गोरखपुर एक्सप्रेस में बांट दिए तीन साल पुराने तकिये, कोच अटेंडेंट की सेवा समाप्त; फर्म पर भी लगाया गया जुर्माना
गोरखपुर एक्सप्रेस के वातानुकूलित तृतीय श्रेणी के डिब्बों में यात्रियों को तीन साल पुराने तकिए दिए जाने का मामला सामने आया है। रेलवे प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए संबंधित कोच अटेंडेंट को सेवा से बर्खास्त कर दिया है और बेडरोल की व्यवस्था करने वाली फर्म पर न्यूनतम पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। साथ ही छह दिन का अभियान चलाकर गंदे तकिए और बेडरोल हटाए जाएंगे।

प्रेम नारायण द्विवेदी, गोरखपुर। वाराणसी सिटी से गोरखपुर आ रही 15132 नंबर की गोरखपुर एक्सप्रेस के वातानुकूलित तृतीय श्रेणी के कोचों में अटेंडेंट को तीन साल पुराना तकिया बांटना महंगा पड़ गया। यात्रियों को गंदे तकिये मिलने की जानकारी होते ही रेलवे प्रशासन ने संबंधित के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित कर दी है।
कोच अटेंडेंट की सेवा समाप्त करने के साथ बेडरोल (तकिया, कवर, चादर, कंबल आदि) की व्यवस्था करने वाली फर्म के खिलाफ भी न्यूनतम पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। छह दिन अभियान चलाकर गंदे तकिये और बेडरोल हटाए जाएंगे।
चादर-कवर साफ लेकिन तकिये गंदे...
वाराणसी सिटी के प्लेटफार्म नंबर तीन पर रविवार की रात खड़ी गोरखपुर एक्सप्रेस के वातानुकूलित तृतीय श्रेणी के कोच में बैठे यात्री परेशान थे। कोच नंबर बी वन की बर्थों पर रखे गए तकिये देख यात्रियों का मन खिन्न था। बेडरोल के पैकेट में चादर और कवर तो साफ थे, लेकिन गंदे तकिये सुहाने सफर के दावों को मुंह चिढ़ा रहे थे।
यात्री कोच अटेंडेंट को खोज रहे थे कि शिकायत करें और तकिया बदलवाएं, लेकिन वह नहीं मिले। रात 10:30 बजे ट्रेन गोरखपुर के लिए रवाना हो गई। थके यात्री बर्थों पर चादर बिछाकर सोने लगे। इसी बीच कोच अटेंडेंट प्रकट हुए। अटेंडेंट को देख यात्री बिफर पड़े। अभिषेक मिश्रा व अन्य यात्रियों की शिकायत पर अटेंडेंट बगले झांकने लगा।
अटेंडेंटे ने नहीं दी शिकायत पुस्तिका
शिकायत पुस्तिका मांगने पर भी उपलब्ध नहीं कराया। दबाव बनाने पर सिर्फ दो साफ तकिया लेकर आया, लेकिन यात्रियों ने लेने से मना कर दिया और तकिया लगाया ही नहीं। बिना तकिये के ही गोरखपुर तक का सफर पूरा किया। नियमानुसार अधिकतम एक साल में तकिया बदलने की अनिवार्यता है। इसके बाद भी तकियों को न कोई देखने वाला है और न कोई नोटिस लेने वाला। बर्थों पर रखे गए तकिये अप्रैल, 2022 के बने थे।
यानी, कोविड काल के बाद से एसी कोचों के यात्रियों को दिया जाने वाला तकिया बदला ही नहीं गया है। यात्री गंदा तकिया लगाने को मजबूर हैं।
पूर्वोत्तर रेलवे, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, पंकज कुमार सिंह ने बताा
गंदे तकिये बदल दिए गए हैं। संबंधित कर्मी को हटाने के साथ फर्म पर जुर्माना भी लगाया गया है। सुपरवाइजर की काउंसिलिंग के साथ चेतावनी दी गई है। छह दिन का अभियान आरंभ किया गया है, ताकि ऐसे लिनेन और तकिए को हटाया जा सके जो गंदे या फेडेड हैं।
इसे भी पढ़ें: सामने आ गई वजह… मुस्कान और साहिल ने सौरभ को क्यों मारा? मेरठ हत्याकांड की चार्जशीट तैयार, दोनों को बराबर मिलेगी सजा!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।