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    पूर्वांचल का बरगद, पीपल, पाकड़ खाएंगे असम गोरखपुर चिडियाघर लाए जा रहे गैंडे

    By Navneet Prakash TripathiEdited By:
    Updated: Fri, 29 Oct 2021 08:18 PM (IST)

    असम की शीतल जलवायु में रहने वाले गैंडों को गोरखपुर चिड़ियाघर में लाए जाने की तैयारी पूरी हो चुकी है। नवंबर के तीसरे सप्ताह तक असम के गुवाहटाड़ी चिड़ियाघर से दो गैंडे गोरखपुर चिड़ियाघर में आ जाएंगे। यहां उन्हें भोजन में बरगद पीपल पाकड़ बरसीम चरी दिया जाएगा।

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    असम गोरखपुर चिडियाघर लाए जा रहे गैंडे। प्रतीकात्‍मक फोटो

    गोरखपुर, जागरण संवाददाता। असम की शीतल जलवायु में रहने वाले गैंडों को गोरखपुर चिड़ियाघर में लाए जाने की तैयारी पूरी हो चुकी है। नवंबर के तीसरे सप्ताह तक असम के गुवाहटाड़ी चिड़ियाघर से दो गैंडे गोरखपुर चिड़ियाघर में आ जाएंगे। यहां उन्हें भोजन में बरगद, पीपल, पाकड़, बरसीम, चरी दिया जाएगा। इसके अलावा उसके भोजन में पोषक तत्व भी दिया जाएगा। ताकि पूर्वांचल की जलवायु में वह पूरी तरह से फिट रह सके।

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    बढेगा प्रदेश में गैंडों का कुनबा

    गैंडों के गुवाहाटी से गोरखपुर आने के बाद प्रदेश में गैंडों का कुनबा बढ़ जाएगा। वर्तमान में लखनऊ चिड़ियाघर के पास एक भी गैंडा नहीं है। कानपुर चिड़ियाघर में एक मादा गैंडा व उसके दो नर बच्चे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने असम के मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर चार गैंडों की मांग की थी, जिसमें एक नर व एक मादा गैंडा लखनऊ व एक नर व मादा गैंडा गोरखपुर चिड़ियाघर के लिए मांगा गया था।

    गैंडों को गोरखपुर लाने के लिए गुवाहाटी पहुंची चिडियाघर की टीम

    गैंडों के चयन, उनकी दिनचर्या व उनका स्वभाव जानने के लिए चिड़ियाघर के पशु चिकित्साधिकारी डा.योगेश प्रताप सिंह को गुवाहाटी चिड़ियाघर भेजा गया था। पशु चिकित्साधिकारी के गुवाहाटी से लौटकर दो दिन पूर्व आ चुके हैं। उन्होंने बताया कि गुवाहाटी गोरखपुर की तुलना में ठंडा है, लेकिन गैंडे को ठंड के समय में ही गुवाहाटी से गोरखपुर लाया जा रहा है। गैंडे कुछ ही माह में खुद को यहां की आबोहवा के हिसाब से ढाल लेंगे। उन्होंने बताया कि दोनों गैंडों में एक की आयु 15 वर्ष की है और दूसरे की 17 वर्ष है।

    30 से 35 वर्ष होती है गैंडों की औसत आयु

    आमतौर पर गैंडे 30 से 35 वर्ष तक जीते हैं। उन्होंने बताया कि गोरखपुर लाए जाने वाले गैंडों का चयन हो चुका है। पहली नवंबर से गुवाहाटी में गैंडो को पिंजड़े में ले जाने का अभ्यास कराया जाएगा। दो सप्ताह में वह पूरी तरह से अभ्यस्त हो जाएंगे। उसके बाद उन्हें ट्रक से गुवाहाटी से गोरखपुर लाया जाएगा। गुवाहाटी से गैंडों को गोरखपुर लाने में करीब तीन दिन लगेंगे।