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    खतरे में है बाघ व तेंदुए का आशियाना, इस वजह से महराजगंज के जंगलों में कम हुआ वन्यजीवों का आना

    By Pragati ChandEdited By:
    Updated: Fri, 25 Mar 2022 08:50 AM (IST)

    महराजगंज जिले के निचलौल व शिवपुर रेंज की झाड़ियों पर वन तस्करों की नजर पड़ गई है। बेंत की तस्करी कर वे नेपाल व बिहार भेज रहे हैं। ऐसे में संतुलन बिगड़ रहा है। प्रवास के लिए सोहगीबरवा जंगल में अब वन्यजीव कम आ रहे हैं।

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    महराजगंज में खतरे में है बाघ व तेंदुए का आशियाना। (सांकेतिक तस्वीर)

    गोरखपुर, जागरण संवाददाता। महराजगंज जिले के सोहगीबरवा वन्यजीव प्रभाग में बाघ, तेंदुए व गैंडे का आशियाना खतरे में है। यहां के निचलौल व शिवपुर रेंज में स्थित बेंत की झाड़ियां व नारायणी नदी का तटीय क्षेत्र वन्यजीवों को लुभाता है। बिहार के वाल्मीकिनगर टाइगर रिजर्व फारेस्ट से बाघ यहां लंबे समय तक प्रवास करते हैं। लेकिन इस बेंत के जंगल पर वन तस्करों की नजर पड़ गई है। यहां के बेंत को काट कर तस्कर उसे नेपाल व बिहार तक पहुंचा रहे हैं। हाल के दिनों में बरामद हुए बेंत इसकी गवाही दे रहे हैं। जंगल में बेंत की सघनता कम होने से वन्यजीवों की आमद भी घटी है। जंगल में बेंत की सघनता बढ़ाने व वन्यजीवों को लुभावने के लिए वन विभाग अब नए सिरे से कार्य योजना बना रहा है।

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    बेंत की तस्करी होने से बिगड़ रहा संतुलन

    408 वर्ग किलोमीटर में फैले सोहगीबरवा वन्यजीव प्रभाग के शिवपुर व निचलौल रेंज में बेंत की बहुलता है। नेपाल से निकली हुई नारायणी नदी इन दोनों रेंज को विभाजित करती हुई कुशीनगर जिले की सीमा में प्रवेश करती है। नारायणी नदी के तटीय भूभाग में बाघ, तेंदुए व गैंडे लंबे समय तक प्रवास करते हैं। बिहार के वाल्मीकिनगर, नेपाल के चितवन टाइगर रिजर्व फारेस्ट व सोहगीबरवा के शिवपुर रेंज की सीमा आपस में जुड़ने के चलते नेपाल व बिहार से बाघ व गैंडे महराजगंज की सीमा में आकर लंबे समय तक रहते हैं।

    सात मार्च को बरामद हुआ था 330 बंडल बेंत

    बीते सात मार्च को निचलौल रेंज के जंगल में वनकर्मियों ने 330 बंडल बेंत बरामद किया था। बेंत को तस्कर नेपाल ले जाने की फिराक में थे। इसी क्रम में 25 दिसंबर 2021 में चरगहां बीट में भी वनकर्मियों ने 42 बंडल बेंत बरामद किया था। बेंत काटकर तस्कर नारायणी नदी के रास्ते नाव से बिहार व नेपाल ले जाते हैं। यहां इन बेेंतों से कुर्सियां, टेबुल आदि बनाकर महंगे दामों पर बेचा जाता है। जंगल के किनारे खेत में उगे बेंत को काटने के लिए लोग वन विभाग से परमिट बनवाते हैं। बाद में इन्हीं परमिटों का सहारा लेकर जंगल में भी बेंत काटा जाता है।

    16 कैमरों में कैद हुई थी बाघ की तस्वीर

    बीते वर्ष बाघों की गणना के लिए शिवपुर व निचलौल रेंज में 67 ट्रैप कैमरे लगाए गए थे। इन कैमरों से 40 हजार फोटो खींची गई थी। इनमें से 16 कैमरों में बाघ की तस्वीर भी कैद हुई थी। इस क्षेत्र में बाघों की आमद देख महकमा उत्साहित था, लेकिन बेंत की झाड़ियों के कम होने से नेपाल व बिहार के वन क्षेत्रों से जंगली जीवों का इधर आना कम हुआ है।

    भारतीय सीमा में आ गया था गैंडा

    बीते फरवरी माह में एक गैंडा बिहार होते हुए महराजगंज सीमा में आ गया था। शिवपुर व निचलौल रेंज होते हुए उसे घुघली क्षेत्र में भी देखा गया था। कुशीनगर जिले में जाकर उसने कुछ किसानों को चोटिल भी कर दिया था।

    अधिकारी बोले

    सोहगीबरवा वन्यजीव प्रभाग के डीएफओ पुष्प कुमार के ने बताया कि बेंत की तस्करी पर अंकुश लगाया जाएगा। इसके लिए सीमावर्ती क्षेत्र के वनकर्मियों को सक्रिय रहते हुए गश्त बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। बाघ, गैंडे व तेंदुए सोहगीबरवा क्षेत्र में प्रवास करें इसके लिए भी अनुकूल वातावरण तैयार करने की कोशिश है।