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    Subrata Roy Story: सपनों के सौदागर थे सुब्रत रॉय, पहले एक रुपये की बचत कराई फिर 100 में 20 रुपये का प्लान समझाया

    By Jagran NewsEdited By: Narender Sanwariya
    Updated: Wed, 15 Nov 2023 02:26 AM (IST)

    पढ़ाई के दौरान ही एचडी जावा मोटरसाइकिल से चलने वाले सुब्रत रॉय उस दौरान में युवाओं की अगुवाई करते थे। बेतियाहाता में रहने के दौरान ही सुब्रत रॉय ने चिट फंड का कारोबार शुरू किया था। कालेज और विश्वविद्यालय में छात्रों को पहले एक रुपये बचत की आदत डलवाई। यह स्कीम सफल हुई तो दिहाड़ी कमाने वाले लोगों में अपनी पैठ बनाई।

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    Subrata Roy Story: सपनों के सौदागर थे सुब्रत रॉय

    जागरण संवाददाता,  गोरखपुर। सुब्रत का परिवार गोरखपुर के तुर्कमानपुर में गांधी आश्रम के पास किराए के मकान में रहता था। पिता के गोरखपुर से जाने के बाद भी सुब्रत ने शहर नहीं छोड़ा और बेतियाहाता में किराए के मकान पर कमरा लेकर रहने लगे। पढ़ाई के दौरान ही एचडी जावा मोटरसाइकिल से चलने वाले सुब्रत रॉय उस दौरान में युवाओं की अगुवाई करते थे।

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    बेतियाहाता में रहने के दौरान ही सुब्रत रॉय ने चिट फंड का कारोबार शुरू किया था। कालेज और विश्वविद्यालय में छात्रों को पहले एक रुपये बचत की आदत डलवाई। यह स्कीम सफल हुई तो दिहाड़ी कमाने वाले लोगों में अपनी पैठ बनाई।

    सपने बेचने के महारथी सुब्रत का अंदाज इतना जरदस्त था कि रोजाना 100 रुपये कमाने वालों को भी उन्होंने 20 रुपये बचत करने की आदत डलवा दी। ऐसा करने वालों का उन्होंने खाता खुलवाया और रुपये जमा कराकर सहारा के लिए पूंजी तैयार की।

    इसके बाद उन्होंने सिनेमा रोड पर यूनाइटेड टॉकीज के पास एक छोटी सी दुकान में अपना कार्यालय खोला। सहारा का वह कार्यालय आज भी पंजीकृत है। सुब्रत ने अपने साथियों को कभी नहीं छोड़ा। शुरुआती दौर में साथ रहने वाले दोस्तों को उन्होंने अपनी कंपनी में न केवल जगह दी बल्कि आगे चलकर सभी को बड़े पदों पर बैठाया।