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    हर लड़की को आत्मनिर्भर बनाने की धुन में सुधा, विदाई में देतीं हैं सिलाई मशीन Gorakhpur News

    By Rahul SrivastavaEdited By:
    Updated: Mon, 31 May 2021 12:30 PM (IST)

    शहर की महिला व्यवसायी सुधा मोदी को एक अलहदा सी धुन है। वह हर गरीब लड़की को अपने पैरों पर खड़ा देखना चाहती हैं। अपनी इस धुन को उन्होंने केवल अपने मन तक ही सीमित नहीं रखा है बल्कि धरातल पर उतरने की मुहिम छेड़ी है।

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    लड़कियों को आत्‍मनिर्भर बनाने के लिए सिलाई सिखातीं सुधा मोदी। जागरण

    गोरखपुर, डा. राकेश राय : शहर की महिला व्यवसायी सुधा मोदी को एक अलहदा सी धुन है। वह हर गरीब लड़की को अपने पैरों पर खड़ा देखना चाहती हैं। अपनी इस धुन को उन्होंने केवल अपने मन तक ही सीमित नहीं रखा है बल्कि धरातल पर उतरने की मुहिम छेड़ी है। इस धुन से वह अबतक तीन दर्जन लड़कियों को आत्मनिर्भर बना चुकी हैं। खास बात यह है कि कोरोना काल में भी उनकी यह मुहिम थमने नहीं पाई है बल्कि इस दौरान उन्होंने अपनी मुहिम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर अभियान से भी जोड़ लिया है।

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    आत्‍मनिर्भर बनाने को सिलाई-कढ़ाई का चुना रास्‍ता

    आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्होंने सिलाई-कढ़ाई का रास्ता चुना है, जिस व्यवसाय से वह खुद भी जुड़ी हुई हैं। वह इच्छुक गरीब लड़कियों को मुफ्त में सिलाई-कढ़ाई सिखाकर व्यवसाय के लिए तकनीकी रूप से दक्ष बनाती हैं और फिर उन्हें सिलाई मशीन भेंटकर व्यावसायिक बनाती हैं। अपने इस अभियान को अंतिम रूप से सफल बनाने के लिए वह गरीब लड़कियों की शादी भी कराती हैं, जिसकी पूरा जिम्मेदारी खुद उठाती हैं। विदाई के दौरान दिए जाने वाले सुहाग से जुड़े उपहारों में सिलाई मशीन भी शामिल रहती है, जिससे सुधा की मुहिम का मकसद पूरा होता है।

    एक दर्जन से ज्‍यादा लड़‍कियों की करा चुकी हैं शादी

    बकौल सुधा अपने इस अभियान के तहत वह अब तक एक दर्जन से ज्यादा लड़कियों की शादी करा चुकी हैं और तीन दर्जन लड़कियों को अपने पैर पर खड़ा कर चुकी हैं। आरती, रोमा, स्वीटी, सीता, शशिकला जैसी गरीब लड़कियों का पारिवारिक जीवन सुधा की इसी मुहिम से जुड़कर काफी सुखमय है। सुधा कहती हैं कि उन्हें इस कार्य से आत्मिक सुकून मिलता है। साथ ही प्रधानमंत्री के देशव्यापी अभियान में अंशदान का मौका भी मिला है।

    शादी के बाद पति की करती हैं काउंसिलिंग

    शादी के बाद लड़की का पति आत्मनिर्भरता की राह में बाधा न बने, इसके लिए वह पति की न केवल काउंसिल करती हैं बल्कि कुछ समय तक मानिटरिंग भी करती हैं। उनका कहना है कि कई बार पति के समझदार न होने से भी योग्यता के बावजूद लड़की का जीवन खराब हो जाता है। उन्होंने इस कार्य को भी मुहिम का हिस्सा बनाया है।

    काम देने का भी रखा है विकल्प

    लड़कियों की आत्मनिर्भरता के लिए उन्होंने एक और विकल्प खोल रखा है। जो गरीब लड़की उन्हें खुद के व्यवसाय के लिए इच्छुक नहीं दिखती, उसे वह अपने संस्थान में काम के साथ-साथ मानदेय के तौर पर उचित धनराशि देती हैं।

    लड़कियों को दिलाती हैं नर्स की ट्रेनिंग

    सिलाई-कढ़ाई के अलावा लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सुधा मोदी ने एक और रास्ता चुना है। वह इच्छुक लड़कियों को नर्सिंग की ट्रेनिंग भी दिलाती है, जिसका खर्च वह खुद उठाती हैं। उनके प्रयास से अबतक आधा दर्जन से अधिक लड़कियां नर्स बनकर मरीजों की सेवा कर रही हैं।

    मलिन बस्ती की लड़कियों पर कर रहीं काम

    अपने मुहिम का दायरा बढ़ाने के लिए सुधा मोदी लालडिग्गी स्थित मलिन बस्ती की छोटी-छोटी बच्चियों के संपर्क में हैं। पठन-पाठन में मदद कर बचपन से ही उनके मन में मान-सम्मान के लिए आत्मनिर्भर बनने का जज्बा भर रही हैं। उनका कहना है कि जिस बच्ची में जरा भी संभावना या इच्छा दिखेगी, वह उसका अंत तक साथ देंगी।