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    यूपी में SIR अभियान में तेजी लाने में जुटे नगर निगम के अधिकारी, BLO के ओटीपी मांगने पर हो जाएं सावधान

    Updated: Tue, 25 Nov 2025 09:52 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश में नगर निगम SIR अभियान को गति दे रहा है। नागरिकों को BLO द्वारा ओटीपी मांगने पर सावधान रहने की सलाह दी गई है। मतदाता सूची को त्रुटि रहित बनाने के लिए घर-घर जाकर सत्यापन किया जा रहा है। अधिकारियों ने ओटीपी साझा न करने की अपील की है, क्योंकि इससे वित्तीय नुकसान हो सकता है।

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    एसआईआर अभियान में तेजी लाने में जुटे नगर निगम के अधिकारी।

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान में तेजी लाने के लिए नगर निगम के अधिकारी भी जुट गए हैं। अधिकारियों के द्वारा पार्षदों को फोन कर लोगों के घरों तक एसआईआर संबंधी फार्म पहुंचाने और फॉर्म भराने का आह्वान किया जा रहा है।

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    वहीं, अपर नगर आयुक्त ने सभी जोनल अधिकारियों के साथ ऑनलाइन बैठक कर इसमें तेजी लाने के लिए सभी सुपरवाइजरों और कर्मचारियों को लगाने का निर्देश दिया।

    मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान की रफ्तार डिजिटाइजेशन की सटीकता से मापी जा रही है। निर्वाचन आयोग की ओर से चार दिसंबर को अंतिम तिथि तय होने के बावजूद डिजिटाइजेशन की रफ्तार काफी धीमी है।

    मंगलवार को यह आंकड़ा 28 प्रतिशत से भी कम पहुंच सका है। ऐसे में जिला निर्वाचन अधिकारी के द्वारा इसकी संख्या बढ़ाने के लिए निगम के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है।

    इसी क्रम में अपर नगर आयुक्त दुर्गेश मिश्र मंगलवार को पार्षदों को फोन कर उनके वार्ड में विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान की स्थिति की जानकारी ली। साथ ही पार्षदों को इसमें तेजी लाने का आह्वान किया।

    प्रक्रिया में बीएलओ नहीं मांगते ओटीपी

    गोरखपुर में प्रदेश के मतदाताओं को विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया के दौरान होने वाली संभावित धोखाधड़ी के प्रति सतर्क किया गया है। चुनाव विभाग ने स्पष्ट किया है कि कुछ अराजक तत्व बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) या निर्वाचन विभाग का प्रतिनिधि बनकर मतदाताओं के मोबाइल नंबर पर ओटीपी मांग रहे हैं।

    सावधान करते हुए कहा गया कि मतदाताओं को स्पष्ट रूप से सूचित किया है कि एसआईआर (एसआइआर) के गणना प्रपत्र को भरने की प्रक्रिया में बीएलओ द्वारा किसी भी प्रकार का ओटीपी नहीं मांगा जाता है। ये गतिविधियां साइबर ठगी या धोखाधड़ी के अंतर्गत संदेहास्पद हैं।

    यदि किसी मतदाता से फोन कॉल, मैसेज या अन्य माध्यम से ओटीपी मांगने का प्रयास किया जाता है, तो ऐसी काल पर ध्यान न दें, न ही ओटीपी साझा करें और ऐसी काल को तुरंत अस्वीकार कर दें।