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    Gorakhpur NEET Student Murder: गम व गुस्से में नहीं जला गांव में चूल्हा; मां बोली- योगी जी, मेरे बेटे के हत्यारों को भी मार गिराइए

    Updated: Thu, 18 Sep 2025 08:46 AM (IST)

    गोरखपुर के महुआचाफी गांव में दीपक की मौत से मातम पसरा है। किसी घर में चूल्हा नहीं जला। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। ग्रामीणों ने पुलिस पर लापरवाही और तस्करों से मिलीभगत का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि पुलिस की सतर्कता से दीपक की जान बचाई जा सकती थी। परिजनों ने योगी सरकार से न्याय की गुहार लगाई है।

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    महुआचापी आवास पर रोती बिलखती मां सीमा देवी, दादी अमरावती व स्वजन

    संवाद सूत्र, चरगांवा। महुआचाफी गांव दो दिन से मातम और गुस्से से भरा है। मंगलवार की सुबह से ही गांव में किसी घर का चूल्हा नहीं जला। हर आंगन में सन्नाटा पसरा है, हर दरवाजे पर आंखें नम हैं और हर दिल से बस एक ही आवाज निकल रही है कि दीपक होनहार था, मिलनसार था, उसकी जगह कोई नहीं ले सकता।

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    दुर्गेश गुप्ता के घर पर बुधवार को सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण और रिश्तेदार दिन भर जुटे रहे।दरवाजे पर लगी भीड़ में हर कोई रोते-बिलखते परिजनों को ढांढस बंधाने आता, लेकिन खुद की आंखों के आंसू रोक नहीं पाता। दीपक की मां सीमा देवी का रो-रोकर हाल बेहाल है।

    बुधवार की दोपहर में जब उन्हें पता चला कि मुठभेड़ में एक तस्कर पकड़ा गया है तो वह चीखते हुए बोलीं - योगी जी, मेरे बेटे की हत्या जैसे की गई है वैसे ही हत्यारों को एक-एक कर मार गिराइए।पिता दुर्गेश गुप्ता का गुस्सा और दर्द साफ झलक रहा है। आंखों से आंसू पोंछते हुए वह बोले-बेटे की मौत पुलिस की लापरवाही से हुई है।

    तस्कर खुलेआम गांव में घूमते रहे, लेकिन पुलिस की गश्त नाम मात्र की रही। अगर पुलिस सतर्क होती तो दीपक जिंदा होता। होनहार बेटा इस दुनिया से चला गया और पुलिस तमाशबीन बनी रही।दीपक के चाचा वीरेंद्र यादव ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए।

    महुआ चाफी गांव पहुंचे पिपराइच विधायक महेंद्र पाल सिंह का ग्रामीणों ने पहले विरोध किया फिर कुछ लोगों के समझाने पर अपनी मांग विधायक के सामने रखा जिस पर सभी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया गया। -जागरण


    उन्होंने कहा सोमवार की रात जब तस्करों की घेराबंदी हुई तो गांववालों ने एक तस्कर को पकड़ लिया था।जानकारी होने पर पुलिस उसकी सुरक्षा में लगी रही लेकिन दीपक की तलाश के लिए कुछ नहीं किया। अगर उसी वक्त पुलिस ने गंभीरता दिखाई होती, उसकी तलाश की होती तो शायद दीपक की जान बच जाती। तस्करों से पुलिस की सांठगांठ है। वे आते थे, मवेशी लादकर ले जाते थे और शिकायत करने पर पुलिस उल्टा हमें डांटकर भगा देती थी।

    दीपक के छोटे भाई प्रिंस का मासूम दर्द भी हर किसी की आंखें भिगो देता रहा है। उसने दो दिन से कुछ नहीं खाया है। दादी अमरावती देवी अपने पोते की मौत से टूट चुकी हैं। वह बार-बार बेसुध होकर गिर जाती हैं। रोते-रोते कहती हैं मेरे नाती की मौत ने जीवन को ही खत्म कर दिया है।

    ममेरे भाई मोनू ने कहा तस्करों ने मुझे भी मारने के लिए दौड़ाया था लेकिन किसी तरह जान बचा कर भाग निकला।दोस्तों की आंखों में आंसू था। उनका है कि दीपक पढ़ाई के साथ ही खेल में भी अव्वल था।

    यह भी पढ़ें- पिपराइच बवाल: छात्र की हत्या में शामिल तस्कर मुठभेड़ में गिरफ्तार, एक लाख का था इनामी

    गांव वालों ने कहा तस्करों की पुलिस से मिलीभगत :

    गांव के गंगा सागर, ओमप्रकाश, रामचंद्र, कौशल, विनोद, मुराती, अशरफी, सोनमत्ती, सरिता, शांति और अजय कुमार का कहना है कि पशु तस्करों का आतंक नया नहीं है। छह महीने पहले भी रेतवहिया से मवेशी उठाकर ले गए थे। कई बार पिकअप फंसने पर तस्कर मवेशी छोड़कर भाग निकले, लेकिन पुलिस ने कभी गंभीरता से कार्रवाई नहीं की।

    ग्रामीणों का आरोप है कि तस्कर पुलिस की मिलीभगत से ही आते थे।दीपक गुप्ता सिर्फ गांव का ही नहीं, बल्कि पूरे इलाके का होनहार बेटा था।