परिषदीय स्कूलों में इसी साल से पढ़ाई जाएगी वैदिक गणित, आसानी से सवालों हल कर सकेंगे छात्र
पढ़ाई के लिए सितंबर में परिषदीय स्कूलों के शिक्षक प्रशिक्षित होंगे। परिषदीय स्कूलों में पढऩे वाले आठवीं तक के विद्यार्थियों को जोड़ घटाना गुणा भाग के सवालों को हल करने में दिक्कतें आ रही थी। इसी को देखते हुए वैदिक गणित को लागू किया गया है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। परिषदीय स्कूलों के विद्यार्थी इस सत्र (2021-22) में वैदिक गणित की पढ़ाई करेंगे। पहली बार इसे चार से आठ तक की कक्षाओं के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। इसके जरिए विद्यार्थी सेकेंडों में सवाल हल कर सकेंगे। इसके लिए शिक्षकों को फिंगर मैथमेटिक्स, अबेकस समेत कई सरल विधियों पर प्रशिक्षित किया जाएगा। शिक्षकों को इसके लिए मार्च में ही प्रशिक्षित किया जाना था, लेकिन कोरोना के कारण यह प्रशिक्षण अब सितंबर माह में प्रस्तावित है।
सितंबर में प्रशिक्षित होंगे परिषदीय स्कूलों के शिक्षक
पढ़ाई के लिए सितंबर में परिषदीय स्कूलों के शिक्षक प्रशिक्षित होंगे। परिषदीय स्कूलों में पढऩे वाले आठवीं तक के विद्यार्थियों को जोड़, घटाना, गुणा, भाग के सवालों को हल करने में दिक्कतें आ रही थी। इसी को देखते हुए तथा विद्यार्थियों में गणित के प्रति रुचि पैदा करने व उनके अंदर से गणित का भय दूर करने के लिए इस बार इसे पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। वैदिक गणित से विद्यार्थियों की न सिर्फ गणितीय प्रतिभा विकसित होगी, बल्कि उनकी रुचि भी बढ़ेगी।
क्या है वैदिक गणित
वैदिक गणित को लेकर मास्टर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षित हो चुके शिक्षक प्रवीण कुमार मिश्र बताते हैं कि साधारण गणित में हमें नियमों के अनुसार सवालों को हल करना होता है। वैदिक गणित अंक गणितीय गणना की वैकल्पिक एवं संक्षिप्त विधियों का समूह है। वैदिक गणित गणना की ऐसी पद्धति है, जिससे जटिल अंक गणितीय गणनाएं अत्यंत सरल, सहज व त्वरित संभव है। उन्होंने बताया कि गणित को सरल बनाने के लिए वैदिक साहित्य ने 16 सूत्र ढूढ़कर निकाले हैं। उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षण के दौरान ही बच्चों को निखलम, भाग परावत्र्य, ध्वजांग विधि और धन सूत्र, घनमूल विलोकनम, वर्ग सूत्र एक न्यूनेन पूर्वेण, एकाधिके पूर्वेण तथा वर्गमूल विलोकनम आदि विधियों की जानकारी देने से उन्हें भविष्य में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने में आसानी होगी।