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    कंटेनर चालक की लापरवाही ने सूनी कर दी मां की कोख

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 01 Jun 2021 06:30 AM (IST)

    संतकबीर नगर एक बार फिर तेज रफ्तार का कहर बरपा है। तेज रफ्तार ने मासूम बालक की सांसे छीन ली। कंटेनर चालक की लापरवाही ने एक मां की कोख को सूना कर दिया है। रविवार की रात कोतवाली खलीलाबाद क्षेत्र के मीरगंज के पास हाईवे पर हुए हादसे में पांच वर्षीय विवेक की जान बगल में सो रही मां ने बचाने की कोशिश की।

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    कंटेनर चालक की लापरवाही ने सूनी कर दी मां की कोख

    संतकबीर नगर: एक बार फिर तेज रफ्तार का कहर बरपा है। तेज रफ्तार ने मासूम बालक की सांसे छीन ली। कंटेनर चालक की लापरवाही ने एक मां की कोख को सूना कर दिया है। रविवार की रात कोतवाली खलीलाबाद क्षेत्र के मीरगंज के पास हाईवे पर हुए हादसे में पांच वर्षीय विवेक की जान बगल में सो रही मां ने बचाने की कोशिश की। इस कोशिश में वह घायल भी हुई पर नियति के क्रूर पंजे से अपने लाल को नहीं बचा सकीं।

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    रविवार की शाम को भोजन के बाद पांच वर्षीय विवेक रोज की तरह मां की गोद में कहानी सुनने के दौरान सो गया। बगल में मां भी सो गई। रात में करीब एक बजे तेज रफ्तार अनियंत्रित कंटेनर दीवार तोड़कर मकान में घुसा और बालक को रौंद दिया। करीब 25 वर्षीय मां प्रियंका ने अपने लाल को बचाने की भरसक कोशिश की। इसस कोशिश में वह घायल भी हो गई पर कलेजे के टुकड़े को नहीं बचा सकी।

    रोते-बिलखते प्रियंका ने कहा कि बेटा विवेक बहुत ही चंचल और मिलनसार था। पूरे मोहल्ले के लोग उससे प्यार करते थे। उम्र के हिसाब से उसकी बुद्धि काफी तेज थी। उसे पढ़ना बहुत पसंद था। घर वालों से हमेशा कापी-किताब आदि की मांग करता रहता था। अभी से वह बड़े लोगों जैसा व्यवहार करता था। घर में वह अपने बाबा के ज्यादा करीब रहता था। हमें पता होता कि हाईवे पर स्थित मकान में सोने पर मेरे लाल की मौत हो जाएगी तो गांव वाले मकान में सोई होती। हे भगवान, हमारे लाल को क्यों छीना? उसने तो किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा था। उसके बदले हमारी जान ले लेते। इतना कहते-कहते वह दहाड़ मारकर रोने लगी। प्रियंका का करुण क्रंदन सुनकर वहां मौजूाूद हर व्यक्ति की आंखे नम हो गई। किसी में इतना साहस नहीं बचा था कि पुत्र के लिए तड़प रही मां को ढांढस बंधा सके। विवेक के पिता राजधर ने बताया कि वह पश्चिम बंगाल में मजदूरी करते हैं। कोरोना क‌र्फ्यू के बाद बेटे को किसी अच्छे स्कूल में दाखिल कराने की तैयारी कर ली थी। वह अपने बेटे को अफसर बनाना चाहते थे।

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