UP: इस व्यक्ति के खजाने में हैं 150 देशों के सिक्के, तक्षशिला से लेकर गंधार राज्य तक की निशानी है यहां
उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के रहने वाले जगदीश खेतान के प्राचीन सिक्के एकत्र करने के जुनून ने 150 देशों के सिक्कों का दुर्लभ खजाना तैयार कर दिया। दिल्ली सल्तनत मुगलकालीन समेत अमेरिका इंग्लैंड फ्रांस व अन्य देशों के सिक्के इसकी शोभा बढ़ा रहे हैं।

गोरखपुर, जेएनएन। कुशीनगर जिले के रहने वाले जगदीश खेतान के प्राचीन सिक्के एकत्र करने के जुनून ने 150 देशों के सिक्कों का दुर्लभ खजाना तैयार कर दिया। दिल्ली सल्तनत, मुगलकालीन समेत अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस व अन्य देशों के सिक्के इसकी शोभा बढ़ा रहे हैं।
जगदीश के पास जार्ज पंचम के समय का एक रुपये का सिक्का व एडवर्ड के कार्यकाल का एक पैसे का ऐसा सिक्का है। अब इसे लखी सिक्का कहा जाता है जो दुर्लभ श्रेणी में आता है।
1957 से जमा कर रहे सिक्के: जगदीश बताते हैं कि सिक्का संग्रह करने का कार्य वह छात्र जीवन में 1957 से शुरू किए। मुगल बादशाह जहांगीर की ओर से दरबारियों को नजराना में दिया जाने वाला सिक्का भी है। इनके पास एक रुपये का ऐसा नोट है, जिस पर अंग्रेज बादशाह जार्ज षष्टम का चित्र और भारत-पाकिस्तान सरकार भी लिखा हुआ है। दो हजार से अधिक प्राचीन सिक्कों में मगध का पंच मार्क, शाक्य वंश का सात ग्राम वजन का सिक्का, नागवंश व सिकंदर के कार्यकाल का भी सिक्का है।
तक्षशिला से लेकर छत्रपति शिवाजी के राज तक के सिक्के: तक्षशिला का 2200 वर्ष पुराना, शाक्य, मगध गंधार राज्य के 2600 वर्ष पुराने सिक्के भी हैं। गुरुमुखी भाषा में बने राम टका, ब्रिटिश काल का जार्ज षष्टम की ओर से जारी 1000 का नोट, बादशाह अकबर, जहांगीर, शाहजहां टीपू सुल्तान, छत्रपति शिवाजी, रोमन, अंशिका, शेरशाह सूरी, औरंगजेब, पर्शिया, खुसरो, मगध कालीन सिक्के भी हैं। विभिन्न राजपूत व मराठा राजाओं की ओर से जारी सिक्के भी इनके पास हैं। जगदीश बताते हैं कि पिता छेदीलाल खेतान से इसकी प्रेरणा मिली। देश-विदेश से प्रकाशित दुर्लभ सिक्कों की किताबों का अध्ययन किया। जहां भी दुर्लभ सिक्कों का पता चला, वहां गए।
संग्रहालय खोलने की इच्छा: भारतीय मुद्रा परिषद वाराणसी के सदस्य जगदीश के संग्रह में प्राचीन भारतीय सिक्कों के अलावा चीन, जापान, कोरिया, श्रीलंका, अमेरिका, केन्या, फिलिस्तीन, फीजी, पुर्तगाल, क्यूबा, पोलैंड, ईरान, मिश्र समेत 150 देशों के सिक्के हैं। 1951 में जारी 1000 के तीन नोट जिस पर गवर्नर बी रामा राव, निर्मल चंद गुप्ता, केआर पुरी के हस्ताक्षर हैं, भी इनके पास हैं। इनका मानना है कि अतीत को नहीं भूलना चाहिए। इनकी इच्छा एक ऐसा संग्रहालय खोलने की है, जिससे युवा पीढ़ी को सिक्कों के माध्यम से इतिहास की जानकारी मिल सके।
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