गिद्धराज का सुरक्षित ठिकाना बनेगी तराई, गोरखपुर में बनेगा गिद्ध संरक्षण केंद्र
तराई के 14 जिलों को गिद्धों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करने की तैयारी की जा रही है। गिद्धों की मौजूदगी यहां के आबोहवा को शुद्ध करेगी। गोरखपुर में इसके लिए गिद्ध संरक्षण केन्द्र बनाने की तैयारी की जा रही है।

गोरखपुर, जितेन्द्र पाण्डेय। पर्वतराज हिमालय का मैदानी भाग (तराई) आने वाले दिनों में गिद्धराज का सुरक्षित ठिकाना बनेगा। तराई के 14 जिलों को गिद्धों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार किया जाएगा। ताकि यहां गिद्धों की संख्या बढ़े। उनकी मौजूदगी यहां के आबोहवा को शुद्ध करेगी। प्रदेश सरकार का यह प्रयास यहां रहने वाले लोगों के लिए किसी बड़ी सौगात से कम नहीं होगा।
नेपाल से सटे जिलों की आबोहवा को शुद्ध करेंगे गिद्ध
गोरखपुर से करीब 35 किलोमीटर की दूरी पर भारीवैसी में गिद्ध संरक्षण केंद्र स्थापित किया जा रहा है। प्रदेश सरकार की तैयारी है कि संरक्षण केंद्र के साथ-साथ यह तराई गिद्धों के सुरक्षित ठिकाने के रूप में जानी जाए। सरकार की मंशा को ध्यान रखते हुए वन विभाग, कृषि विभाग, पशु पालन विभाग व बाम्बे नेचर हिस्ट्री सोसायटी (बीएनएचएस) के वैज्ञानिक योजना बना रहे हैं। प्रभागीय वनाधिकारी गोरखपुर विकास यादव ने बताया कि गिद्धों के लिए अनुकूल माहौल देने के हमें खेती में रासायनों का उपयोग कम करना होगा। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना होगा। यह न सिर्फ गिद्ध के लिए उपयोगी होगी, बल्कि प्राकृतिक खेती के उपज लोग सेहतमंद होंगे।
आज होगी कार्यशाला
प्रभागीय वनाधिकारी ने बताया कि गिद्धराज के सुरक्षित ठिकाना बनाने के लिए सोमवार को गोरखपुर चिड़ियाघर में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया है। सुबह 11 बजे से आयोजित होने वाली इस कार्यशाला में प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव केपी दुबे, बीएनएचएस मुंबई के उप निदेशक व वरिष्ठ वैज्ञानिक डा.विभु प्रकाश, सहित तराई के 14 जिलों के प्रभागीय वनाधिकारी, कृषि अधिकारी, मुख्य चिकित्साधिकारी शामिल होंगे। गिद्धों को संरक्षित करने के लिए सभी के सुझाव मांगे जाएंगे।
युवाओं के रोजगार के लिए बड़ा क्षेत्र होगा तैयार
प्रभागीय वनाधिकारी ने बताया कि तराई गिद्धों का सेफ जोन बनने से यहां युवाओं के रोजागर के लिए बड़ा क्षेत्र तैयार होगा। इसे लेकर सोमवार को ढाई बजे से दिग्विजय नाथ स्नाकोत्तर महाविद्यालय में एमएससी जीव विज्ञान के छात्र-छात्राओं के साथ एक संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया है। इसमें युवाओं को जानकारी दी जाएगी कि आगे चलकर वह कैसे इस क्षेत्र में अपना भविष्य बना सकते हैं।
तराई के इन जिलों में दिया जाएगा विशेष ध्यान
महराजगंज, कुशीनगर, गोरखपुर, सिद्धार्थनगर, बस्ती, बलरामपुर, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, लखीमपुरखीरी, पीलीभीत, सहारनपुर, बिजनौर, बरेली।
पर्यावरण संतुलन में गिद्धराज की भूमिका अहम है, लेकिन संसार में उनकी संख्या तेजी से घट रही है। गिद्ध एक बार में 130 किलोमीटर तक की उड़ान भर सकते हैं। ऐसे में सरकार की कोशिश है कि तराई के इस बेल्ट को उनके लिए सेफ जोन बनाया जाए। ताकि यहां उनका वंश बढ़े और वह यहां की आबोहवा को दुरुस्त करें। - विकास यादव, प्रभागीय वनाधिकारी, गोरखपुर।

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