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UP Election 2022: मुद्दे न समीकरण, प्रभावी रही चुनावी लहर- ऐसा रहा महराजगंज सदर सीट का इतिहास

Maharajganj Election News महराजगंज सदर सीट का अपने आप में अलग महत्व है। यहां पांच बार भाजपा तो चार बार कांग्रेस प्रत्याशियों को विजय मिली। वहीं दो बार साइकिल भी चली लेकिन बसपा की हाथी नहीं दौड़ सकी।

By Pragati ChandEdited By: Published: Wed, 02 Mar 2022 07:50 PM (IST)Updated: Wed, 02 Mar 2022 07:50 PM (IST)
UP Election 2022: मुद्दे न समीकरण, प्रभावी रही चुनावी लहर- ऐसा रहा महराजगंज सदर सीट का इतिहास
महराजगंज सदर (सुरक्षित) विधानसभा क्षेत्र में चुनावी लहर से प्रभावित रहे हैं। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। महराजगंज सदर (सुरक्षित) विधानसभा क्षेत्र में अधिकतर चुनाव स्थानीय मुद्दों व समीकरणों की बजाय चुनावी लहर से प्रभावित रहे। यहां की जनता ने अब तक बसपा को छोड़ सभी प्रमुख पार्टियों को मौका दिया है। कांग्रेस ने इस सीट पर चार बार जीत दर्ज की तो पांच बार भाजपा का कमल भी खिला। 1977 के जेपी आंदोलन की आंधी में जनता पार्टी के प्रत्याशी को विजय मिली। दो चुनावों में सपा की साइकिल भी दौड़ी। चुनिंदा चुनाव ऐसे भी रहे, जब प्रत्याशियों ने सहानुभूति की लहर पर बाजी पलट दी। महराजगंज से विश्वदीपक त्रिपाठी की रिपोर्ट।

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1962 तक महराजगंज उत्तरी के नाम से जानी जाने वाली इस विधानसभा का सियासी मिजाज सत्ता के साथ चलने का रहा है। प्रदेश की राजनीति में हवा का रुख जिधर रहा, महराजगंज के अधिकतर चुनाव परिणाम भी कमोवेश उसी तरह आए। गौतम बुद्ध के नाना महाराज अंजन के नाम पर बने जिले के महराजगंज सदर विधानसभा क्षेत्र से चुने गए कुछ जनप्रतिनिधियों ने आगे चल कर केंद्र व प्रदेश की सरकार में भी जगह बनाई। 1951 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर सुखदेव प्रसाद विधायक चुने गए। उन्होंने केंद्र व प्रदेश सरकार में मंत्री व राजस्थान के राज्यपाल की भूमिका का भी निर्वहन किया। 1957 के चुनाव में यहां समीकरण बदला और सोशलिस्ट पार्टी के दुर्योधन प्रसाद चुनाव जीत गए। 1962 के चुनाव में परिस्थितियां बदलीं और दुर्योधन प्रसाद ने कांग्रेस का दामन थाम लिया। उन्होंने निर्दल चुनाव लड़ रहे मुन्नर प्रसाद को 6692 मतों से पराजित किया। लेकिन 1969 के चुनाव में बीकेडी के हंसा प्रसाद ने दो बार से जीत रहे दुर्योधन प्रसाद का विजय रथ रोक 8408 मतों से शिकस्त दी। 1974 के चुनाव में फिर बाजी पलटी और दुर्योधन प्रसाद तीसरी बार विधायक बने। उन्होंने निर्दल प्रत्याशी मुन्नर प्रसाद को 12447 मतों से शिकस्त दी।

1977 के चुनाव में यह सीट भी जेपी आंदोलन की लहर में बही। जनता पार्टी के समर्थन से दुक्खी प्रसाद निर्दल विधायक चुने गए। उन्होंने कांग्रेस के दुर्योधन प्रसाद को 18612 मतों से हराया। 1980 के चुनाव में भी जनता पार्टी का दबदबा कायम रहा। पार्टी के प्रत्याशी फिरंगी प्रसाद विशारद ने कांग्रेस के रामलक्षन को 3238 मतों से पराजित किया। 1985 का चुनाव आते-आते कांग्रेस ने यहां से फिर वापसी कर ली। पार्टी के प्रत्याशी रामलक्षन ने लोकदल के फिरंगी प्रसाद को 12205 मतों से पराजित किया।

