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    अंगद-रावण संवाद का मंचन देख मंत्रमुग्ध हुए दर्शक

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 06 Nov 2021 10:19 PM (IST)

    भनवापुर विकास खंड अंतर्गत ग्राम बड़हरा बिशुनपुर में आयोजित रामलीला में बीती रात अंगद रावण संवाद का भावपूर्ण मंचन किया गया। जिसको देख दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए।

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    अंगद-रावण संवाद का मंचन देख मंत्रमुग्ध हुए दर्शक

    सिद्धार्थनगर : भनवापुर विकास खंड अंतर्गत ग्राम बड़हरा बिशुनपुर में आयोजित रामलीला में बीती रात अंगद रावण संवाद का भावपूर्ण मंचन किया गया। जिसको देख दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए।

    मंचन के दौरान कलाकार भगवान राम के दूत बनकर अंगद रावण के दरबार पहुंचते हैं। वह प्रभु श्रीराम के संदेश को रावण की भरी सभा में सुनाते हैं। अंगद के निरुत्तर न होने पर रावण क्रोधित हो उठता है। इस दौरान लंका के सभी योद्धा अंगद का पैर तक नहीं हिला सके। इसके बाद प्रभु राम की सेना लंका पर चढ़ाई करती है। भयंकर युद्ध में रावण की सेना के कई योद्धा मारे जाते हैं। मेघनाद के शक्ति बाण से लक्ष्मण मूर्छित हो जाते हैं। पूरे पंडाल में सन्नाटा छा जाता है। शुभारंभ आरती के साथ किया गया। दुर्गा जी की झांकी निकाली गई। राम प्रताप सैनी, बलिराम गुप्ता, संतूराम प्रधान, राहुल यादव, विक्रम, बब्बू,सी ताराम, श्यामसुंदर, दिनेश आदि उपस्थित रहे। राम विवाह प्रसंग का मंचन देख हर्षित हुए लोग सिद्धार्थनगर : क्षेत्र के सहिजवार में चल रहे रामलीला कार्यक्रम में शुक्रवार की रात सिया स्वयंवर व परशुराम लक्ष्मण संवाद का मंचन किया गया।

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    कलाकारों ने दिखाया कि मुनि विश्वामित्र को राजा जनक के यहां से सीता स्वयंवर का आमंत्रण आता है। राम - लक्ष्मण विश्वामित्र के साथ राजा जनक के यहां पहुंचते हैं। फुलवारी में सीता अपनी सखियों के साथ पहुंचती हैं। जहां सीता राम-लक्ष्मण को देख लेती हैं। राजा जनक के दरबार में सीता का स्वयंवर सजाया जाता है, जिसमें लंका का राजा रावण भी आता है। आकाशवाणी होने पर वह बिना धनुष तोड़े ही चला जाता है। जब कोई भी धनुष नहीं तोड़ पाता है तो राजा जनक चितित होते हैं। यह देख गुरु विश्वामित्र राम को धनुष तोड़ने के लिए कहते हैं, जिसे प्रभु राम सहज ही तोड़ देते हैं। शिव धनुष टूटने की आहट और गर्जना से वहां परशुराम जी पहुंचते हैं। क्रोधित परशुराम का लक्ष्मण से संवाद होता है। बाद में प्रभु राम के मधुर वचनों से उनका क्रोध शांत हो जाता है। इसके बाद सीता प्रभु राम के गले मे वरमाला डालती हैं। विधि विधान व मंत्रोच्चारण के साथ दोनों का विवाह होता है व मंगल गीत गाए जाते है। रामप्रताप चौधरी, प्रदीप चौधरी, अजीत एडवोकेट, रामजीत यादव, बालगोविद, मनीष, सूरज, अंकित, रामजीत गिरि, राजकुमार, राजू भारती, उत्तम, शेषराम आदि मौजूद रहे।