आजादी की समर गाथा में अमर हो गई 'महुआ डाबर' की शहादत
बस्ती के महुआ डाबर गांव ने खूब तरक्की की थी। मनोरमा नदी के किनारे महुआ डाबर की बसावट से नावों से कारोबार का होना बहुत आसान हो गया था। 1857 में गुलामी की बेड़ियों में जकड़े अपने वतन की आजादी की चाह में रणबांकुरों ने मोर्चा खोल दिया था।
By Rahul SrivastavaEdited By: Updated: Fri, 13 Aug 2021 04:25 PM (IST)