरफ्लो होने पर पानी न तो बहकर नष्ट होगा और न ही आबादी क्षेत्र में प्रवेश करेगा।

    वह नाला-नाली से होकर दूसरे तालाबों में जाकर संचय हो जाएगा। वहीं आबादी के चारों ओर फैले नाला-नाली में वर्षा का जल एकत्र होकर भी तालाबों तक पहुंच सकेगा।

    अगले मानसून से पहले करना होगा निर्माण

    इसके लिए जिलाधिकारी राजस्व विभाग ने नाला-नाली तैयार कराने की कार्ययोजना दो महीने में तैयार कर लेंगे। अगले साल मानसून से पहले इनका निर्माण कराना होगा।

    भारत सरकार के पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के निदेशक वेस्ट यूपी के नोडल अधिकारी आइएएस दीपक श्रीवास्तव व वैज्ञानिक डा. रंजीत कुमार ने इसके निर्देश जारी किए हैं।

    केंंद्र की टीम प्री-मानसून दौरे पर आई थी। अब पोस्ट-मानसून दौरे पर फिर आएगी। कैच द वाटर अभियान के तहत वर्षाजल को संचय करने की कार्ययोजना पर गहनता से मंथन किया गया है। उसमें तालाबों को आपस में जोड़ने की याेजना तैयार की गई है। इसको प्रदेशभर में प्रभावी किया जाना है। ज्यादातर गांवों में स्थिति यह है कि एक दिशा के तालाब ओवरफ्लो हो जाते हैं। जिससे उनका पानी बेकार में बहता रहता है या बस्तियों में घुस जाता है। वहीं दूसरी ओर के तालाब सूखे पड़े रहते हैं। हमारे यहां पर लुकराड़ा व नली-हुसैनपुर में तालाबाें को ग्रामीणों से पहले ही इस तरह से इंटर कनेक्ट किया हुआ है।

    - हिमांशु गौतम - मुख्य विकास अधिकारी-हापुड़