1989 में इस क्षेत्र से कांग्रेस की जमीन दरक गई। समीकरण बदला और जनता दल के टिकट पर केशव प्रसाद ने कांग्रेस के सुदामा प्रसाद को 255 मतों से पराजित किया। 1991 के दौर में चली रामलहर में यहां से भाजपा का पहली बार खाता खुला और पार्टी ने लगातार चार चुनाव में जीत हासिल की। 1991 में बीजेपी के प्रत्याशी रामप्यारे आजाद ने जनता दल के श्रीपति आजाद को 12541 मतों से पराजित किया। 1993 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े चंद्रकिशोर ने बाजी मारी। उन्होंने बसपा के रामप्रीत जख्मी को 22077 मतों से हराया। इसके बाद 1996 व 2002 के चुनाव में भी चंद्रकिशोर का जलवा कायम रहा। उन्होंने जीत की हैट्रिक लगाई। प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे।

2007 के चुनाव में जब प्रदेश में बसपा की आंधी चल रही थी , तब यहां की जनता ने कई चुनाव हारने के चलते सहानुभूति की लहर पर सवार समाजवादी पार्टी के श्रीपति आजाद को विजय दिलाई। 2012 के चुनाव में इस सीट का निर्णय फिर सपा के पक्ष में गया। कांग्रेस छोड़ सपा में आए सुदामा प्रसाद को 36155 मतों से विजय मिली। 2017 के चुनाव में प्रदेश की राजनीति की तरह इस सीट का समीकरण भी बदल चुका था । भाजपा प्रत्याशी जयमंगल कन्नौजिया ने अब तक इस विधानसभा की सबसे बड़ी जीत हासिल करते हुए 68361 मतों से बसपा प्रत्याशी निर्मेष मंगल को पराजित किया।

2022 के चुनाव में फिर प्रमुख पार्टियों के प्रत्याशी दमखम के साथ भाग्य आजमा रहे हैं। भाजपा ने अपने पुराने चेहरे जयमंगल कन्नौजिया पर भरोसा जताते हुए टिकट दिया है। उन्हें अपना पुराना प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है, तो वहीं विपक्षी उम्मीदवारों के सामने इस सीट पर कब्जा जमाने का लक्ष्य। समाजवादी पार्टी व सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने यहां गठबंधन कर मुकाबले को कड़ा बनाने की कोशिश की है। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने गीता रत्ना पर भरोसा जताते हुए टिकट दिया है। बसपा ने गोरखपुर निवासी ओमप्रकाश पासवान को टिकट देकर मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने अपने पुराने कार्यकर्ता और यहां के पहले विधायक रहे सुखदेव प्रसाद के पुत्र आलोक प्रसाद पर भरोसा जता कर मुकाबले को रोमांचक बनाने की कोशिश की है।

वर्ष-2012

कुल मतदाता-352937

डाले गए मत-216281

सुदामा प्रसाद- सपा-84581

निर्मेष मंगल-बसपा- 48426

चंद्रकिशोर-भाजपा-45301

अन्य-37973

वर्ष-2017

कुल मतदाता-386617

डाले गए मत-247216

जयमंगल कन्नौजिया-125154

निर्मेष मंगल-बसपा- 56793

आलोक प्रसाद- कांग्रेस-50217

अन्य-15052

कुल मतदाता-412678

पुरुष मतदाता-216719

महिला मतदाता- 195935

जातिगत आंकड़ा (अनुमानित )

दलित-1.10 लाख

निषाद- 50 हजार

मुस्लिम- 48 हजार

यादव- 40 हजार

ब्राम्हण-38 हजार

बरई-15 हजार

राजभर 14 हजार

राजपूत- 10 हजार

अन्य-87678


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