आयुर्वेदिक दवा निर्माण को लाइसेंस जरूरी, बिक्री बिना लाइसेंस
हमीरपुर, जागरण प्रतिनिधि : एलोपैथिक दवाओं के साथ ही रोगियों का आयुर्वेदिक दवाओं की ओर ध्यान बढ़ा है। मगर योग्य डाक्टरों की कमी के चलते वे परेशान हैं।
आयुर्वेदिक दवाओं की बिक्री के लिये कोई लाइसेंस नहीं दिया जाता। जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में वैद्य हकीम अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं। इसके अलावा झोलाछाप डाक्टर भी आयुर्वेदिक दवाओं की आड़ में एलोपैथिक दवाओं का प्रयोग कर अपनी कमाई कर रहे हैं। मगर स्वास्थ्य विभाग इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
जनपद में जगह-जगह वैद्य हकीम नजर आ रहे हैं और आयुर्वेदिक दवाओं का प्रयोग कर रहे हैं। क्योंकि आयुर्वेदिक दवाओं की बिक्री के लिये कोई लाइसेंस की जरूरत नहीं है। आयुर्वेदिक दवाओं की लाइसेंस की जरूरत न होने पर झोलाछाप डाक्टर भी इसकी आड़ में अपनी प्रैक्टिस कर रहे है।
क्या कहते है मुख्य चिकित्साधिकारी
मुख्य चिकित्साधिकारी डा. ए आर सिद्दीकी ने बताया कि बीएएमएस डिग्री धारक अपनी प्रैक्टिस कर रहे हैं और पूछे जाने पर कहते हैं कि हमें आयुर्वेदिक दवाओं के अलावा एलोपैथिक दवाओं को भी ज्ञान है। लेकिन जब तक कार्यालय में किसी का पंजीकरण नहीं होता, तब तक कोई भी डाक्टर अपनी प्रैक्टिस नहीं कर सकते।
ड्रग इंस्पेक्टर बोले
ड्रग इंस्पेक्टर राजीव जिंदल ने बताया कि आयुर्वेदिक दवाओं की बिक्री के लिये कोई लाइसेंस की जरूरत नहीं होती, लेकिन कोई निर्माण नहीं कर सकता। निर्माण करने के लिये लाइसेंस की जरूरत होती है।
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