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    UP Police Encounter: पिपराइच बवाल के इनामी तस्कर को मुठभेड़ में लगी गोली, मृतक की मां ने मांगी थी मौत की दुआ

    Updated: Wed, 17 Sep 2025 03:39 PM (IST)

    गोरखपुर के महुआचापी गांव में दीपक गुप्ता की हत्या से मातम पसर गया है। मृतक के परिजनों ने पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि पुलिस की मिलीभगत से तस्करों ने दीपक को मार डाला। दीपक के पिता ने दोषियों को फांसी और एक करोड़ मुआवजे की मांग की है। दीपक मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहा था और डॉक्टर बनना चाहता था।

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    बाएं से एनकाउंटर में घायल आरोपी, पुलिस फोर्स से उलझती मृतक दीपक की मां और स्वजन। जागरण

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। महुआचापी गांव की गलियों में बुधवार दोपहर तक सिर्फ मातम और चीख-पुकार गूंज रही थी। इसी बीच एक लाख का इनामी पशु तस्कर रहीम पुलिस के हत्थे चढ़ गया। पुलिस मुठभेड़ में उसके दोनों पैरों में गोली लग गई है। कुशीनगर पुलिस और पिपराइच थाने की संयुक्त कार्रवाई में रामकोला क्षेत्र के मिश्रौली गांव में दोपहर एक बजे हुई मुठभेड़ में रहीम को गिरफ्तार किया गया। छोटू और राजू नामक दो तस्कर पहले ही हिरासत में लिए जा चुके हैं। इनसे पूछताछ जारी है। दो अन्य की तलाश जारी है।

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    बताया जा रहा है कि गांव के मेधावी बेटे दीपक गुप्ता की हत्या ने पूरे परिवार को तोड़कर रख दिया है। मां सीमा देवी, पिता दुर्गेश गुप्ता, छोटा भाई प्रिंस और दादी का रो-रोकर बुरा हाल है।

    दरवाजे पर जुटी भीड़ के बीच मां बार-बार दहाड़ मारकर यही कह रही थीं-मेरे बेटे के हत्यारों को फांसी दो, पुलिस ने अगर समय रहते कार्रवाई की होती तो आज मेरा दीपक जिंदा होता।

    पादरी बाजार स्थित सेंट मेरी इंटर कालेज से इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी करने के बाद दीपक ने मेडिकल प्रवेश परीक्षा (नीट) को लक्ष्य बनाया था। परिवार और रिश्तेदार बताते हैं कि दीपक सुबह-शाम पढ़ाई में डूबा रहता और बाकी समय क्रिकेट का अभ्यास करता था।

    वह रोज़ाना स्टेडियम जाकर प्रैक्टिस करता था। मेहनती और तेज दिमाग का लड़का गांव में सबसे अलग माना जाता था। उसका सपना था कि डाक्टर बनकर परिवार व गांव का नाम रोशन करे।दीपक के पिता दुर्गेश गुप्ता जंगल धूसड़ चौराहे पर मेडिकल स्टोर चलाते हैं जिससे घर का खर्च चलता था।बेटे की पढ़ाई में कभी कोई कमी नहीं रखी।

    मां सीमा देवी गृहणी हैं। छोटा भाई प्रिंस कक्षा नौ का छात्र है। परिवार का कहना है कि दीपक घर के हालात समझता था, इसलिए अपनी पढ़ाई के साथ-साथ परिवार को हिम्मत देता था कि सब ठीक होगा, डॉक्टर बनकर सब संभाल लूंगा।गांव के लोगों के मुताबिक दीपक न सिर्फ पढ़ाई में मेधावी था, बल्कि स्वभाव से भी मिलनसार और मददगार था।

    कोई भी मदद मांगता तो वह कभी मना नहीं करता। क्रिकेट के मैदान में भी वह सबका चहेता था। दोस्तों के बीच लोकप्रिय और बड़ों का आदर करने वाला दीपक गांव में हर किसी को अपनापन देता था।मां सीमा देवी का रो-रोकर कहना था कि बेटे ने कभी किसी का बुरा नहीं किया। उसकी हत्या ने हमें उजाड़ दिया।

    पिता दुर्गेश का कहना है कि दीपक का सपना पूरा करना अब नामुमकिन हो गया है। उसकी मौत के पीछे पुलिस की लापरवाही है। घटना बाद से गांव में मातम पसरा है। हर किसी की आंखें नम हैं। दादी, भाई-बहन और रिश्तेदार दहाड़ें मारकर रो रहे हैं।

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    सैकड़ों लोग घर के बाहर जुटकर परिवार को ढांढस बंधा रहे हैं। लेकिन हर कोई यही कह रहा है कि दीपक जैसा बच्चा बार-बार पैदा नहीं होता। उसने अपने परिवार को संभालने का सपना देखा था, मगर तस्करों ने उसे बेरहमी से मार दिया।