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    नई तकनीक का प्रयोग कर पाएं धान का अधिक उत्पादन

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 27 Jun 2021 04:55 PM (IST)

    संवाद सूत्र कुरारा कृषि विज्ञान केंद्र की कृषि वैज्ञानिक डा. शालिनी ने नई तकनीकि अपना क

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    नई तकनीक का प्रयोग कर पाएं धान का अधिक उत्पादन

    संवाद सूत्र, कुरारा : कृषि विज्ञान केंद्र की कृषि वैज्ञानिक डा. शालिनी ने नई तकनीकि अपना कम लागत व भूजल की बचत कर धान का अधिक उत्पादन प्राप्त करने के संबंध में किसानों को जानकारी दी। इसके लिए उन्होंने धान की रोपाई के बजाय सीधे बोआई करने की सलाह दी। ताकि समय से फसल उत्पादन के बाद खेत दूसरी फसलों के लिए खाली हो जाएगा।

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    सूखाग्रस्त इलाके की पहचान रखने वाले बुंदेलखंड के हमीरपुर जनपद में किसानों का धान की खेती के प्रति लगाव बढ़ा है। जबकि पानी की समस्या को देखते हुए यह क्षेत्र में दलहनी व तिलहनी फसलों की खेती के योग्य ही माना जाता है। ताकि कम पानी वाली फसलों के उत्पादन से भूजल की बचत हो। कृषि विज्ञान केंद्र कुरारा में कार्यरत डा. शालिनी ने किसानों को बताया कि धान की खेती करने वाले किसानों को कम लागत व भूजल की बचत करते हुए अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए नई तकनीकि बताई। उन्होंने इसका उत्पादन जलभराव वाले खेत में करने पर जोर दिया। साथ ही बताया कि खेती में कम लागत के लिए किसान धान की सीधी बोआई करें। जिससे रोपाई करने की तुलना में फसल समय से तैयार हो जाती है। जिससे खेत खाली होने पर किसान अगली फसल ले सकता है। सीधी बोवाई मानसून से पहले करने की सलाह दी।

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    किस्म के हिसाब से बोआई की मात्रा निर्धारित

    बताया कि मोटे धान वाली किस्म के लिए 30 से 35 किलोग्राम, मध्यम धान की किस्म 25 से 30 किलोग्राम व छोटे महीन दाने वाले धान की किस्म का 20 से 25 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर बोआई के लिए पर्याप्त रहता हैं। बोवाई से पूर्व बीज का उपचार अवश्य करें तथा खेत की तीन से चार बार जोताई कर खेत को तैयार करें। इसके बाद सीड्रिल से 3 से 5 सेंटीमीटर गहराई में सीधी बोवाई कर सकते हैं।

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    उचित मात्रा में खाद का प्रयोग

    सीधी बोआई वाली धान की फसल में 80 से 100 किलो नाइट्रोजन, 40 किलो फास्फोरस व 20 किलो पोटाश की जरूरत प्रति हेक्टेयर पड़ती है। यूरिया का प्रयोग टॉप ड्रेसिग के रूप में करना चाहिए। जब पौध निकल आए। वही म्यूरेट ऑफ पोटाश का प्रयोग अंतिम जोताई में करना चाहिए। धान की सीधी बोवाई के बाद सिचाई करनी चाहिए। चार पांच दिन बाद फिर सिचाई करनी चाहिए।

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    खरपतवार नियंत्रण का रखे ध्यान

    सीधी बोवाई में खरपतवार की अधिक समस्या होती है। इसके लिए उचित प्रबंधन करना चाहिए। बोवाई के तीन दिन बाद खरपतवार के नियंत्रण के लिए पेड़ी मेथलीन एक से तीन लीटर प्रति एकड़ स्प्रे करें।