मिलकर ही रहता शुभ-अशुभ कर्मो का फल
राठ, (हमीरपुर) संवाद सहयोगी: स्थानीय श्री मेला जलविहार समिति के मंच पर चल रही श्रीकृष्ण कथा के दूसरे ...और पढ़ें

राठ, (हमीरपुर) संवाद सहयोगी: स्थानीय श्री मेला जलविहार समिति के मंच पर चल रही श्रीकृष्ण कथा के दूसरे दिन वृन्दावन धाम से आई श्रीकृष्ण कथा विदुषी कीर्ति किशोरी जी ने कहा कि प्राणियों को अपने किए शुभ अशुभ कर्मो का फल भोगने के लिये बार बार पृथ्वी पर जन्म लेना पड़ता है।
मेला जलविहार द्वारा आयोजित श्रीकृष्ण कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन की कथा में वाणों की शैया पर लेटे भीष्म पितामह के जीवन के अंतिम दिनों का वर्णन करते हुए कथा विदुषी कीर्ति किशोरी जी ने उनके पूर्व जन्म की कथा का बृतांत सुनाया। बताया कि भीष्म पितामह द्वारा नागिन को काटों में फेंकने के कारण ही उनको भी वाणों की शैया पर लेटना पड़ा। भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन कर कीर्ति किशोरी द्वारा श्रोताओं को भाव विहोर कर दिया गया। कथा के आरंभ में आकाशवाणी मथुरा के पूर्व वरिष्ठ उदघोषक राधा विहारी गोस्वामी ने भागवत ज्ञान यज्ञ की महत्ता एवं भगवत विदुषी का परिचय कराया। यज्ञाचार्य पंडित अरूण कुमार कौशिक एवं पंडित रामानुज के द्वारा वैदिक विधविधान से देवार्चन कराया गया। भागवत विदुषी ने कहा कि भगवान के 24 अवतार हुए है जिसमें 24वां अवतार भगवान कलयुगी का होगा। भागवत में भगवान श्रीकृष्ण ब्रम्हीन होकर उसी में समा गए। भागवत शास्वत श्री कृष्ण है, इसके सुनने से सभी पापों का नाश होता है। कथा में जलविहार समिति के अध्यक्ष केजी अग्रवाल, पंकज सोनी,मनोज सोनी, प्रदीप सोनी, बारेलाल गुप्ता,गिरीश अग्रवाल, नीरज अग्रवाल,काशीप्रसाद गुप्ता, प्रमोद बजाज, राजीव सोनी, रमेशचन्द्र सर्राफ आदि मौजूद रहे।

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