GDA Unsold Properties: प्लास्टर टूट रहे, बढ़ रही सीलन, फिर भी बढ़ती जा रहीं कीमतें
गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) की आवासीय संपत्तियां पुरानी और महंगी होने से अलोकप्रिय हो रही हैं। बिक्री न होने पर प्राधिकरण ने दरें कम करने का प्रस्ताव शासन को भेजा है पर मंजूरी नहीं मिली। विशेषज्ञ मानते हैं कि पुरानी संपत्तियों के कारण कीमतें कम होने पर भी महंगी रहेंगी। जीडीए टावर में कई व्यावसायिक संपत्तियां खाली पड़ी हैं जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई है।
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) की 70 से अधिक आवासी संपत्ति जैसे-जैसे पुरानी और कमजोर होती जा रही, उल्टें उनकी कीमतें बढ़ती जा रहीं। कई सालों से बिक्री नहीं हो पाने की वजह से अब इन संपत्तियों को अलोकप्रिय संपत्ति की सूची में डाल दिया गया है।
खरीदार नहीं मिलने पर इनकी दरें कम करने के प्राधिकरण की ओर से शासन को प्रस्ताव भेजा गया है, लेकिन चार माह बाद भी वहां से मंजूरी नहीं मिल सकी। इसी तरह 30 से अधिक व्यावसायिक संपत्तियां भी हैं। विशेषज्ञाें का कहना है कि इनमें से कई काफी पुरानी हो गई हैं। ऐसे में दरें कम भी होती हैं तो भी वह महंगी ही होंगी। ऐसे में इन संपत्तियों का भविष्य अंधकार में है।
प्राधिकरण बोर्ड बैठक में चयनित कमेटी की ओर से दरों का पुनर्निधारण करने के लिए शासन को भेजे गए प्रस्ताव पर जल्द ही मुहर लग जाने काे लेकर प्राधिकरण आश्वस्त है। इसे लेकर जीडीए उपाध्यक्ष आनंद वर्द्धन ने आवास विभाग के उच्चाधिकारियों से अनुरोध भी किया है।
हर साल दरें बढ़ने और देखरेख के अभाव में धीरे-धीरे इन संपत्तियों के पुराने और क्षतिग्रस्त होने की वजह से भी इनकी बिक्री नहीं हो पा रही है। इनमें कई संपत्तियां तो एसी है जिनके बनकर तैयार हुए एक दशक से अधिक का समय हो गया है।
लंबे इंतजार के बाद भी जब ये संपत्तियां नहीं बिकी तो प्राधिकरण ने इनकी दरें कम करने का निर्णय किया है। इसके लिए जीडीए बोर्ड की ओर से गठित कमेटी ने रिपोर्ट तैयार किया है, जिसे शासन को भेजा गया है। जीडीए उपाध्यक्ष आनंद वर्द्धन के मुताबिक जल्द ही शासन से अनुमति मिल जाएगी जिसके बाद दरें संशोधित कर फिर से इनके आवंटन के लिए पंजीकरण शुरू किया जाएगा।
ऐसे आसमान पर पहुंच गईं संपत्ति की कीमतें
जीडीए बोर्ड की ओर से गठित कमेटी की जो रिपोर्ट शासन को भेजी गई है, उसमें कहा गया है कि अलोकप्रिय संपत्तियों की बिक्री नहीं हो पाने की बड़ी वजह हर साल इनकी कीमतों में होने वाली वृद्धि भी है। प्राधिकरण हर साल एक अप्रैल को अपनी आवासीय संपत्ति की दरों में 10 और व्यावसायिक संपत्ति की दरों में 12 प्रतिशत की वृद्धि करता है।
करीब दो साल पहले तक आवासीय संपत्तियों में 15 और व्यावसायिक संपत्तियों में 18 प्रतिशत तक की वृद्धि होती थी। यही वजह है कि इन संपत्तियों की कीमतों में इतनी अधिक वृद्धि हो गई लोग इसे खरीदने को ही तैयार नहीं हो पा रहे।
वसुंधरा के करीब 50 लाख रुपये तक के फ्लैट की कीमतें 80 लाख तक हो गई हैं तो वहीं लोहिया के फ्लैट की कीमत भी काफी बढ़ गई है। जीडीए टावर का कोई भी खाली पड़ा आफिस ब्लाक सवा करोड़ रुपये से कम का नहीं रह गया है।
जीडीए टावर की सबसे अधिक अलोकप्रिय संपत्ति
अलोकप्रिय व्यवसायिक संपत्तियों में सबसे अधिक जीडीए टावर की व्यावसायिक संपत्तियां शामिल हैं। गोलघर स्थित जीडीए टावर में प्रथम तल पर एक, द्वितीय तल पर पांच दुकानें, तृतीय तल पर एक फूडकोर्ट व एक रेस्त्रां, तृतीय तल पर एक कार्यालय ब्लाक , चतुर्थ तल पर नौ कार्यालय ब्लाक, पांचवे तल पर नौ ब्लाक, छठे तल पर 12 ब्लाक रिक्त पड़े हैं। वसुंधरा एन्क्लेव फेज एक , फेज दो और फेज तीन में एक-एक व्यावसायिक भूखंड हैं, जिनकी 10 साल से अधिक समय से बिक्री नहीं हो पा रही है।
वैशाली आवासीय योजना में तीन व्यावसायिक भूखण्ड, राप्तीनगर चतुर्थ चरण स्पोर्ट्स कालेज के पीछे चार व्यावसायिक भूखण्ड, सिद्धार्थपुरम शापिंग सेंटर में प्रथम तल पर नौ दुकानें, भूतल पर तीन दुकानें और विकास नगर में दो व्यावसायिक भूखण्ड खाली पड़े हैं।
इसी तरह बुद्धा मिनी मार्ट देवरिया बाइपास रोड पर 11 दुकानें, बुद्ध विहार पार्ट ए में 14 दुकानें, बुद्ध विहार पार्ट बी शापिंग सेंटर में प्रथम तल पर तीन और द्वितीय तल पर आठ दुकानें हैं, लांचिंग के समय चार से पांच लाख रुपये तक की इन दुकानों की कीमत अब 25- 30 लाख रुपये से अधिक पहुंच चुकी हैं।
इसी तरह नवीन ट्रांसपोर्टनगर में व्यवसायिक भूखण्ड 16, विकास नगर में प्रथम तल पर तीन दुकानें, राप्तीनगर तृतीय चरण में भूतल पर छह दुकान और प्रथम तल पर आठ दुकानें, बहुउद्देश्यीय व्यावसायिक कांप्लेक्स के भूतल पर तीन दुकान खाली पड़ी है।
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