Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    13वीं सदी में बसा था गोरखपुर का यह मोहल्‍ला, अब ऐसी है स्थिति Gorakhpur News

    By Pradeep SrivastavaEdited By:
    Updated: Sun, 20 Oct 2019 07:02 PM (IST)

    गोरखपुर का तिवारीपुर मोहल्ला 13वीं शताब्‍दी में बसा था। एक परिवार से शुरू हुआ यह मोहल्‍ला अब शहर की घनी आबादी वाला इलाका बन चुका है। ...और पढ़ें

    Hero Image
    13वीं सदी में बसा था गोरखपुर का यह मोहल्‍ला, अब ऐसी है स्थिति Gorakhpur News

    गोरखपुर, जेएनएन। गोरखपुर का मोहल्ला तिवारीपुर, नाम से हर किसी को ऐसा लगता होगा कि इस मोहल्ले का इतिहास बहुत पुराना नहीं होगा। लेकिन जानकर आश्चर्य होगा कि यह मोहल्ला एक-दो नहीं बल्कि सात सौ वर्ष पहले बसा है। मोहल्ले की नींव कैसे पड़ी, इसका तथ्यवार जिक्र डॉ. दानपाल सिंह ने अपनी किताब 'गोरखपुर परिक्षेत्र का इतिहास' में किया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इस तरह से बसा यह मोहल्‍ला

    डॉ. सिंह के मुताबिक तिवारीपुर को सतासी राजा होरी सिंह उर्फ मंगल सिंह ने 13वीं सदी की शुरुआत में बसाया। भौवापार में रहकर सतासी राजा ने तिवारीपुर को कैसे बसाया, इस सवाल का जवाब तलाशने के क्रम में जब किताब का गहन अध्ययन किया गया तो पता चला सतासी राजा विश्राम सिंह जो नि:संतान थे, उन्होंने अपने कुल को आगे बढ़ाने के लिए उनवल के होरी सिंह उर्फ मंगल सिंह को गोद लिया। होरी सिंह ने जब राजपाट संभाला तो उनका राजवंश के अन्य लोगों की ओर से कड़ा विरोध होने लगा। विरोध से बचने के लिए होरी सिंह ने गोरखनाथ मंदिर के पास बाबा गोरक्षनाथ के नाम पर गोरखपुर कस्बा बसाया और वहीं से रहकर शासन करने लगे।

    एक परिवार से पड़ा तिवारी नाम

    इसी दौरान उन्होंने शासन कार्य की सहूलियत के लिए अपने कुलगुरु यानी सोहगौरा के कुछ तिवारी परिवार को आज के तिवारीपुर क्षेत्र की जागीर देकर बसा दिया। तिवारी जी लोग जब वहां बसे तो क्षेत्र का दायरा बढऩे लगा और बहुत से और लोगों ने अपनी आशियाना वहां बना लिया। देखते ही देखते इलाके ने बस्ती का रूप ले लिया और अब यहां घनी आबादी है। चूंकि बसावट के मूल में तिवारी परिवार था, सो पूरी बस्ती का नाम तिवारीपुर पड़ गया, जिसे आज हम एक घने बसे मोहल्ले के रूप में जानते हैं। मोहल्ले की बेतरतीब बसावट उसके प्राचीन होने की तस्दीक है। मोहल्ले की विशिष्टता और अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां शासन व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए बाकायदा थाना स्थापित है, वह भी लंबे समय से।