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एक ऐसा मंदिर जहां अंग्रेजों का सिर काटकर चढ़ाते थे क्रांतिकारी, अब लगता है यहां मेला Gorakhpur News

गोरखपुर जिला मुख्यालय से लगभग 22 किलोमीटर दूर स्थित मां तरकुलहा देवी मंदिर में कभी क्रांतिकारी बंधु सिंह अंग्रेजों का सिर काटकर चढ़ाते थे। अब यहां मेला लगता है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Mon, 30 Sep 2019 11:39 AM (IST)Updated: Tue, 01 Oct 2019 08:53 AM (IST)
एक ऐसा मंदिर जहां अंग्रेजों का सिर काटकर चढ़ाते थे क्रांतिकारी, अब लगता है यहां मेला Gorakhpur News
एक ऐसा मंदिर जहां अंग्रेजों का सिर काटकर चढ़ाते थे क्रांतिकारी, अब लगता है यहां मेला Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। मां तरकुलहा देवी मंदिर के दरबार में जाने के लिए हर समय साधन मौजूद हैं। गोरखपुर जिला मुख्यालय से लगभग 22 किलोमीटर देवरिया रोड पर फुटहवा इनार के पास मंदिर मार्ग का मुख्य गेट है। वहां से लगभग डेढ़ किमी पैदल, निजी वाहन या आटो से चलकर मंदिर पहुंचा जा सकता है।

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मंदिर का इतिहास 

मंदिर की कहानी चौरीचौरा तहसील क्षेत्र के विकास खंड सरदारनगर अंतर्गत स्थित डुमरी रियासत के बाबू शिव प्रसाद सिंह के पुत्र व 1857 के अमर शहीद बाबू बंधू सिंह से जुड़ी है। कहा जाता कि बाबू बंधू सिंह तरकुलहा के पास स्थित घने जंगलों में रहकर मां की पूजा-अर्चना करते थे तथा अंग्रेजों का सिर काटकर मां के चरणों में चढ़ाते थे। बाबू बंधू सिंह ने अपने गुरिल्ला युद्ध के  माध्यम से एक-एक कर अंग्रेजों का सिर कलम कर मां को चढ़ाना शुरू कर दिया, जिससे अंग्रेज अफसर घबरा गए और धोखे से बंधू सिंह को गिरफ्तार कर उन्हें फांसी पर लटकाने का आदेश दे दिया।

फांसी पर लटकाते ही टूट गया फंदा

जनश्रुति के अनुसार अंग्रेजों ने बंधू सिंह को जैसे ही फांसी के फंदे पर लटकाया, फांसी का फंदा टूट गया। यह क्रम लगातार सात बार चला। जिसे देखकर अंग्रेज आश्चर्य चकित रह गए। तब बंधू सिंह ने मां तरकुलहा से अनुरोध किया कि हे मां! मुझे अपने चरणों में ले लो। आठवीं बार बंधू सिंह ने स्वयं फांसी का फंदा अपने गले में डाला। इसके बाद उन्हें फांसी दी गई। कहा जाता है कि जैसे ही बंधू सिंह फांसी पर लटके, उसी समय तरकुलहा देवी के पीछे स्थित तरकुल के पेड़ का ऊपरी हिस्सा टूट कर गिर गया, जिससे खून के फव्वारे निकलने लगे। बाद में भक्तों ने यहां मंदिर का निर्माण कराया।

मंदिर की विशेषता

चैत्र राम नवमी से एक माह का मेला लगता है। यह पुरानी परंपरा है, लेकिन अब वहां सौ से अधिक दुकानें स्थायी हैं और रोज मेले का दृश्य होता है। लोग पिकनिक मनाने भी वहां जाते हैं। मुंडन व जनेऊ व अन्य संस्कार भी स्थल पर होते हैं। मनोकामना पूर्ण होने पर लोग बकरे की बलि देते हैं।

प्रबंधक ओमप्रकाश जायसवाल के निर्देशन में पूरी व्यवस्था की गई है। श्रद्धालुओं का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। पेयजल का पूरा इंतजाम है। - दिनेश तिवारी, पुजारी

पिछले 25 वर्ष से मैं मां के दरबार में पूजा-अर्चना करने आती हूं। मां सबकी मुरादें पूरी करती हैं। मुझपर व मेरे परिवार पर मां की बहुत कृपा है। - मीना सिंह, श्रद्धालु

सीएम योगी की नजरें भी हुईं इस मंदिर पर इनायत, 2.12 करोड़ से होगा तरकुलहा देवी जीर्णोद्धार

सीएम योगी आदित्‍यनाथ रविवार को तरकुलहा देवी मंदिर पहुंचे। यहां उन्‍होंने कहा कि  1857 की क्रांति के महानायक बंधु सिंह ने देश को अंग्रेजों से मुक्त कराने का प्रण किया। उनको अंग्रेजों ने गिरफ्तार किया और जब फांसी देने लगे तो मां के प्रताप से उनको फांसी लगी ही नही। उन्होंने खुद मां से अपनी फांसी लगाने की मांग की तब जाकर वह शहीद हुए। उन्‍होंने कहा कि 2.12 करोड़ रुपये खर्च कर तहरकुलहा देवी मंदिर का जीर्णोद्धार होगा। इसके अलावा यहां कई और सुविधाएं दी जाएंगी।


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