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    गोरखपुर में सस्ता उपचार, आंखों पर कर रहा प्रहार, रोशनी जाने का बढ़ा खतरा

    Updated: Wed, 03 Sep 2025 12:25 PM (IST)

    स्टेरॉयड ड्रॉप के गलत इस्तेमाल से आंखों की रोशनी जाने का खतरा बढ़ रहा है। कुशीनगर के 13 वर्षीय आदित्य और देवरिया की 45 वर्षीय रंभा देवी जैसे कई लोग झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा दिए गए स्टेरॉयड ड्रॉप के कारण आंखों की गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे हैं। एम्स गोरखपुर में रोजाना ऐसे कई मामले आ रहे हैं जहाँ स्टेरॉयड ड्रॉप के चलते मोतियाबिंद-ग्लूकोमा जैसी बीमारियाँ हो रही हैं।

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    स्टेरायड के इस्तेमाल से बढ़ गई आंखों में लालिमा। सौजन्य एम्स गोरखपुर

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। कुशीनगर के रहने वाले आदित्य की उम्र 13 वर्ष है। जब वह छह साल के थे तो उनकी आंखों में खुजली होने लगी। स्वजन ने गांव के झोलाछाप को दिखाया तो उसने आंखों में डालने के लिए ड्राप दे दिया। ड्राप के इस्तेमाल से खुजली तो खत्म हो गई लेकिन कुछ दिन बाद आंख लाल हो गई।

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    स्वजन ने फिर झोलाछाप को दिखाया तो उसने दोबारा आई ड्राप दिया। इसके इस्तेमाल से शुरू में तो लालिमा कम हुई लेकिन बाद में लालिमा बढ़ने लगी। साथ ही आंख में खुजली भी होने लगी। बच्चा होने के कारण स्वजन ने भी बहुत ध्यान नहीं दिया। बहुत दिक्कत बढ़ी तो एक मेडिकल स्टोर से ड्राप लेकर डाल दिया।

    यही क्रम छह साल तक चलता रहा। पिछले साल आदित्य ने आंख से कम दिखने की शिकायत शुरू की तो स्वजन ने मोबाइल फोन देखने पर रोक लगा दी। इसके बाद भी समस्या बढ़ती गई तो एम्स में आकर डाक्टर को दिखाया। जांच में पता चला कि आदित्य की आंख में ग्लूकोमा (समलबाई) हो गया है।

    दाहिनी आंख की आप्टिक नर्व (दृष्टि तंत्रिका) 80 प्रतिशत, बायीं आंख की आप्टिक नर्व 90 प्रतिशत तक क्षतिग्रस्त हो चुकी है। स्टेरायड आई ड्राप बंद करने के साथ ही आंख पर दबाव कम करने के लिए तत्काल आपरेशन किया। डाक्टर कोशिश कर रहे हैं कि अब आंखों को और नुकसान न हो।

    देवरिया की 45 वर्षीय रंभा देवी ने भी आंख में खुजली और लालिमा के उपचार के लिए झोलाछाप द्वारा दी गई आई ड्राप महीनों डाली। अब दोनों आंखों की रोशनी कम हो रही है। एक आंख में मोतियाबिंद की पुष्टि हो चुकी है।

    स्टेरायड के इस्तेमाल से सफेद हुई आंख, सौजन्य एम्स गाेरखपुर


    आंखों में लालिमा, खुजली का सस्ता उपचार लोगों पर भारी पड़ रहा है। एम्स गोरखपुर की ओपीडी में रोजाना 15 से 20 ऐसे रोगी आ रहे हैं जिनकी आंखाें की रोशनी कम हो रही है। पता चल रहा है कि इन लोगों ने लंबे समय तक स्टेरायड वाला आई ड्राप डाला है।

    यह है आंखों में डालने वाला स्टेरायड

    • प्रेडनिसोलोन, डेक्सामेथासोन, लोटेप्रेडनाल, डाईफ्लूप्रेडनेट आदि।

    यह होता है नुकसान

    स्टेरायड ड्राप लंबे समय तक इस्तेमाल करने से आंखों में मोतियाबिंद, समलबाई और पुतली में संक्रमण की समस्या हो सकती है।

    चोट से आंख लाल तो भी करते हैं इस्तेमाल

    एलर्जी के साथ ही चोट के कारण आंख लाल होने पर भी झोलाछाप या मेडिकल स्टोर से स्टेरायड वाला ड्राप लेकर लोग इस्तेमाल करने लगते हैं। इससे भी आंख खराब होती है। बच्चों में विशेष रूप से होने वाली आंखों की एलर्जी में जांच-पड़ताल और बिना विशेषज्ञ की सलाह स्टेरायड आई ड्राप का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस कारण बच्चे मोतियाबिंद व समलबाई के शिकार हो रहे हैं। ज्यादातर ऐसे बच्चों में सर्जरी की जरूरत पड़ती है।

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    यह है आप्टिक नर्व

    आप्टिक नर्व (दृष्टि तंत्रिका) एक बंडल है जो तंत्रिका तंतुओं से बना होता है। यह आंख की रेटिना से मस्तिष्क तक संदेश पहुंचाता है। इससे हमें देखने में मदद मिलती है। हर आंख के पीछे एक आप्टिक नर्व होती है जो मस्तिष्क से जुड़ती है और प्रकाश को विद्युत संकेतों में बदलकर मस्तिष्क को दृश्य जानकारी भेजती है।

    स्टेरायड आई ड्राप कई रोगों में बहुत कारगर हैं लेकिन बिना नेत्र रोग विशेषज्ञ के परामर्श के इस्तेमाल करने पर आंखों की रोशनी भी जा सकती है। ओपीडी में रोजाना ऐसे रोगी आ रहे हैं। इनमें बच्चों की संख्या ज्यादा है। यदि ग्लूकोमा हो गया तो जितनी रोशनी नष्ट हो चुकी होती है, वह वापस नहीं ले आयी जा सकती है। जरूरी है कि बिना नेत्र रोग विशेषज्ञ का परामर्श लिए कोई आई ड्राप न इस्तेमाल करें। यदि स्टेरायड का इस्तेमाल कर रहे हैं तो नेत्र रोग विशेषज्ञ के नियमित संपर्क में रहें।

    -डाॅ. नेहा सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर, नेत्र रोग विभाग, एम्स गोरखपुर