Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    देसी गुड़ में सफेदी के लिए रसायनों का प्रयोग कर रहे कारोबारी, सेहत के लिए होगा घातक

    देसी गुड़ खाना अब स्वास्थ्य के लिए लाभदायक नहीं बल्कि हानिकारक हो गया है। पहले गुड़ साफ करने के लिए दुल्ला पौधा तथा अन्य देशी तौर तरीका अपनाया जाता था। बाजार की प्रतिस्पर्धा का मुकाबला करने के लिए गुड़ उद्योग से जुड़े लोग जन स्वास्थ्य की चिंता नहीं कर रहे।

    By Navneet Prakash TripathiEdited By: Updated: Fri, 01 Jan 2021 09:05 AM (IST)
    Hero Image
    देसी गुड़ में सफेदी के लिए रसायनों का प्रयोग कर रहे कारोबारी, सेहत के लिए होगा घातक। प्रतीकात्‍मक फोटो

    गोरखपुर, जागरण संवाददाता। देसी गुड़ खाना अब स्वास्थ्य के लिए लाभदायक नहीं बल्कि हानिकारक हो गया है। पहले गुड़ साफ करने के लिए दुल्ला पौधा तथा अन्य देशी तौर तरीका अपनाया जाता था। आज के आधुनिक दौर में बाजार की प्रतिस्पर्धा का मुकाबला करने के लिए गुड़ उद्योग से जुड़े लोग जन स्वास्थ्य की चिंता नहीं कर रहे। कुशीनगर जिले के कई कारोबारी अपने उत्पाद में चमक लाने के लिए तरह-तरह के केमिकल्स प्रयोग कर रहे हैं जो स्वास्थ्य के लिए घातक है। इन रसायनों के डालने से गुड़ बिल्कुल सफेद दिखने लगता है। यह और बात है कि उसकी गुणवत्ता के साथ-साथ स्वाद भी खराब हो जाता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    स्‍वादिष्‍ट होता है देसी तौर तरीके बना गुड़

    देशी तौर तरीके से बने गुड जैसा यह स्वादिष्ट नहीं होता। इतना ही नहीं उत्पादन बढ़ाने के लिए मुल्तानी व बालुई मिट्टी, धान की पिसी भूसी आदि भी मिलाया जा रहा है। एेसा नहीं कि खाद्य विभाग को इस गोरख धंधे की जानकारी नहीं है। उद्योग से जुड़े लोगों की माने तो इसके लिए विभागीय अधिकारियों को भी चढ़ावा चढता है। क्षेत्र में दर्जनों की संख्या में क्रशर संचालित है। इन पर प्रतिदिन सैकड़ों किलो मिलावटी गुड़ तैयार करके बाजार में सप्लाई किया जा रहा है। यह गुड़ यहां के बाजार में ही नहीं बल्कि देवरिया, गोरखपुर और बिहार के बाजारों में भी पहुंच रहा है।

    मकर संक्रांति पर बढ़ी है गुड़ की मांग

    मकर संक्रांति पर्व पर मांग बढ़ने के कारण एक सप्ताह पूर्व 35 रूपये प्रति किलो की दर से बिकने वाला गुड़ 40 रुपये में बिक रहा है। बाजार में भारी डिमांड को देखते हुए मिलावट खोरों की भी चांदी हो गई है। घर-घर में लाई-तिलवा बनाने का कार्य तेजी से चल रहा है। इसे देखते हुए मिलावटी गुड़ बाजार में बेचने के लिए उतारा गया है।

    क्या कहते हैं चिकित्सक

    कसया के वरिष्‍ठ चिकित्‍सक डा. राना प्रताप यादव बताते हैं कि गुड़ साफ करने के लिए रसायनों का प्रयोग स्वास्थ्य के लिए अत्यंत ही घातक है। रसायन प्रयुक्त गुड़ खाने से लीवर की गंभीर बीमारी हो सकती है। आंत में रसायन जाने से वह संक्रमित हो सकता है। यह जान के लिए घातक भी साबित हो सकता है। ज्यादे चमक पर न जाकर सादा एवं कम चमकीला गुड़ सेवन करना उचित होगा।

    गुड़ में मिलावट पर होगी कार्रवाई

    कुशीनगर के जिला खाद्य अधिकारी मानिकचंद सिंह ने बताया कि गुड़ में केमिकल्स अथवा वजन बढ़ाने के लिए मिलावट किए जाने की जानकारी नहीं थी। मामला संज्ञान में आया है तो टीम बनाकर जांच कराई जाएगी। दोषी जनों के विरूद्ध कठोर कार्रवाई होगी।