नए जिलाध्यक्षों से भाजपा ने साधा जातीय समीकरण, यहां देखें किस जिले में किस जाति को दिया गया महत्व Gorakhpur News
गोरखपुर क्षेत्र के सांगठनिक 12 जिलों में नौ के लिए सूची जारी हुई है और उससे सात को साधने का प्रयास सीधे तौर पर दिख रहा है। इसमें सवर्ण से लेकर अनुसूचित जाति तक शामिल हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। जिलाध्यक्षों के नाम की घोषणा से भाजपा ने एक बार फिर विपक्षी सपा व बसपा को कमजोर करने कोशिश की है। जारी जिलाध्यक्षों की सूची देखकर इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है कि इसके माध्यम से पार्टी ने जातीय समीकरण साधने की कोशिश की है।
सभी जातियों को महत्व
गोरखपुर क्षेत्र के सांगठनिक 12 जिलों में नौ के लिए सूची जारी हुई है और उससे सात को साधने का प्रयास सीधे तौर पर दिख रहा है। इसमें सवर्ण से लेकर अनुसूचित जाति तक शामिल हैं।
गोरखपुर महानगर में राजेश गुप्ता, बलिया में जयप्रकाश साहू और मऊ में प्रवीण गुप्ता को जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी देकर पार्टी ने व्यापारी वर्ग को संतुष्ट करने का प्रयास किया है तो गोरखपुर में युधिष्ठिर सिंह सैंथवार पर भरोसा जताकर इस जिले में बहुतायत वाली इस बिरादरी को महत्व दिया है। आजमगढ़ में धु्रव सिंह को जिलाध्यक्ष बना ठाकुर जाति का भरोसा जितने की कोशिश की है तो लालगंज में ऋषिकांत राय और बस्ती में महेश शुक्ला को जिम्मेदारी देकर भूमिहार और ब्राह्मण को पाले में बनाए रखने का प्रयास किया है। महराजगंज में अनुसूचित जाति के परदेशी रविदास और सिद्धार्थनगर में गोविंद माधव को जिलाध्यक्ष बनाकर जातीय समीकरण साधने की रही-सही कसर पूरी की गई है।
नौ में से सात निवर्तमान तो एक पूर्व महामंत्री
नव निर्वाचित अध्यक्षों की राजनीतिक प्रोफाइल पर अगर गौर करें तो क्षेत्र के नौ जिलाध्यक्षों में से आठ अपने-अपने जिले में जिला महामंत्री की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। गोरखपुर के राजेश गुप्ता व युधिष्ठिर सिंह, महाराजगंज के परदेशी रविदास, मऊ के प्रवीण गुप्ता, बलिया के जय प्रकाश साहू और लालगंज के ऋषिकांत राय अध्यक्ष बनने तक जिला महामंत्री रहे हैं तो बस्ती के महेश शुक्ला पिछले कार्यकाल में यह दायित्व संभाल चुके हैं। सिद्धार्थनगर के अध्यक्ष गोविंद माधव यादव गोरखपुर क्षेत्र के मंत्री का दायित्व संभाल रहे थे।
सामाजिक समीकरण के साथ देखी गई सक्रियता : डॉ. धर्मेंद्र
भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष डॉ. धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि जिलाध्यक्ष के चयन में पार्टी ने सामाजिक समीकरण का तो ध्यान रखा ही है, कार्यकर्ताओं की सक्रियता और प्रतिबद्धता का आकलन भी किया है। सभी चुने गए पदाधिकारी लंबे समय से पार्टी द्वारा दिए गए दायित्व को पूरी जिम्मेदारी के साथ निभाते रहे हैं।