हकामा करेगा खरपतवार को दूर
हमीरपुर, जागरण संवाददाता: मिंट्टी परीक्षण के लिए खेत के अंदर जैसे नमूना लेना चाहते हैं तो वहां छह इंच लंबा, चार इंच चौड़ा और छह इंच गहरा गढ्डा कर लें। उसकी मिंट्टी निकाल कर बाहर फेंके, इसके बाद उसके किनारों की मिंट्टी छील लें। उसे एक थैली में भर लें। जागरण कार्यालय में जागरण प्रश्न प्रहर कार्यक्रम के दौरान मो. हबीब खान, अध्यक्ष जनपदीय मृदा परीक्षण केंद्र हमीरपुर, ने किसानों के प्रश्नों का उत्तर दिया।
प्रश्न: खेतों में इस समय खरपतवार और चटरी-मटरी खूब बढ़ गई है, इसकी रोकथाम के लिए क्या करें। जगदंबा प्रसाद, शेखूपुर।
उत्तर: पहली जुताई करते हैं इसके बाद दूसरी जुताई करते हैं तो इसमें खरपतवार रुकावट के लिए बुआई से पहले हकामा या फिर पेंडामेथिलिन दवा का छिड़काव कर दें।
प्रश्न: खेत में मिंट्टी का नमूना कब और कैसे लें। महेश्वरीदीन, राठ।
उत्तर: मिंट्टी का नमूना लेने से पहले खेत में उस स्थान की सफाई करें, जहां नमूना लेना चाहते हैं। छह इंच लंबा, चार इंच चौड़ा और छह इंच गहरा गढ्डा कर लें। उसकी मिंट्टी निकाल कर बाहर फेंके, इसके बाद उसके किनारों की मिंट्टी छील लें। उसे एक थैली में भर लें। इसके बाद अपना नाम लिखी दो पर्चियां जिसमें एक थैली के अंदर डाल दें, एक बाहर साथ में बांध दें। इसे अपने नजदीकी प्रयोगशाला में जांच के लिए दे सकते हैं।
प्रश्न: खेत ऊसर हो रहा है, उसके बचाव के लिए क्या करें। संतराम, धमना।
उत्तर: खेत की जुताई से पहले प्रति बीघा एक बोरी जिप्सम का छिड़काव कर दें, इसके अलावा खेत को उपजाऊ बनाने के लिए बारिश के समय उसमें ढेंचा की बुआई कर दें। खेत में ही उसे बखर दें।
प्रश्न: खेत में कई स्थानों पर पौध नहीं उग पाते हैं। प्रमोद कुमार, एडवोकेट राठ।
उत्तर: आप खेत का सबसे पहले मृदा परीक्षण करवाएं। राठ में बारह खंभे के पास प्रयोगशाला है। खेत में जहां चांद जैसे जमीन हो वहां का नमूना अलग लेना, साथ ही खेत में ढलान और ऊंचाई वाले स्थान की मिंट्टी का नमूना अलग-अलग लेना है। साथ ही बारिश के समय खेत में ढेंचा या फिर सनई की बुआई करवाएं। चालीस दिन बाद उसे खेत में ही जुतवा दें। गोबर की खाद भी डाल सकते हैं। साथ ही जिप्सम का छिड़काव पहली बुआई के बाद कर दें।
प्रश्न: हमारे खेत में फसल कभी-कभी सूखने लगती है। देवनारायन सिंह, इचौली।
उत्तर: जब हम बीज बोते हैं तो पता कर लेना चाहिए कि बीज सही है या नहीं। बोने से पहले हम बीज की जनरेशन देखते हैं, कि कितने प्रतिशत है। इसके बाद हम उस बीज का उपचार करते हैं, इसके लिए ट्राईकोडरमा दवा एवं पीएसबी कल्चरों के द्वारा बीजोपचार करके बुआई करते हैं। शोधन के समय दवा का मानक के अनुसार ही प्रयोग करें। इससे उकटा आदि रोगों से छुटकारा मिल जाता है।
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