कमाल की हैं गन्ने की यह दो प्रजातियां, देंगी बंपर मुनाफा- बदल सकती हैं किसानों की तकदीर
गन्ने की खेती करने की सोच रहे किसानों के लिए राहत भरी खबर है। पूर्वांचल में गन्ने की खेती की परिस्थितियों को देखते हुए दो नई प्रजातियों को विकसित किया गया है। इससे उत्पादन में बंपर इजाफा होगा। आइए जानते हैं नई प्रजातियों की खासियत...
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। कम लागत में अधिक उपज व आमदनी के लिए उन्नतशील किस्मों से गन्ने की खेती करना जरूरी है। अगर आप भी गन्ने की खेती कर अच्छी कमाई करना चाहते हैं तो आपके लिए राहत भरी खबर है। गेंदा सिंह गन्ना प्रजनन एवं अनुसंधान संस्थान सेवरही ने गन्ने की दो नई प्रजातियां विकसित की है। पूर्वांचल की परिस्थितियों को ध्यान में रखकर इन प्रजातियों को विकसित किया गया है। यह प्रजातियां प्रति एकड़ 400 क्विंटल तक गन्ने का उत्पादन देंगी, जबकि सामान्य प्रजातियों से 250 से 300 क्विंटल तक गन्ने का उत्पादन मिलता है। गन्ने की उत्पादकता व चीनी परता बढ़ाने में गन्ने की प्रजातियों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इसे देखते हुए गन्ना अनुसंधान संस्थान सेवरही नई-नई प्रजातियों की खोज में जुटा रहता है।
उत्पादन के साथ- साथ चीनी का परता भी बेहतर
गन्ना अनुसंधान संस्थान सेवरही द्वारा तैयार की गई पहली प्रजाति कोसे 11453 की औसत उपज 400 क्विंटल प्रति एकड़ है। इस प्रजाति से नवंबर माह में 11.7 प्रतिशत व मार्च माह में 13.45 प्रतिशत परता चीनी निकलता है। इस प्रजाति का गन्ना मध्यम मोटा और पेड़ी अच्छी होती है।
दूसरी प्रजाति से 14 प्रतिशत मिलता है चीनी का परता
गन्ने की दूसरी प्रजाति कोसे 13452 व कोसे 92423 से तैयार की गई है। इसकी औसत उपज 350 से 400 क्विंटल है। इससे नवंबर माह में 11.72 प्रतिशत चीनी का परता आता है, जबकि मार्च माह में चीनी का परता 14 प्रतिशत आता है। इस प्रजाति का गन्ना सीधा और मध्यम मोटा होता है।
को 0238 पर रहता है रोग का प्रकोप
सहायक निदेशक गन्ना किसान संस्थान प्रशिक्षण केंद्र पिपराइच के ओम प्रकाश गुप्ता ने बताया कि तकरीबन पांच साल तक पूर्वाचल में गन्ने की उपज बढ़ाने वाली प्रजाति को 0238 अब पुरानी हो चली है। इस प्रजाति रेड राट रोग लगने से प्रभावित हो रही है। ऐसे में किसान गन्ने की नई प्रजातियों लगाकर अच्छा उत्पादन ले सकते हैं।
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