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    आरक्षण कार्यालय पर तत्काल टिकट के नंबर को लेकर भिड़े यात्री, दलालों पर पर्ची को फाड़ने का आरोप

    Updated: Fri, 28 Nov 2025 07:21 AM (IST)

    स्थानीय आरक्षण कार्यालय में तत्काल टिकट के लिए यात्रियों में ज़बरदस्त झड़प हुई। आरोप है कि दलालों ने पर्ची फाड़ दी, जिससे स्थिति और बिगड़ गई। तत्काल टिकट पाने की आपाधापी में यात्री आपस में उलझ गए और हाथापाई की नौबत आ गई। इस घटना से आरक्षण कार्यालय में अफरा-तफरी मच गई।

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    तत्काल टिकट के लिए रेलवे आरक्षण केंद्र फाड़ी गयी पर्ची को दिखाता युवक। जागरण

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। रेलवे स्टेशन के आरक्षण कार्यालय पर गुरुवार की रात तत्काल टिकट के नंबर को लेकर यात्री आपस में भिड़ गए। कुछ यात्रियों ने दलाल पर कार्यालय के गेट पर चस्पा की गई नंबर की पर्ची को फाड़ने तथा नया पर्ची चस्पा करने का आरोप लगाया। कुछ देर के लिए अफरातफरी मच गई।

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    कुछ यात्री कार्यालय पर ही रुक गए और खुले आसमान में ही सो गए। कई स्टेशन परिसर चले गए। तत्काल टिकट को लेकर यात्रियों की परेशानी बढ़ गई है। आरक्षण कार्यालय पर नंबर लगाने के लिए यात्रियों को रोजाना धक्कामुक्की करनी पड़ रही है।

    मुंबई के लिए कन्फर्म तत्काल टिकट लेने आरक्षण कार्यालय पहुंचे कूड़ाघाट निवासी अजय का आरोप था कि तत्काल टिकट के लिए शाम को ही नंबर की पर्ची चस्पा हो गई थी। जो यात्री आ रहे थे, वे आगे के नंबर पर अपना नाम लिख रहे थे। रात को नौ बजे के आसपास एक व्यक्ति आया और चस्पा की गई पर्ची को फाड़कर अपना नया पर्ची लगा दिया।

    विरोध करने पर वह अन्य यात्रियों से भिड़ गया। तत्काल टिकट के लिए नंबर लगाने पहुंचे रामकिशोर ने बताया कि सुबह दस बजे से मिलने वाले टिकट के लिए एक दिन पहले शाम को ही आरक्षण कार्यालय में लाइन लग जा रही है।

    इसके बाद भी कन्फर्म टिकट नहीं मिल रहा। संजय प्रसाद ने बताया कि वह दो दिन से मुंबई का कन्फर्म टिकट के लिए आरक्षण कार्यालय पहुंच रहे हैं। लेकिन हाथ में वेटिंग टिकट ही आ रहा है। किसी भी ट्रेन का किसी भी श्रेणी में कन्फर्म टिकट नहीं मिल रहा है।

    दरअसल, छठ पर्व बाद दिल्ली, पंजाब, महाराष्ट्र और गुजरात जाने वाले यात्रियों की मुश्किलें और बढ़ गई है। गोरखधाम, वैशाली, कुशीनगर और गोरखपुर-एलटीटी आदि महत्वपूर्ण एक्सप्रेस का तत्काल कोटे का 40 प्रतिशत आरक्षित टिकट ट्रेन छूटने के 24 घंटे पहले महज एक मिनट में ही बुक हो जा रहे। शेष जनरल कोटे के 50 प्रतिशत आरक्षित टिकट पहले से ही बुक हैं। दस प्रतिशत रेलवे प्रशासन हेडक्वार्टर कोटा से जारी कर दे रहा है। स्थिति यह है कि वेटिंग टिकट के लिए मारामारी मची है। कई ट्रेनों में वेटिंग टिकट भी नहीं मिल रहा।

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    जानकारों का कहना है कि सेंटर फार रेलवे इंफार्मेशन सिस्टम (क्रिस) की टिकटिंग व्यवस्था पूरी तरह धड़ाम हो गई है। टिकटों के अवैध कारोबारी व्यवस्था में पूरी तरह सेंध लगा चुके हैं। उनके साफ्टवेयर रेलवे के सिस्टम से तेज गति से कार्य कर रहे हैं।

    रेलवे काउंटरों पर बैठे रेलकर्मी जहां एक मिनट में एक कन्फर्म टिकट बुक कर रहे हैं, वहीं दूर दराज शहरों, कस्बों और गांवों में बैठे कारोबारी छह से 12 कन्फर्म टिकट बुक कर ले रहे हैं। इसमें टिकट बुक करने वाले प्राइवेट और इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कारपोरेशन (आइआरसीटीसी) के एजेंट भी शामिल हैं।

    जानकारों का कहना है कि रेलवे को तो पूरा किराया मिल जा रहा, लेकिन आम यात्री परेशान हो रहे हैं। गोरखपुर से बनकर चलने वाली ट्रेनों के करीब 40 हजार में लगभग 40 प्रतिशत सीट/बर्थ तत्काल कोटा के लिए आरक्षित होता है। तत्काल कोटा के टिकटों की बुकिंग ट्रेन छूटने के 24 घंटे पहले सुबह दस बजे से शुरू होती है।