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    कब हुआ चौरी-चौरा कांड, नहीं बतातीं NCERT की किताबें- तथ्य के नाम पर दर्ज है केवल यह दो शब्‍द

    चौरीचौरा कांड के 100 वर्ष पूरे होने वाले हैं और प्रदेश सरकार शताब्दी महोत्सव मनाने की तैयारी में जुटी है। पर इस घटना के तथ्यों से छात्र-छात्राएं परिचित नहीं हो पाते हैं। एनसीईआरटी की इतिहास की किताबों में चौरीचौरा के बारे में अधूरी बात पढ़ाई जाती है।

    By Pradeep SrivastavaEdited By: Updated: Wed, 03 Feb 2021 01:32 PM (IST)
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    एनसीईआरटी की किताबों में चौरी-चौरा कांड के बारे में अधूरी जानकारी दी गई है। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

    गोरखपुर, उमेश पाठक। चौरीचौरा कांड के 100 वर्ष पूरे होने वाले हैं और प्रदेश सरकार शताब्दी महोत्सव मनाने की तैयारी में जुटी है। पर, इस घटना के तथ्यों से छात्र-छात्राएं परिचित नहीं हो पाते हैं। अपनी विश्वसनीयता के लिए जानी जाने वाली राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की इतिहास की किताबों में चौरीचौरा के बारे में अधूरी बात पढ़ाई जाती है। असहयोग आंदोलन के साथ उसका जिक्र जरूर आता है लेकिन किताब यह नहीं बताती कि वास्तव में यह घटना किस तारीख को हुई थी। हाईस्कूल हो या इंटरमीडिएट की किताब, दोनों में तथ्य के नाम पर केवल फरवरी 1922 ही दर्ज है।

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    तथ्य के नाम पर दर्ज है केवल फरवरी 1922

    चौरी-चौरा कांड भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास की यह महत्वपूर्ण घटना है। जब भी असहयोग आंदोलन व महात्मा गांधी की बात होती है, इस घटना का जिक्र जरूर आता है। लेकिन एनसीईआरटी की किताब में घटना के साथ अधूरे तथ्य परोसे जाते हैं। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) बोर्ड की 10वीं कक्षा में पढ़ाई जाने वाली इतिहास की किताब 'भारत और समकालीन विश्व भाग दो' हो याइंटरमीडिएट में पढ़ाई जाने वाली 'भारतीय इतिहास के कुछ विषय भाग तीन', दोनों ही किताब में चौरी चौरा कांड का जिक्र करते हुए फरवरी 1922 ही तथ्य के रूप में बताया गया है।

    जूनियर स्तर पर पढ़ाई जाने वाली कक्षा आठ की किताब 'हमारा अतीत भाग तीन' में भी तारीख नहीं दी गई है। जबकि इंटरमीडिएट में पहले पढ़ाई जाने वाली मार्डन इतिहास में चौरी चाैरा कांड की तिथि पांच फरवरी दर्ज थी। तथ्यों की कसौटी पर यह तिथि गलत साबित हो चुकी है। एनसीईआरटी ही नहीं प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए प्रतिष्ठित मानी जाने वाली इतिहास की किताबों में भी गलत तिथि यानी पांच फरवरी दर्ज है।

    चार फरवरी 1922 को हुई थी घटना

    चौरी चौरा की घटना चार फरवरी 1922 को हुई थी। चौरी चौरा शहीद स्मारक पर यही तिथि दर्ज है। इस घटना के बाद चले मुकदमे के दस्तावेजों में भी यही तारीख मिलती है। यही कारण है कि प्रदेश सरकार भी इसी तिथि से शताब्दी महोत्सव शुरू करने जा रही है।

    एनसीईआरटी की सभी किताबों में चौरी चौरा की घटना की तारीख नहीं दी गई है। बच्चों को पढ़ाया जाता है कि यह घटना फरवरी 1922 में हुई थी। इस घटना के प्रभाव के कारण महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन को स्थगित कर दिया था। - शशि चतुर्वेदी, आर्मी पब्लिक स्कूल में इतिहास की शिक्षक