बसपा में क्यों मचा घमासान? हापुड़ में दो नेताओं को किया निष्कासित; सामने आई बड़ी वजह
हापुड़ में बसपा के जिलाध्यक्ष पद को लेकर घमासान मचा है। दो पूर्व जिलाध्यक्षों को पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में निष्कासित कर दिया गया है। निष्कासित नेताओं ने हाईकमान के सामने अपना पक्ष रखने की तैयारी की है। पार्टी में पहले भी जिलाध्यक्ष पद को लेकर उठापटक हो चुकी है, जिससे कार्यकर्ताओं में निराशा है।

जागरण संवाददाता, हापुड़। बसपा में जिलाध्यक्ष पद के लिए प्रतिस्पर्धा की तकरार अब सड़क पर आ गई है। जिलाध्यक्ष बनने की जोड़-तोड़ में शामिल दो पूर्व जिलाध्यक्ष को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।
पहले जिलाध्यक्ष बनने पर केपी सिंह को एक सप्ताह बाद ही पद से हटा दिया गया था, अब पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप उन पर लगे हैं। वहीं, पार्टी से निकाले गए दोनों पूर्व जिलाध्यक्ष ने हाईकमान के सामने अपना पक्ष रखने और बेवजह के आरोप लगाने जाने के साक्ष्य प्रस्तुत करने की तैयारी कर ली है। ऐसे में बसपा में पदाधिकारियों के साथ ही कार्यकर्ताओं में भी तकरार बढ़ती नजर आ रही है।
प्रदेश में लंबे समय तक सत्ता में रही बसपा अब जिले में चौथे नंबर का राजनीतिक दल होकर रह गया है। पिछले कई चुनावों में लचर प्रदर्शन के बाद कार्यकर्ताओं में भी उदासीनता की स्थिति है। कांग्रेस, सपा और भाजपा भी बसपा के परंपरागत मतदाताओं काे लुभाने में लगे हैं।
वहीं, पार्टी को सबसे ज्यादा नुकसान चंद्रशेखर की आजाद पार्टी से होता नजर आ रहा है। ऐसे में खुद संभलने और संगठन को मजबूत करने की बजाय बसपा में जिलाध्यक्ष पद को लेकर चल रही मारामारी थमने का नाम नहीं ले रही है।
बसपा के वरिष्ठ नेता डॉ. एके कर्दम कई बार जिलाध्यक्ष रह चुके हैं। पिछले दिनों बसपा ने उनको हटाकर समर्पित बसपा नेता एड. केपी सिंह को जिलाध्यक्ष बना दिया था। अभी उन्होंने ठीक से कार्यभार संभाला भी नहीं था कि एक ही सप्ताह में पार्टी हाईकमान ने उनको पद से हटा दिया। वहीं, तीसरी बार डॉ. एके कर्दम पर ही विश्वास जताया गया। एक बार को लगा कि पार्टी में अब उठापटक थम गई है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, जिलाध्यक्ष पद को लेकर राजनीतिक गोटियां बिछाई जा रही थीं। डॉ. एके कर्दम को दो पूर्व जिलाध्यक्ष केपी सिंह और तिलक चौधरी से चुनौती मिलने के कयास लग रहे थे। इसी बीच चौंकाने वाला निर्णय लिया गया। बसपा के दोनों पूर्व जिलाध्यक्ष को बाहर की राह दिखा दी गई। हालांकि, सूत्रों का दावा है कि पार्टी सुप्रीमों के एक रिश्तेदार से नजदीकी के आरोपों के चलते यह निर्णय लिया गया है।
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बसपा में अनुशानहीनता को स्वीकार नहीं किया जाता है। दोनों नेता पार्टी गाइडलाइन का पालन नहीं कर रहे थे। उनके कार्यों से पार्टी को नुकसान हो रहा था। जिसके चलते केपी सिंह और तिलक चौधरी को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है। - डॉ. एके कर्दम, जिलाध्यक्ष बसपा
हमको यह तो बताया जाए कि कौन सी गतिविधि पार्टी विरोधी रही हैं। हम बसपा के समर्पित सिपाही हैं। पार्टी का काम कर रहे हैं और करते रहेंगे। पार्टी हाईकमान के सामने अपना पक्ष रखकर स्थिति जरूर स्पष्ट करेंगे। - एड. केपी सिंह, पूर्व जिलाध्यक्ष

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