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    Kajal Nishad︙ ‘योगी गढ़’ में सपा ने उतारा 12वीं पास प्रत्याशी, कई हार के बावजूद अखिलेश ने काजल पर इसलिए जताया भरोसा

    Updated: Tue, 30 Jan 2024 11:19 PM (IST)

    काजल निषाद के राजनीतिक सफर की बात करें तो वह वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा तो 2022 में सपा के ही टिकट पर कैंपियरगंज से चुनाव लड़ चुकी है। पार्टी ने उन्हें पिछले साल हुए नगर निकाय के चुनाव में महापौर पद का भी प्रत्याशी बनाया था मगर उन्हें वहां भी हार का सामना करना पड़ा।

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    Kajal Nishad︙ ‘योगी गढ़’ में सपा ने उतारा 12वीं पास प्रत्याशी।

    अरुण चन्द, गोरखपुर। ढाई दशक से अधिक समय से समाजवादी पार्टी, गोरखपुर सदर लोकसभा सीट के लिए निषाद प्रत्याशियों पर ही दांव लगाते आ रही है। मगर जीत का स्वाद एक बार ही चखने का मिला। वह भी उपचुनाव में। 

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    वर्ष 1998 के चुनाव में जमुना निषाद के प्रत्याशी बनाए जाने के बाद से अभी तक निषाद बिरादरी पर पार्टी का यह भरोसा कायम है। इस बीच सात बार चुनाव हुए, जिनमें पार्टी ने छह बार निषाद प्रत्याशी को मौका दिया। सिर्फ 2009 का एकमात्र ऐसा चुनाव रहा जब सपा ने गैर निषाद बिरादरी के मनोज तिवारी पर भरोसा जताया था। 

    काजल निषाद के राजनीतिक सफर की बात करें तो वह वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा तो 2022 में सपा के ही टिकट पर कैंपियरगंज से चुनाव लड़ चुकी है। पार्टी ने उन्हें पिछले साल हुए नगर निकाय के चुनाव में महापौर पद का भी प्रत्याशी बनाया था, मगर उन्हें वहां भी हार का सामना करना पड़ा। 

    मतों का समीकरण है भरोसे की वजह

    गोरखपुर सदर लोकसभा क्षेत्र में कुल 20.74 लाख वोटर हैं। इनमें कैंपियरगंज विधानसभा में 3.90 लाख, पिपराइच में 4.10 लाख, गोरखपुर शहर में 4.68 लाख, ग्रामीण में 4.22 लाख और सहजनवां में 3.82 लाख वोटर हैं। 

    पार्टी का मानना है कि इनमें एक बड़ी आबादी निषाद बिरादरी की है। विशेषकर ग्रामीण, पिपराइच और कैंपियरगंज में। मुस्लिम और यादव वोट पर पार्टी अपनी पकड़ मजबूत मानती है। 

    पार्टी को उम्मीद है कि वह चिल्लूपार से 2022 के चुनाव में सपा प्रत्याशी रहे पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी और उनके परिवार के जरिए ब्राह्मणों का भी बड़ा वोट बैंक अपनी तरफ खींचने में कामयाब होगी। 

    वहीं ओबीसी के कुछ अन्य जातियों और व्यापारी वोटरों का भी साथ मिलने की सपा को पूरा उम्मीद है। वहीं, गोरखपुर में पहली बार अनुसूचित जाति के नेता को जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप, सपा पहले ही इस जाति वर्ग के वोटरों में भी सेंध लगाने की कोशिश शुरू कर चुकी है। अब पार्टी का जातिगत गुणा भाग कितना फिट बैठता है ये चुनाव के नतीजे बताएंगे।

    इंटर पास हैं काजल निषाद

    सदर तहसील क्षेत्र के भौवापार निवासी 42 वर्षीय काजल, इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई की है। अभिनय में उनकी खासी रुचि है, लिहाजा कम उम्र में ही वह फिल्म क्षेत्र में भाग्य आजमाने आ गईं। एक बार फिर भरोसा जताने पर काजल ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव के प्रति आभार व्यक्त किया है। 

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